आज का पंचांग: पथ प्रदर्शिका है गीता

पंडित उदय शंकर भट्ट

Uttarakhand

आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।

आज का विचार

यदि ताले को चाबी से खोला जाय तो ताला दोबारा काम में आता है, लेकिन हथौड़े से तोड़ कर खोला जाय, तो दोबारा काम में नही आता है। ठीक इसी प्रकार से संबन्धों के ताले को क्रोध से नहीं बल्कि प्रेम की चाबी से खोलना चाहिए

काल दंड गहि काहु न मारा। हरइ धर्म बल बुद्धि बिचारा॥
निकट काल जेहि आवत साईं। तेहि भ्रम होइ तुम्हारिहि नाईं

भावार्थ:- काल दण्ड (लाठी) लेकर किसी को नहीं मारता। वह धर्म, बल, बुद्धि और विचार को हर लेता है। हे स्वामी! जिसका काल (मरण समय) निकट आ जाता है, उसे आप ही की तरह भ्रम हो जाता है॥

दुइ सुत मरे दहेउ पुर अजहुँ पूर पिय देहु।
कृपासिंधु रघुनाथ भजि नाथ बिमल जसु लेहु॥

भावार्थ:- आपके दो पुत्र मारे गए और नगर जल गया। (जो हुआ सो हुआ) हे प्रियतम! अब भी (इस भूल की) पूर्ति (समाप्ति) कर दीजिए (श्री रामजी से वैर त्याग दीजिए) और हे नाथ! कृपा के समुद्र श्री रघुनाथजी को भजकर निर्मल यश लीजिए॥

आज का भगवद् चिंतन

 पथ प्रदर्शिका है गीता

श्रीमद्भगवद्गीता मानव जीवन की सबसे बड़ी पथ प्रदर्शिका है। गीता भगवान श्रीकृष्ण के श्रीमुख से निसृत वो अमृतमयी औषधि है, जिसके सेवन से जीवन के आंतरिक विकारों का निराकरण होकर जीवन कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। गीता भड़काने वाला ग्रंथ नहीं अपितु भटके हुए मानव को उसके कर्तव्य पथ का बोध कराने वाला ग्रंथ है।

गीतार्थं ध्यायते नित्यं कृत्वा कर्माणि भूरिशः।
जीवन्मुक्तः स विज्ञेयो देहांते परमं पदम्।।

संत ज्ञानदेव जी से लेकर महर्षि अरविंद जी, महर्षि रमण जी, स्वामी विवेकानंद जी, पंडित मदन मोहन मालवीय जी जैसे अनेकानेक जिस किसी भी महापुरुष ने माँ गीता की गोद का आश्रय लिया है उसका जीवन समाज के लिए एक प्रेरणा एवं आदर्श अवश्य बना है। जीवन का कोई ऐसा प्रश्न नहीं जिसका उत्तर श्रीमद्भगवद्गीता जी में न हो। विषाद से प्रसाद की यात्रा, भोग से योग की यात्रा एवं प्रमाद से अह्लाद की यात्रा कराने वाला ग्रंथ ही गीता है।

आज का पंचांग

बृहस्पतिवार, दिसम्बर 12, 2024
सूर्योदय: 07:05
सूर्यास्त: 17:25
तिथि: द्वादशी – 22:26 तक
नक्षत्र: अश्विनी – 09:52 तक
योग: परिघ – 15:23 तक
करण: बव – 11:48 तक
द्वितीय करण: बालव – 22:26 तक
पक्ष: शुक्ल पक्ष
वार: गुरुवार
अमान्त महीना: मार्गशीर्ष
पूर्णिमान्त महीना: मार्गशीर्ष
चन्द्र राशि: मेष
सूर्य राशि: वृश्चिक

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