पंडित उदय शंकर भट्ट
आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है। आज प्रदोष व्रत और शिव चतुर्दशी का व्रत है। साथ ही आज त्रयोदशी तिथि सायं 07 बजकर 41 मिनट तक उपरांत चतुर्दशी तिथि का आरंभ होगा।
त्रयोदशी तिथि सायं 07 बजकर 41 मिनट तक उपरांत चतुर्दशी तिथि का आरंभ। भरणी नक्षत्र प्रातः 07 बजकर 50 मिनट तक उपरांत कृतिका नक्षत्र का आरंभ। शिव योग पूर्वाह्न 11 बजकर 54 मिनट तक उपरांत सिद्ध योग का आरंभ। कौलव करण अपराह्न 01 बजकर 19 मिनट तक मेष उपरांत वृष राशि पर संचार करेगा।
आज के व्रत त्योहार : प्रदोष व्रत, शिव चतुर्दशी व्रत।
कोई पद मिलता है या कोई प्रशंसा करता है तो स्वभाव में घमंड आने की बुराई से बचें
कहानी – स्वामी रामतीर्थ के आश्रम में एक अंग्रेज आया। उसने स्वामी जी से मिलने के लिए समय लिया था। स्वामी रामतीर्थ का बातचीत करने का अंदाजा निराला था। वह अंग्रेज स्वामी जी के बारे में जानता था। जब अंग्रेज व्यक्ति और स्वामी रामतीर्थ जी की बातचीत शुरू हुई तो स्वामी जी ने पूछा, ‘आप किस उद्देश्य से यहां आए हैं?’
अंग्रेज ने कहा, ‘मैं अमेरिका के कुछ विश्वविद्यालयों का प्रतिनिधि बनकर आपके पास आया हूं। आप जब-जब अमेरिका आते हैं, हम सब आपकी खूब चर्चाएं सुनते हैं। आपके विचारों से और आपकी बुद्धिमानी से हम बहुत प्रभावित हैं। हमने एक निर्णय लिया है कि हम आपको एक मानद उपाधि देना चाहते हैं। आप उसे स्वीकार करें।’
अपनी प्रशंसा सुनकर स्वामी रामतीर्थ हमेशा उस प्रशंसा के दो टुकड़े कर देते थे। प्रशंसा शरीर को सौंप देते और आत्मा को मुक्त कर देते थे। वे कहते थे कि मैं राम हूं, प्रशंसा इस शरीर की हो रही है। कभी-कभी वे कहते थे कि मेरी इतनी प्रशंसा न करो, नहीं तो राम बिगड़ जाएगा। इस तरह वे खुद को प्रशंसा के अलग कर लेते थे।
मानद उपाधि की बात सुनकर स्वामी जी ने मुस्कान के साथ कहा, ‘देखिए, मैं पहले से दो कलंकों से परेशान हूं।’
ये बात सुनकर अंग्रेज के साथ ही वहां बैठे सभी लोग हैरान हो गए। सभी ने कहा कि दो कलंक और वो भी आपके ऊपर?
स्वामी जी बोले, ‘हां, एक तो मेरे नाम के आगे लगा है स्वामी और दूसरा मैंने एम.ए. पास किया है तो कभी-कभी मेरे नाम के पीछ एम.ए. लिख दिया जाता है। अब ये दो डिग्रियां पहले ही मुझे बहुत भारी पड़ती हैं। इन दो डिग्रियों के साथ ही उपाधि, प्रतिष्ठा, कीर्ति, यश ये सब मिलकर हमारे अंदर घमंड बढ़ाते हैं। मुझे लगता है कि बेकार की उपाधियां और प्रशंसा अगर जुड़ जाएं तो हो सकता है कि हम अहंकारी हो जाएं, अहंकार हमारी साधना में बाधा बन सकता है। राम आपको धन्यवाद देता है। आप पधारिए।’
सीख – प्रशंसा या कोई बड़ी सफलता मिले तो उसमें से घमंड को अलग कर देना चाहिए। अहंकार से खुद को बचाना चाहिए। ख्याति या प्रशंसा मिलना बुरी बात नहीं है, लेकिन हमें घमंड नहीं करना चाहिए।
शुक्रवार, दिसम्बर 13, 2024
सूर्योदय: 07:05
सूर्यास्त: 17:26
तिथि: त्रयोदशी – 19:40 तक
नक्षत्र: भरणी – 07:50 तक
क्षय नक्षत्र: कृत्तिका – 05:48, दिसम्बर 14 तक
योग: शिव – 11:54 तक
करण: कौलव – 09:03 तक
द्वितीय करण: तैतिल – 19:40 तक
क्षय करण: गर – 06:18, दिसम्बर 14
पक्ष: शुक्ल पक्ष
वार: शुक्रवार
अमान्त महीना: मार्गशीर्ष
पूर्णिमान्त महीना: मार्गशीर्ष
चन्द्र राशि: मेष – 13:19 तक
सूर्य राशि: वृश्चिक