पंडित उदय शंकर भट्ट
आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार उदया तिथि के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा का पर्व आज 15 दिसंबर 2024 को मनाया जा रहा है। आज के दिन धनु संक्रांति भी मनायी जाएगी। इसी तिथि से मार्गशीर्ष माह के समापन के साथ पौष माह की शुरुआत हो जाएगी।
हमारी सनातन हिन्दू संस्कृति में चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है। वैदिक ऋषियों की मान्यता है पूर्णिमा की तिथि को ब्रह्मांडीय ऊर्जा विशेष रूप से शक्तिशाली होती है, इसीलिए यह तिथि साधक को अंतर्मन में झाँकने और मन के परे जाकर दिव्यता का अनुभव करने का अनूठा सुअवसर उपलब्ध कराती है। इन पूर्णिमा तिथियों में मार्गशीर्ष पूर्णिमा की विशिष्ट महत्ता है क्यूंकि यह तिथि चंद्रमा की पूर्णता का प्रतीक है। विश्वगुरु श्रीकृष्ण श्रीमद्भगवदगीता में स्वयं इसकी महत्ता का महिमामंडन करते हुए कहते हैं, “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्” अर्थात महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूँ। मनीषियों मान्यता है कि चूंकि पूर्णिमा तिथि का मुख्य प्रभाव सृष्टि के जलतत्व पर होता है और मानव देह 70 प्रतिशत जल से निर्मित है;
मार्गशीर्ष माह में योगेश्वर श्रीकृष्ण के जप ध्यान व चंद्रमा को अर्घ्य देने की भारी महिमा हमारे धर्मशास्त्रों में गाई गयी है। श्रीमद्भगवदगीता में श्रीकृष्ण कहते है, “तस्मादसक्तः सततं कार्यं कर्म समाचर।” अर्थात, हमेशा निष्काम भाव से कार्य करो, क्योंकि यही मोक्ष का मार्ग है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा हमें इसी निष्कामता और सच्ची भक्ति की ओर प्रेरित करती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर्व ब्रह्माण्ड की दो मूल शक्तियों भगवान विष्णु और भगवान शिव से भी सम्बद्ध है।
इस दिन श्रीमद्भगवदगीता, विष्णु सहस्त्रनाम और गजेन्द्र मोक्ष का पाठ, ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप सत्यनारायण भगवान की कथा और माँ महालक्ष्मी का पूजन और संध्याकाल चंद्रमा को अर्घ्य विशेष फलदायी होता है।
आज का विचार
लक्ष्य हमेशा सही दिशा में होना चाहिए, कार्य तो दिन-रात दीमक भी करती है, लेकिन निर्माण नहीं, विनाश करती है।
आज का भगवद् चिन्तन
कुछ भूलना भी सीखें
तीव्र स्मरण शक्ति यदि जीवन का वरदान है तो कुछ बातों को विस्मृत करना भी जीवन की एक श्रेष्ठ कला है। जीवन को सब कुछ याद रखकर ही आनंदपूर्ण नहीं बनाया जाता अपितु जीवन को आनंदमय बनाने के लिए बहुत कुछ विस्मृत भी करना पड़ता है। हम बच्चों को बहुत सारी बातें सिखाते हैं लेकिन उनसे कुछ नहीं सीख पाते। बच्चों से भूलने की कला भी हमको सीखनी चाहिए।
हम बच्चों पर गुस्सा करते हैं, उन्हें डांटते भी है लेकिन बच्चे थोड़ी देर बाद उस बुरे अनुभव को भूल जाते हैं। इसी तरह जो बुरा है, जो गलत है, जो कड़वा है, जो स्मृतियाँ आपके जीवन आनंद में विघ्न उपस्थित करने वाली हैं, उसे भूल जाना भी जीवन की एक श्रेष्ठ कला है। जो जितना बुरी स्मृतियों को पकड़ा रहता है, वो उतना ही दुःखों से जकड़ा रहता है। मधुर स्मृतियाँ भी जीवन को मधुरता प्रदान करती हैं।
आज का पंचांग
रविवार, दिसम्बर 15, 2024
सूर्योदय: 07:06
सूर्यास्त: 17:26
तिथि: पूर्णिमा – 14:31 तक
नक्षत्र: मृगशिरा – 02:20, दिसम्बर 16 तक
योग: शुभ – 02:04, दिसम्बर 16 तक
करण: बव – 14:31 तक
द्वितीय करण: बालव – 01:25, दिसम्बर 16 तक
पक्ष: शुक्ल पक्ष
वार: रविवार
अमान्त महीना: मार्गशीर्ष
पूर्णिमान्त महीना: मार्गशीर्ष
चन्द्र राशि: वृषभ – 15:04 तक
सूर्य राशि: वृश्चिक – 22:19 तक