पंडित उदय शंकर भट्ट
आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।
हिन्दी पंचांग का दसवां महीना पौष शुरू हो गया है, ये महीना 13 जनवरी तक रहेगा। ये मास ठंड के दिनों में मार्गशीर्ष के बाद और माघ से पहले आता है। पौष मास में खासतौर पर सूर्य देव की पूजा करने की परंपरा है। इन दिनों में रोज सुबह सूर्य की धूप में बैठने की भी सलाह दी जाती है।
पौष शब्द का शाब्दिक अर्थ है पोषण और पौष मास यानी पोषण करने वाला महीना। इस महीने में सुबह-सुबह सूर्य की किरणें शरीर को ऊर्जा प्रदान करती हैं, शरीर को विटामिन डी मिलता है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है और हम मौसमी बीमारियों से सुरक्षित रहते हैं। सूर्य से हमें स्वास्थ्य लाभ मिल सके, इसलिए पौष मास में सूर्य पूजा करने की परंपरा है। सूर्य के साथ ही इस महीने में भगवान विष्णु की भी भक्ति करनी चाहिए।
सूर्य पूजा से मिलती है ऊर्जा और
सकारात्मकता
पौष मास के प्रमुख देवता सूर्य हैं। सूर्य पंचदेवों में से एक और एकमात्र प्रत्यक्ष दिखाई देने वाले भगवान हैं। पौष मास में सूर्य की पूजा करने से जीवन का अंधकार दूर होता है, समस्याओं का सामना करने की शक्ति बढ़ती है। ऊर्जा और सकारात्मकता मिलती है। सूर्य पूजा करने के कई तरीके हैं। जैसे रोज सुबह सूर्य को अर्घ्य दे सकते हैं, सूर्य मंत्र का जप कर सकते हैं, सूर्य नमस्कार कर सकते हैं और सूर्य देव से जुड़ी चीजें जैसे गुड़, पीले वस्त्रों का दान कर सकते हैं।
आज का विचार
ऐसा नहीं है कि दुःख बढ़ गए है, बल्कि सच्चाई यह है कि सहनशीलता कम हो गयी है। जिसको सहना आ गया उसको रहना आ गया। सबसे अच्छी सुरक्षा विश्वास ओर सबसे बढ़िया दवा हँसी।
आज का भगवद् चिन्तन
प्रेरणा लेना स्वयं
स्वयं के अनुभवों से सीखना बहुत अच्छी बात है लेकिन स्वयं के साथ-साथ दूसरों के जीवन से भी प्रेरणा लेनी सीखनी चाहिए। दूसरों के गलत एवं, सही निर्णय से सीखिए क्योंकि दुनिया में किसी की भी उम्र इतनी लम्बी नहीं होती कि वह हर गलती स्वयं करके स्वयं सीख सके। प्रत्येक प्रयोग को अपने ऊपर करने के पश्चात अपने अनुभवों के आधार पर निर्णय लेने में जीवन बहुत छोटा पड़ जायेगा।
जो लोग दूसरों की गलतियाँ गिनने की अपेक्षा उन गलतियों से सबक लेकर अपने आपको उन गलतियों से दूर रखते हैं निश्चित ही वो समाज में कुछ श्रेष्ठ कर पाते हैं। आवश्यक नहीं कि गड्ढे में गिरकर ही संभल कर चलना सीखा जाये, किसी गिरे हुए को देखकर भी उस गड्ढे से बचकर संभल कर चलने की प्रेरणा ली जा सकती है। जो सबसे सीखते हैं, वो श्रेष्ठ भी बन जाते हैं।
आज का पंचांग
मंगलवार, दिसम्बर 17, 2024
सूर्योदय: 07:08
सूर्यास्त: 17:27
तिथि: द्वितीया – 10:56 तक
नक्षत्र: पुनर्वसु – 00:44, दिसम्बर 18 तक
योग: ब्रह्म – 21:11 तक
करण: गर – 10:56 तक
द्वितीय करण: वणिज – 22:25 तक
पक्ष: कृष्ण पक्ष
वार: मंगलवार
अमान्त महीना: मार्गशीर्ष
पूर्णिमान्त महीना: पौष
चन्द्र राशि: मिथुन – 18:47 तक
सूर्य राशि: धनु