आज का पंचांग: निंदा में भी लाभ ही ढूंढेंगे

पंडित उदय शंकर भट्ट

Uttarakhand

आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है। आज सावन की 25 गते है।

निंदा में भी लाभ ही ढूंढेंगे

क्या आप अपनी निंदा सुनकर बेचैन हो जाते हैं, आवेश में आ जाते हैं? तो एक समझदारी शुरू कर दीजिए। ये लेनदेन की दुनिया है। हम ना चाहते हुए भी हानि-लाभ सीख जाते हैं। पर अब एक लाभ उठाना सीखा जाए और वो है अपनी निंदा से लाभ उठाएं। जैसे ही हमारी कोई निंदा करे, हम तुरंत फायदा ये उठाएं कि इससे क्या सीखा जा सकता है।

इसमें हमारे हित की बात क्या है। कौन-सा सुधार हम कर सकते हैं। और यदि कुछ भी न सूझे तो कम से कम निंदा से निराश न हों। यदि आपको निंदा सहन नहीं होती हो तो एक आदत डालें। प्रतिदिन अलग-अलग विचारों के लोगों से जरूर मिलें। अलग-अलग स्थितियों के बारे में पढ़ें।

जिनके बारे में बिल्कुल जानकारी न हो, उनकी भी थोड़ी-बहुत जानकारी लेते रहें। दुनिया तेजी से बदल रही है। इसलिए आपकी रुचि का विषय ना भी हो, तो भी जानकारी लेने की आदत बनाएं। इस तरह आप विपरीत विचार के लोगों, जिनके बारे में बिल्कुल जानकारी न हो, उनकी भी थोड़ी-बहुत जानकारी लेते रहें। दुनिया तेजी से बदल रही है। इसलिए आपकी रुचि का विषय ना भी हो, तो भी जानकारी लेने की आदत बनाएं। इस तरह आप विपरीत विचार के लोगों, विपरीत परिस्थितियों से बेचैन नहीं होंगे और शायद निंदा सुनने की आदत परिपक्व हो जाएगी। फिर निंदा में भी आप लाभ ही ढूंढेंगे।

आज का पंचांग

शनिवार, अगस्त 10, 2024
सूर्योदय: 05:48 ए एम
सूर्यास्त: 07:05 पी एम
तिथि: षष्ठी – 05:44 ए एम, अगस्त 11 तक
नक्षत्र: चित्रा – पूर्ण रात्रि तक
योग: साध्य – 02:52 पी एम तक
करण: कौलव – 04:31 पी एम तक
द्वितीय करण: तैतिल – 05:44 ए एम, अगस्त 11 तक
पक्ष: शुक्ल पक्ष
वार: शनिवार
अमान्त महीना: श्रावण
पूर्णिमान्त महीना: श्रावण
चन्द्र राशि: कन्या – 04:18 पी एम तक
सूर्य राशि: कर्क

आज का भगवद् चिन्तन

 देवों के देव महादेव

भगवान महादेव ने हर प्रकार की कामनाओं, इच्छाओं और वासनाओं को नष्ट किया है। भगवान शिव बहिर्मुखी नहीं, अंतर्मुखी रहते हैं। अंतर्मुखी रहने वाला साधक ही शांत, प्रसन्नचित्त, परमार्थी, सम्मान की इच्छा से मुक्त, क्षमावान और लोक मंगल के शिव संकल्पों को पूर्ण करने की सामर्थ्य रखता है।

आज का विचार

सफलता के लिए हमारे स्वप्न विशाल होने चाहिए। हमारी महत्वकांक्षा उंची होनी चाहिए। हमारी प्रतिबद्धता गहरी होनी चाहिए और हमारे प्रयत्न बड़े होने चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *