आज का पंचांग: चतुर्थ नवरात्रि की मंगल बधाई

पंडित उदय शंकर भट्ट

आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है। आज चैत्र माह नवरात्र चतुर्थ दिवस है।

आज का पंचांग

सूर्योदय और चंद्रोदय

सूर्योदय का समय05:49 पूर्वाह्न
सूर्यास्त का समय06:14 अपराह्न
चन्द्रोदय का समय07:37 पूर्वाह्न
चन्द्रास्त का समय09:42 अपराह्न

कैलेंडर

तिथिचतुर्थी 🗓️ 02 अप्रैल, 02:32 AM तक
नक्षत्रभरणी 🌌 सुबह 11:06 बजे तक
योगविष्कम्भा 09:48 AM तक 🧘
करणवनीजा 04:04 PM तक 🧘
काम करने के दिनमंगलावाड़ा (मंगलवार) 🪐
पक्षशुक्ल पक्ष🌒

चन्द्र मास, संवत और बृहस्पति संवत्सर

विक्रम संवत2082 कलायुक्त 📅
संवत्सरकलायुक्ता 03:07 PM, अप्रैल 25, 2025 तक 📅
शक संवत1947 विश्वावसु 📅
गुजराती संवत2081 नाला 📅
चन्द्रमासाचैत्र – पूर्णिमांत 🌑
चैत्र – अमंता 🌑

राशि और नक्षत्र

राशिमेष♈ 04:30 PM तक
नक्षत्र पदभरणी 🌌 सुबह 11:06 बजे तक 🌌
वृषभ♉
कृतिका🌌 04:30 PM तक 🌌
सूर्य राशिमीना ♓
कृतिका 🌌 09:55 PM तक 🌌
सूर्य नक्षत्ररेवती🌌
कृतिका 🌌 03:21 AM, अप्रैल 02 तक 🌌
सूर्य पदरेवती 🌌
कृतिका 🌌

रितु और अयाना

द्रिक ऋतुवसंत 🌱
दिनामना12 घंटे 24 मिनट 55 सेकंड ☀️
वैदिक ऋतुवसंत 🌱
रात्रिमना11 घंटे 34 मिनट 02 सेकंड 🌙
ड्रिक अयानाउत्तरायण ⬆️
मध्याह्न12:02 अपराह्न ☀️
वैदिक अयनउत्तरायण ⬆️

आज का विचार

हमारा जीवन सिर्फ ये सोचने में चला जाता है, कि हमारे पास क्या नही है, जबकि जो हमारे पास होता है हम उसका लाभ नही उठा पाते।

आज का भगवद् चिन्तन

चतुर्थ नवरात्रि की मंगल बधाई

दुनिया में केवल शक्ति सम्पन्न होने मात्र से ही कोई भी वन्दनीय नहीं बन जाता है अपितु उस शक्ति का सही व समय पर प्रयोग करने वालों को ही युगों – युगों तक स्मरण रखा जाता है। केवल सामर्थ्यवान होना पर्याप्त नहीं है अपितु उस सामर्थ्य को लोक मंगल एवं लोक कल्याण में लगाना ही जीवन की परम श्रेष्ठता एवं सार्थकता है।

अथाह शक्ति सम्पन्न होने पर भी माँ दुर्गा ने अपनी सामर्थ्य का प्रयोग कभी भी किसी निर्दोष को दण्डित करने हेतु नहीं किया अपितु केवल और केवल आसुरी वृत्तियों के नाश के लिए ही किया। शक्ति का गलत दिशा में प्रयोग ही तो पाप है।

साधन शक्ति सम्पन्न हो जाने पर कायर बनकर चुप बैठ जाना यह भी एक प्रकार से असुरत्व को बढ़ाने जैसा ही है। अपनी समस्त शक्ति व साधनों को मानवता की रक्षा में लगाने की प्रेरणा हमें माँ जग जननी भगवती से लेनी होगी तभी हम माँ के पुत्र कहलाने योग्य होंगे। नवरात्रि के चतुर्थ दिवस में माँ के “कूष्मांडा” स्वरुप का पूजन व वंदन किया जाता है।

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