आज का पंचांग : बुरी आदतों से बचें

पंडित उदय शंकर भट्ट

Uttarakhand

आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।

14 जनवरी से माघ मास शुरू हो गया है, ये महीना 12 फरवरी तक रहेगा। इस महीने में मौनी अमावस्या (29 जनवरी) माघ की गुप्त नवरात्रि (30 जनवरी से शुरू), माघ पूर्णिमा (12 फरवरी) जैसे बड़े व्रत-पर्व आएंगे। इस महीने में नदियों में स्नान, तिल का दान और सूर्य पूजा करने की परंपरा है। जानिए माघ मास की 9 खास परंपराओं के बारे में…

1. नदियों में स्नान करने की परंपरा

माघ मास में गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, प्रयागराज संगम, शिप्रा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। इस मास में नदी स्नान करने की परंपरा को माघ स्नान कहते हैं। जो लोग नदी स्नान नहीं कर पाते हैं, उन्हें घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए।

2. प्रयागराज में कल्पवास करने की परंपरा

अभी प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है। महाकुंभ और माघ मास के योग में श्रद्धालु संगम तट पर कल्पवास करते हैं। कल्पवास एक तरह से आध्यात्मिक व्रत है, इस व्रत में भक्त पूरे माघ मास में प्रयागराज में रहता है और भक्ति करता है। कल्पवास करने वाले भक्त सात्विक भोजन करते हैं। मंत्र जप करते हैं, भगवान की कथाएं पढ़ते-सुनते हैं।

3. तिल-गुड़ का दान करने की परंपरा

माघ मास में दान करने का विशेष महत्व है। इस महीने अनाज, कपड़े, कंबल, तिल-गुड़, घी और धन का दान करने की परंपरा है। तिल का दान माघ मास में खासतौर पर किया जाता है।

4. व्रत और उपवास करने की परंपरा

माघ मास में आने वाली चतुर्थियां, एकादशियां, अमावस्या, पूर्णिमा जैसी तिथियों पर व्रत-उपवास करने की परंपरा है। इस महीने की मौनी अमावस्या पर भक्त मौन रहकर उपवास करते हैं। इन दिनों में भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा करनी चाहिए।

5. माघ मास में रोज करें पंचदेव की पूजा

माघ मास में भगवान विष्णु, शिव, सूर्य, गणेश, और देवी दुर्गा की पूजा रोज करनी चाहिए। इन पांचों को पंचदेव कहा जाता है। किसी भी शुभ काम की शुरुआत में इन पांचों की पूजा की जाती है। सूर्य को अर्घ्य देकर दिन की शुरुआत करनी चाहिए।

6. तिल का दान करें, तिल का सेवन करें

माघ मास में तिल का महत्व काफी अधिक है। तिल के दान के साथ ही तिल का सेवन भी करना चाहिए। इस महीने में तिल का उबटन लगाने और पानी में तिल मिलाकर स्नान करने की भी परंपरा है। तिल-गुड़ से बने लड्डू, तिल-गुड़ की मिठाई और तिल के तेल का लग्नगगगल जागनौरा किया जाना है।

7. रोज सुबह जल्दी उठें और सूर्य को चढ़ाएं जल

माघ मास में सूर्य की पूजा रोज करनी चाहिए। रोज सुबह सूर्योदय से पहले जागना चाहिए और सूर्य को तांबे के लोटे से अर्घ्य चढ़ाना चाहिए। ऐसी प्राचीन परंपरा है।

8. भगवान शिव का करें अभिषेक

माघ मास में शिवलिंग पर रोज जल चढ़ाना चाहिए। शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं, बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल चढ़ाएं। ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जप करें। जिन लोगों ने घर में बाल गोपाल स्थापित कर रखे हैं, उन्हें बाल गोपाल का रोज अभिषेक करना चाहिए और भगवान का विशेष श्रृंगार करना चाहिए।

9. माघ मास में ग्रंथों का पाठ करें

माघ मास में विष्णु सहस्त्रनाम, भगवद्गीता, रामायण, शिव पुराण, विष्णु पुराण, पद्म पुराण जैसे ग्रंथों का पाठ करें

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 बुरी आदतों से बचें

यदि बुरी आदतों को समय रहते सुधारा न गया तो वो किसी भी मनुष्य के लिए एक अभिशाप की तरह उसके अपयश एवं अपकीर्ति का कारण बन जाती हैं। बुरी आदतों का भी अपना एक नशा होता है। समय से इन्हें रोका न गया तो ये भी लत बन जाती हैं। यदि एक बार किसी बुरी आदत कि लत लग गई तो स्वयं को बुरी लगने के बावजूद भी हम उस कार्य को किए बिना रह ही नहीं पायेंगे। हम आदतन उस कार्य को करने के लिए मजबूर हो जायेंगे।

कुछ बुरी आदतें हमारे व्यक्तिगत जीवन को दूषित करती हैं, कुछ सामाजिक जीवन को तो कुछ नैतिक जीवन को भी दूषित करती हैं। अच्छी आदतें अच्छे इंसान को जन्म देती हैं और बुरी आदतें बुरे इंसान को। बुरी आदतों से निरंतर बचने का प्रयास न किया गया तो आपके भीतर कब एक बुरे इंसान ने जन्म ले लिया आपको स्वयं पता नहीं चलेगा। बुरी आदतें ही हमारे प्रगति मार्ग में सबसे बड़ी बाधक होती हैं।

🙏 *जय

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