आज का पंचांग: शुद्ध बनें, बुद्ध बनें

पंडित उदय शंकर भट्ट

आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।

ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष पंचमी, कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082, शक संवत विश्वावसु 1947, ज्येष्ठ |आज है शीतला षष्टी|

आज पंचमी तिथि 08:15 PM तक उपरांत षष्ठी | नक्षत्र पुष्य 09:07 PM तक उपरांत आश्लेषा | वृद्धि योग 10:43 AM तक, उसके बाद ध्रुव योग | करण बव 08:43 AM तक, बाद बालव 08:15 PM तक, बाद कौलव | आज राहु काल का समय 09:04 AM – 10:44 AM है | आज चन्द्रमा कर्क राशि पर संचार करेगा |

  1. विक्रम संवत – 2082, कालयुक्त
  2. शक सम्वत – 1947, विश्वावसु
  3. पूर्णिमांत – ज्येष्ठ
  4. अमांत – ज्येष्ठ

तिथि

  1. शुक्ल पक्ष पंचमी   – May 30 09:23 PM – May 31 08:15 PM
  2. शुक्ल पक्ष षष्ठी   – May 31 08:15 PM – Jun 01 07:59 PM

नक्षत्र

  1. पुष्य – May 30 09:29 PM – May 31 09:07 PM
  2. आश्लेषा – May 31 09:07 PM – Jun 01 09:36 PM

आज का विचार

इच्छाओं का भी अपना अजीब चरित्र होता है, खुद के मन की हो तो बहुत अच्छी लगती हैं। और दूसरों के मन की हो तो बहुत खटकती हैं.

आज का भगवद् चिंतन

शुद्ध बनें, बुद्ध बनें

अंतःकरण को स्वच्छ किये बिना हम परमात्मा को नहीं रिझा सकते हैं। दिखावा दुनिया को रिझाता है लेकिन परमात्मा को रिझाने के लिए मन की निर्मलता ही एक मात्र शर्त है। “निर्मल मन जन सो मोहि पावा” इसका एक सीधा सा अर्थ यह भी हुआ कि जहाँ मन की निर्मलता होती है वहाँ जीवन में देवत्व का उदय भी होने लगता है। मन की शुद्धता में ही बुद्धता का जन्म भी होता है अर्थात जो भीतर से शुद्ध बन गया वो बाहर से बुद्ध बन गया।

प्रदर्शन का बल टिकाऊ नहीं होता वह समय के साथ-साथ क्षीण होने लगता है। प्रदर्शन से दुनियाभर की पहचान तो मिल जाती है लेकिन भीतर की रिक्तता बनी रहती है। हमारा जीवन बाहर से जितने दिखावे का होता है, भीतर से उतना ही अशांत, खिन्न और रिक्त बना रहता है। जहाँ जीवन प्रदर्शन शून्य होता है वहीं से आत्मदर्शन का जन्म होता है। स्वयं के भीतर मुड़ जाना ही परमात्म तत्व से जुड़ जाना भी है।

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