आज का पंचांग : स्वयं में बदलाव

पंडित उदय शंकर भट्ट

आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है। आज भौम प्रदोष व्रत है।

जो लोग अतिरिक्त रूप से योग्य होते हैं, वो अतिरिक्त रूप से अशांत भी हो जाते हैं। ऐसे परेशान लोगों के लिए तुलसीदास जी ने एक तरीका बताया है। अगर वो इसे अपनाते हैं, तो वो योग्यता का लाभ तो उठाएंगे पर उनको हानि नहीं मिलेगी। राम जी के गुरु वशिष्ठ जी ने कहा था- ‘सोइ सर्बग्य तग्य सोइ पंडित। सोइ गुन गृह बिग्यान अखंडित।। दच्छ सकल लच्छन जुत सोई। जाकें पद सरोज रति होई।।’

वही सर्वज्ञ है, तत्वज्ञ है, पंडित है, गुणों का घर है और अखंड विज्ञानवान है, चतुर और सब सुलक्षणों से युक्त है, जिसका आपके चरण-कमलों में प्रेम है। ये पांच बातें जिस किसी के भीतर हों, उसे अतिरिक्त रूप से योग्य मानना चाहिए।

और जब वो अशांत हो तो तुलसीदास जी ने इशारा किया है, ईश्वर के चरणों में प्रेम रखें। इसका मतलब एक ऐसी शक्ति पर भरोसा रखो, जो आपकी सारी योग्यता के ऊपर है। जब सामर्थ्य समाप्त हो जाती है, तो उसकी कृपा शुरू होती है। खूब आगे बढ़िए और शांत भी रहिए।

सूर्योदय और चंद्रोदय

सूर्योदय समय06:11 पूर्वाह्न
सूर्यास्त का समय06:05 अपराह्न
चंद्रोदय समय03:33 अपराह्न
चन्द्रास्त समय05:04 पूर्वाह्न, 12 मार्च

कैलेंडर

तिथिद्वादशी 🌞 08:13 AM तक
नक्षत्रअश्लेषा 🌠 02:15 AM, मार्च 12 तक
योगअतिगांडा 🧘 01:18 PM तक
करणबलवा 📿 08:13 AM तक
काम करने के दिनमंगलावाड़ा 🪐
पक्षशुक्ल पक्ष 🌒

चन्द्र मास, संवत और बृहस्पति संवत्सर

विक्रम संवत2081 पिंगला 🌅
संवत्सरपिंगला 🌅 02:14 PM, अप्रैल 29, 2024 तक
शक संवत1946 क्रोध 😠
गुजराती संवत2081 नाला 🐎
चन्द्रमासाफाल्गुन – पूर्णिमांत 🌕
दायाँ/गेट28 🚪
फाल्गुन – अमंता 🌕

राशि और नक्षत्र

राशिकर्क ♋ 02:15 AM, मार्च 12 तक
नक्षत्र पदअश्लेषा 🌠 07:09 AM तक 🕐
सिम्हा ♌
सूर्य राशिकुंभ ♒
सूर्य नक्षत्रपूर्वा भाद्रपद 🌟
सूर्य पदपूर्वा भाद्रपद 🌟 सुबह 10:46

आज का विचार

उम्मीद हमारी वह शक्ति है, जो हमें उस समय भी प्रसन्न बनाये रखती है जब हमें मालूम होता है, कि हालात बहुत खराब हैं.!

जय सियाराम सुप्रभातम

आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसंपदाम्‌ ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्‌ ॥

मैं इस संसार के प्रिय एवं सुन्दर उन भगवान् राम को बार-बार नमन करता हूँ, जो सभी आपदाओं को दूर करने वाले तथा सुख-सम्पति प्रदान करने वाले हैं |

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।।

(शिव पार्वती से बोले –) हे सुमुखी ! राम- नाम ‘विष्णु सहस्त्रनाम’ के समान हैं | मैं सदा राम का स्तवन करता हूँ और राम-नाम में ही रमण करता हूँ |

॥ श्री सीतारामचंद्रार्पणमस्तु ॥

आज का भगवद् चिन्तन

स्वयं में बदलाव

हमारे जीवन में अशांति, अप्रसन्नता अथवा दु:खों का कारण कोई और नहीं अपितु हम स्वयं हैं। कई बार हमारे द्वारा अपनी अशांति, अपने दुःखों अथवा अपने द्वंदों का कारण दूसरों को मान लिया जाता है। हम जीवन में सुखी तो होना चाहते हैं पर दूसरों को बदल कर, स्वयं को बदल कर नहीं। हम अपनी ऊर्जा का उपयोग दूसरों को समझाने में करते हैं पर स्वयं को नहीं समझा पाते। स्वयं में बदलाव के बिना हमारा जीवन कभी नहीं बदल सकता।

लोग हमें समझें अथवा न समझें पर हमारी समझ में अपना स्वयं का स्वभाव अवश्य आना चाहिए। दूसरे लोग हमें नहीं समझ रहे हैं, यह चिंता का विषय बिल्कुल भी नही है पर हम स्वयं भी अपने आप को नहीं समझ पा रहे हैं तो यह अवश्य विचारणीय विषय है। स्वयं को जानने का प्रयास करो। जो स्वयं को जान लेता है वो अपने जीवन में घटित हो रही बहुत सारी समस्याओं का समाधान भी स्वयं खोज लेता है।

भौम प्रदोष व्रत आज

मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को ही भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है. शिव की पूजा प्रदोष काल में कर लें तो और भी उत्तम होगा. शाम के समय हनुमान चालीसा का पाठ करना भी लाभदायी होगा.
भौम का अर्थ है मंगल और प्रदोष का अर्थ है त्रयोदशी तिथि. मंगलवार को त्रयोदशी तिथि होने से इसको भौम प्रदोष कहा जाता है. इस दिन शिवजी और हनुमान दोनों की पूजा की जाती है.
सूर्यास्त के बाद 45 मिनटों तक और सूर्यास्त से पहले 45 मिनटों तक का समय प्रदोष काल कहलाता है. इस समय भगवान शिव की पूजा की जाती है.
मान्यता है कि प्रदोष के समय महादेव कैलाश पर्वत पर नृत्य करते हैं.
प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा के लिए घी के दीपक जलाए जाते हैं. शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं और आपके अटके हुए कार्य भी संपन्न हो जाते हैं. इस दिन भोलेनाथ की आराधना करने से सभी दुख-दर्द समाप्त होते हैं और इच्छित फल की प्राप्ति होती है.

प्रदोष व्रत की पूजा सूर्यास्त के पश्चात और रात्रि के पहले प्रहर में करना अत्यंत शुभ माना जाता है. इस समय में शिवलिंग का स्नान गंगाजल, दूध, शहद, दही और पंचामृत से करें. शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, भांग, अक्षत, चंदन, फल और फूल अर्पित करें तथा धूप, दीप, नैवेद्य और भस्म से भगवान शिव की आराधना करें.

मान्यता है कि प्रदोष के समय महादेव कैलाश पर्वत के रजत भवन में इस समय नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का स्तवन करते हैं। जो भी लोग अपना कल्याण चाहते हों यह व्रत रख सकते हैं। प्रदोष व्रत को करने से सब प्रकार के दोष मिट जाता है। सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व है।

चंद्र को क्षय रोग था, जिसके चलते उन्हें मृत्युतुल्य कष्टों हो रहा था। भगवान शिव ने उस दोष का निवारण कर उन्हें त्रयोदशी के दिन पुन:जीवन प्रदान किया अत: इसीलिए इस दिन को प्रदोष कहा जाने लगा।

मंगलवार : मंगलवार को आने वाले इस प्रदोष को भौम प्रदोष कहते हैं। इस दिन स्वास्थ्य सबंधी तरह की समस्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है। इस दिन प्रदोष व्रत विधिपूर्वक रखने से कर्ज से छुटकारा मिल जाता है।

प्रदोष रखने से आपका चंद्र ठीक होता है। अर्थात शरीर में चंद्र तत्व में सुधार होता है। माना जाता है कि चंद्र के सुधार होने से शुक्र भी सुधरता है और शुक्र से सुधरने से बुध भी सुधर जाता है। मानसिक बैचेनी खत्म होती है।

पढ़ते रहिए हिमशिखर खबर आपका दिन शुभ हो…

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