आज का पंचांग: हनुमान जी अपने हर पराक्रम का श्रेय श्रीराम को देते हैं

पंडित उदय शंकर भट्ट

Uttarakhand

आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।

हनुमान जी अपने हर पराक्रम का श्रेय श्रीराम को देते हैं

माता सीता का हरण दुष्ट राक्षस रावण द्वारा हो चुका है। श्रीराम और लक्ष्मण उनकी तलाश में वन-वन भटक रहे हैं। इसी क्रम में उनकी मुलाकात हनुमान से होती है, जो सुग्रीव के सलाहकार हैं। हनुमान अपने प्रभु श्रीराम को पहचान लेते हैं तथा उनसे सुग्रीव की मुलाकात करवाते हैं। सुग्रीव अपने भाई बालि द्वारा प्रताड़ित हैं तथा ऋष्यमूक पर्वत पर आकर रहते हैं जहाँ बालि मतंग ऋषि के श्राप की वजह से नहीं आता है। यहीं पर श्रीराम सुग्रीव से मिलते हैं तथा उसे अभय प्रदान करते हैं। सुग्रीव माता सीता की खोज में उनकी सहायता का वचन देता है।

आगे के घटनाक्रम में जाम्बवान सहित वानर सेना माता सीता की खोज में जगह-जगह जाती है। सभी दिशाओं में वानर यूथपति अपनी सेनाओं के साथ अनुसंधान में लग जाते हैं। आखिरकार माता सीता के बारे में संपाती ने बताया कि उन्हें रावण ने लंका की अशोक वाटिका में रखा हुआ तथा उनके चारो ओर विकराल राक्षसी पहरेदारी में मौज़ूद हैं। खैर माता सीता के बारे में सटीक जानकारी तो मिल गयी लेकिन वानर और भालुओं की सेना इस सोच में पड़ गयी कि सामने तो विशाल समुद्र है, उसे लांघा कैसे जाए। आखिरकार समुद्र के पार जाए बिना तो कुछ किया ही नहीं जा सकता है

तरफ दूर-दूर तक फैली हुई अथाह जल राशि वहीं दूसरी ओर गहरी परिखाओं और गगनचुंबी चहारदिवारी से घिरी लंका। चारो ओर निःशब्दता छा चुकी है, सेना जिस उत्साह से आगे बढ़ी थी, उसके कदम यकायक थम से गए। कोई कुछ कहने की स्थिति में नहीं है। मायूसी परिव्याप्त है, सभी निराशा के अंधकार में डूबे हुए हैं। इसी गहन निराशा के क्षण में वयोवृद्ध ऋक्षपति जाम्बवान उठते हैं तथा सुग्रीव के सलाहकार वानर यूथपति पवनपुत्र हनुमान को को संबोधित करते हुए कहते हैं …………..

कहइ रीछपति सुनु हनुमाना। का चुप साधि रहेहु बलवाना॥ पवन तनय बल पवन समाना। बुधि बिबेक बिग्यान निधाना॥

कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं॥ राम काज लगि तव अवतारा। सुनतहिं भयउ पर्बताकारा॥

यानी भक्ति के प्रतीक, दास्यभाव से ओतप्रोत, लक्ष्य के संधान में अपना सब कुछ समर्पित कर देने वाले हनुमान उत्साह तथा शक्ति से भर जाते हैं। राम काज के लिए समुद्र लंघन जैसा अति दुष्कर कार्य करते हैं तथा पराक्रम और वीरता की मिसाल कायम कर देते हैं। हनुमान आदर्श हैं, शक्ति, उत्साह, निःस्वार्थता तथा निष्ठा के। भगवान की भक्ति के अलावा उनके लिए सब कुछ मिथ्या है, तुच्छ है। उनके लिए प्रभु का सानिध्य ही परम ध्येय है। अपने सभी कार्यों से वे बारम्बार यही संदेश देते हैं कि मैं तो कुछ नहीं, जो हैं वही जगत नियंता परमेश्वर हैं और वो स्वयं एक सेवक मात्र हैं जो प्रभु का नाम लेकर सभी दिव्यताओं को वरण करते हैं तथा पुरुषार्थ में लीन रहते हैं

आज का पंचांग

बृहस्पतिवार, जनवरी 2, 2025
सूर्योदय: 07:14
सूर्यास्त: 17:36
तिथि: तृतीया – 01:08, जनवरी 03 तक
नक्षत्र: श्रवण – 23:10 तक
योग: हर्षण – 14:58 तक
करण: तैतिल – 13:48 तक
द्वितीय करण: गर – 01:08, जनवरी 03 तक
पक्ष: शुक्ल पक्ष
वार: गुरुवार
अमान्त महीना: पौष
पूर्णिमान्त महीना: पौष
चन्द्र राशि: मकर
सूर्य राशि: धनु

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