पंडित उदय शंकर भट्ट
आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।
तप से शक्ति
रामकृष्ण के पास एक आदमी आया। रामकृष्ण से कहा कि तुमको लोग परमहंस कहते हैं, अगर असली परमहंस हो तो आओ मेरे साथ, गंगा पर चल कर दिखाओ!रामकृष्ण ने कहा कि नहीं भाई, मैं पानी पर नहीं चल सकता। अगर परमात्मा ने मुझे पानी पर चलने के लिए बनाया होता, तो मछलियों जैसा बनाया होता। उसने जमीन पर चलने के लिए बनाया। उसके इरादे के विपरीत मैं नहीं जा सकता। मगर मैं तुमसे एक सवाल पूछता हूं कि कितना समय लगा तुम्हें पानी पर चलने की यह कला सीखने में?उसने कहा, अठारह साल तपश्चर्या की है! कठिन तपश्चर्या की है! खड्ग की धार पर चला हूं। तब कहीं यह शक्ति हाथ लगी है, यह कोई यूं ही हाथ नहीं लग जाती।
रामकृष्ण कहने लगे, अठारह साल तुमने व्यर्थ गंवाए। मुझे तो जब भी गंगा के उस तरफ जाना होता है तो दो पैसे में मांझी मुझे पार करवा देता है। तो अठारह साल में तुमने जो कमाया उसकी कीमत दो पैसे से ज्यादा नहीं है।शक्ति की जरूरत क्या है? शक्ति की आकांक्षा मूलतः अहंकार की आकांक्षा है। क्या करोगे शक्ति का? लेकिन तप करने वाले लोग इसी आशा में कर रहे हैं तप। सिर के बल खड़े हैं, चारों तरफ आग जला रखी है, नंगे खड़े हैं, भूखे खड़े हैं–इसी आशा में कि किसी तरह शक्ति को पा लेंगे। मगर शक्ति किसलिए? शक्ति तो पोषण है अहंकार का। कोई धन पाने में लगा है, वह भी शक्ति की खोज कर रहा है। और कोई राजनीति में उतरा हुआ है, वह भी पद की खोज कर रहा है, पद शक्ति लाता है। और कोई तपश्चर्या कर रहा है, मगर इरादे वही। इरादों में कोई भेद नहीं।तुम्हारे धार्मिक, अधार्मिक लोग बिलकुल एक ही तरह के हैं। चाहे दिल्ली चलो, यह उनका नारा हो; और चाहे गोलोक चलो; मगर दोनों की खोपड़ी में एक ही गोबर भरा है–शक्ति चाहिए। क्यों? क्या करोगे शक्ति का? चमत्कार दिखलाने हैं!
आज का भगवद् चिन्तन
आभार करना सीखें
जो लोग अपनी गलतियों को निकालने वालों का भी धन्यवाद करने का साहस रखते हैं और अपनी गलतियों से सबक लेकर उनमें सुधार हेतु निरंतर प्रयासरत रहते हैं, उनका जीवन एक दिन दूसरे लोगों के लिए उदाहरण और समाज के लिए आदर्श भी बन जाता है। हमारे अवगुण बताने वाले को हम शत्रु समझने लगते हैं लेकिन वास्तव में वही हमारा सच्चा मित्र है। स्वयं की गलतियों को पहचानना इस दुनिया का सबसे कठिन कार्य है। इसलिए अपनी गलतियों का ध्यान दिलाने वाले के ऊपर क्रोधित होने की अपेक्षा उसका आभार करना सीखिए। यदि वो ईर्ष्यावश भी आपके दोषों को दिखा रहा है तब भी आपका लाभ ही होने वाला है। स्वयं के दोषों को दूर करने की प्रतिबद्धता का साहस ही जीवन के उत्थान मूल है।
सूर्योदय और चंद्रोदय
सूर्योदय समय | 06:06 पूर्वाह्न |
सूर्यास्त का समय | 06:07 अपराह्न |
चन्द्रोदय का समय | 07:57 अपराह्न |
चन्द्रास्त का समय | 07:02 पूर्वाह्न |
कैलेंडर
तिथि | द्वितीया 🗓️ सायं 04:58 बजे तक |
नक्षत्र | ✨ सुबह 11:45 बजे तक |
योग | वृद्धि 🧘 02:49 PM तक |
करण | गैराज 🕐 04:58 PM तक |
काम करने के दिन | रविवाड़ा ☀️ |
पक्ष | कृष्ण पक्ष 🌑 |
चन्द्र मास, संवत और बृहस्पति संवत्सर
विक्रम संवत | 2081 पिंगला 📅 |
संवत्सर | पिंगला 02:14 PM, अप्रैल 29, 2024 तक |
शक संवत | 1946 क्रोधी 🗓️ |
गुजराती संवत | 2081 नला 🗓️ |
चन्द्रमासा | चैत्र – पूर्णिमांत 🌕 |
दायाँ/गेट | 3 🚪 |
फाल्गुन – अमंता | 🌕 |
राशि और नक्षत्र
राशि | कन्या ♍ 17 मार्च, सुबह 01:15 बजे तक |
नक्षत्र पद | ✨ सुबह 11:45 बजे तक |
तुला ♎ | ♎ |
चित्रा ✨ सायं 06:30 बजे तक | ✨ |
सूर्य राशि | मीन ♓ |
सूर्य नक्षत्र | पूर्वा भाद्रपद ✨ |
सूर्य पद | पूर्वा भाद्रपद ✨ |
रितु और अयाना
द्रिक ऋतु | वसंत 🌷 (वसंत) |
दिनामना | 12 घंटे 01 मिनट 06 सेकंड 🕐 |
वैदिक अनुष्ठान | शिशिर ❄️ (शीतकालीन) |
रात्रिमना | 11 घंटे 57 मिनट 51 सेकंड 🕐 |
ड्रिक अयाना | उत्तरायण ☀️ |
मध्य | 12:07 अपराह्न 🕐 |
वैदिक अयन | उत्तरायण ☀️ |