पंडित उदय शंकर भट्ट
आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।
कहते हैं श्रीराम की हर गतिविधि दूसरों के भले के लिए होती है। उनका हर निर्णय परहित से भरा रहता है। श्रीराम अपने भाइयों के साथ अमराई में बैठे थे तो वहां नारद आए। नारद ने श्रीराम की स्तुति करते हुए कहा-मामवलोकय पंकज लोचन। कृपा बिलोकनि सोच बिमोचन ।।
कृपापूर्वक देख लेने मात्र से शोक के छुड़ाने वाले, राम जी, मेरी ओर देखिए। मुझ पर कृपादृष्टि कीजिए। नारद तो कहते हैं देखने मात्र से कृपा करते हैं राम। इसलिए हर रामभक्त को कृपापूर्वक होना चाहिए। दूसरों के भले के लिए खूब सोचिए। हमारे यहां एक दीपदान की परम्परा है।
जब हम किसी जल में दीप छोड़ते हैं तो हम जानते हैं थोड़ी देर में उसे डूबना है। लेकिन दीप वो प्रकाश है, जिसके माध्यम से हम यह तय करते हैं कि हम अपनी क्षमता, योग्यता, अपना ओज और तेज किसी और के लिए प्रवाहित कर रहे हैं। अपने हाथ से दीप छोड़ने का मतलब ही यह है कि अब ये हाथ दूसरों के भले के लिए उठेंगे। इसे ही कहते हैं कृपापूर्वक जीवन जीना।
कैलेंडर
तिथि | द्वितीया 🌒05:31 PM तक |
तृतीया 🌒 | |
नक्षत्र | कृतिका ⭐️06:47 PM तक |
रोहिणी ⭐️ | |
योग | सौभाग्य🙏03:54 PM तक |
शोभना 🙏 | |
करण | बलवा🙏07:19 बजे तक |
कौलव 🙏05:31 PM तक | |
काम करने के दिन | मंगलावाड़ा 🗓️ |
तैतिला 🙏03:48 AM, अप्रैल 30 तक | |
पक्ष | शुक्ल पक्ष 🌒 |
गेराज 🙏 |
चंद्र मास, संवत और बृहस्पति संवत्सर
विक्रम संवत | 2082 कालयुक्त 🙏 |
संवत्सर | कालयुक्त 🙏अपराह्न 03:07 बजे तक, 25 अप्रैल, 2025 |
शक संवत | 1947 विश्वावसु 🙏 |
सिद्धार्थी 🙏 | |
गुजराती संवत | 2081 नाला 🙏 |
चन्द्रमासा | वैशाख – पूर्णिमांत 🙏 |
दायाँ/गेट | 16 🙏 |
वैशाख – अमंता 🙏 |
राशि और नक्षत्र
राशि | वृषभ ♉️ |
नक्षत्र पद | कृत्तिका ⭐️सुबह 08:10 बजे तक ⭐️ |
सूर्य राशि | मेषा ♈️ |
कृत्तिका ⭐️दोपहर 01:28 बजे तक ⭐️ | |
सूर्य नक्षत्र | भरणी ⭐️ |
कृत्तिका⭐️ शाम 06:47 बजे तक ⭐️ | |
सूर्य पद | भरणी ⭐️ |
रोहिणी⭐️12:07 AM तक, अप्रैल 30⭐️ | |
रोहिणी⭐️ ⭐️ |
आज का विचार
जिंदगी में हमेशा उतार चढ़ाव है। हर समय संघर्ष और चुनौतियां है। हमारे पास जो भी है हमें उसमे खुश रहना सीखना चाहिए। जो हमारे पास है ही नहीं है उसके बारे में सोच कर क्यों दुखी होना.
आज का भगवद् चिन्तन
कल में नहीं, आज में जियें
जीवन जितना संतोषी होगा हमारी प्रतिस्पर्धाएँ भी उतनी ही कम होंगी। प्रायः हम भविष्य को सुखमय बनाने के पीछे वर्तमान को दुःखमय बना देते हैं। भविष्य का भय सदैव उनके लिए सताता है जो वर्तमान में भी संतुष्ट नहीं रहते। जिस व्यक्ति को वर्तमान में संतुष्ट रहना आ गया फिर ऐसा कोई दूसरा कारण ही नहीं कि उसे भविष्य की चिंता करनी पड़े।
वर्तमान में जीने का अर्थ है कि कल की प्रतीक्षा न करते हुए प्रतिक्षण पूरी ऊर्जा के साथ जीवन जीना। हमारे जीवन की सारी प्रतिस्पर्धाएँ केवल वर्तमान जीवन के प्रति हमारी असंतुष्टि को ही दर्शाती हैं। समय जब भी आयेगा वर्तमान बनकर ही आयेगा इसलिए पूर्ण सामर्थ्य, निष्ठा, लगन और उत्साह के साथ वर्तमान को जियो ताकि भविष्य स्वतः आनंदमय बन सके।