पंडित उदय शंकर भट्ट
आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।
कैलेंडर
तिथि | तृतीया 01:16 PM तक |
नक्षत्र | अनुराधा पूरी रात तक |
चतुर्थी | |
करण | विष्टि 01:16 PM तक |
योग | व्यतिपात 12:19 पूर्वाह्न, 17 अप्रैल तक |
बावा 02:22 AM, अप्रैल 17 तक | |
वरियाणा | |
बलावा | |
काम करने के दिन | बुधवाड़ा |
पक्ष | कृष्ण पक्ष |
चंद्र मास, संवत और बृहस्पति संवत्सर
विक्रम संवत | 2082 कलायुक्त |
संवत्सर | कालायुक्त 03:07 अपराह्न, 25 अप्रैल 2025 तक |
शक संवत | 1947 विश्वावसु |
सिद्धार्थी | |
गुजराती संवत | 2081 नाला |
चन्द्रमासा | वैशाख – पूर्णिमांत |
दायाँ/गेट | 3 |
चैत्र – अमंता |
राशि और नक्षत्र
राशि | वृश्चिक |
नक्षत्र पद | अनुराधा 09:53 AM तक |
सूर्य राशि | मेशा |
अनुराधा 04:34 PM तक | |
सूर्य नक्षत्र | अश्विनी |
अनुराधा 11:15 PM तक | |
सूर्य पद | अश्विनी |
अनुराधा |
रितु और अयाना
द्रिक ऋतु | वसंत (वसंत) |
दिनामना | 12 घंटे 46 मिनट 34 सेकंड |
वैदिक अनुष्ठान | वसंत (वसंत) |
रात्रिमना | 11 घंटे 12 मिनट 29 सेकंड |
ड्रिक अयाना | उत्तरायण |
मध्य | 11:58 पूर्वाह्न |
वैदिक अयन | उत्तरायण |
आज का विचार
भाग्य के दरवाजे पर सर पीटने से बेहतर है, कर्मो का तूफ़ान पैदा करे, सारे दरवाजे खुल जायेंगे। परिस्थितिया जब विपरीत होती है, तब प्रभाव और पैसा नहीं स्वभाव और सम्बंध काम आते हैं.!
सुख कहां है..?
रूस का एक बहुत बड़ा विचारक मैक्सिम गोर्की अमरीका गया 1920 के करीब। अमरीका में उसे जगह-जगह, जो-जो अमरीका ने मनोरंजन के साधन खोजे थे, वे दिखाए गए। अमरीका ने मनोरंजन के जितने साधन खोजे हैं, दुनिया में किसी ने नहीं खोजे। जो दिखाने वाला था वह सोचता था कि गोर्की बहुत प्रभावित होगा और गोर्की प्रभावित लगता था। सारे साधन देखने के बाद बाहर आकर वह आदमी उत्सुकता से प्रतीक्षा करने लगा, कुछ कहेगा गोर्की। लेकिन गोर्की की आँखो में एक आंसू आ गया। तो उसने पूछा, मामला क्या है, आप इतने उदास क्यों हैं? गोर्की ने कहा कि जिन लोगों को जीने के लिए इतने मनोरंजन के साधनों की जरूरत है वे जरूर दुखी होंगे। दुखी होने ही चाहिए।
दुखी आदमी ही सिनेमा जा रहा है और दुखी आदमी ही शराब-घर जा रहा है और दुखी आदमी ही सर्कस देख रहा है और दुखी आदमी ही क्रिकेट का मैच देख रहा है। ये सब दुखी आदमी हैं। दुखी आदमी को अपने को उलझाने के लिए कोई व्यवस्था चाहिए उस व्यवस्था को वह मनोरंजन कहता है। मन उचाट-उचटा है, भागा-भागा है – कहीं तो लग जाए, किसी भी तरह लग जाए! दुखी आदमी हज़ार इज़ादें कर रहा है कि किसी तरह थोड़ा देर हंस ले।
सुखी आदमी अपने में डूबा होता है। मनोरंजन की जरूरत उन्हें होती है जो दुखी हैं। जो सुखी है उसका तो मन ही खो जाता है,, मनोरंजन की तो बात छोड़ो। मन ही नहीं बचता, मनोरंजन किसका? जो सुखी है वह तो ऐसा लीन होता है ऐसा तल्लीन होता है, ऐसा मस्त होता है अपने होने में, अपना होना इतना पर्याप्त है कि कुछ और चाहिए नहीं। ऐसी परम तृप्ति और परितोष है।
परमात्मा की खोज का इतना ही अर्थ है :कुछ ऐसा हो जाए कि मुझे सुख खोजने मुझसे बाहर न जाना पड़े। परमात्मा शब्द का इतना ही अर्थ है कि कुछ ऐसा हो जाए कि मुझे मेरे सुख के लिए मुझसे बाहर न जाना पड़े; मेरा सुख मेरे भीतर मुझे मिल जाए ;सुख का स्त्रोत झरना मेरे भीतर फूट उठे।
आज का भगवद् चिंतन
विश्वास का बल
स्वयं के पैरों पर विश्वास ही हमें किसी दौड़ में विजेता बनाता है। प्रभु कृपा के बल के साथ ही जीवन के किसी भी क्षेत्र में विजय के लिए स्वयं पर विश्वास होना आवश्यक है। जीवन में सफल होने का एक सीधा सा मंत्र है कि आपकी उम्मीद स्वयं से होनी चाहिए किसी और से नहीं। सूर्य स्वयं के प्रकाश से चमकता है और चन्द्रमा को चमकने के लिए सूर्य के प्रकाश पर निर्भर रहना होता है।
दूसरे के प्रकाश से प्रकाशित होने की उम्मीद रखने के कारण ही चन्द्रमा की चमक कभी ज्यादा, कभी कम तो कभी पूरी तरह क्षीण भी हो जाती है। कमल उतनी ही देर अपना सौंदर्य बिखेरता है जितनी देर उसे सूर्य का प्रकाश प्राप्त होता है। दूसरों से किसी भी प्रकार की उम्मीद छोड़कर प्रभु कृपा के बल का भरोसा बनाए रखकर स्वयं ही उद्यम में लगना होगा ताकि संपूर्ण जीवन प्रसन्नता से जिया जा सके।