आज का पंचांग: प्रार्थना एक भाव दशा

पंडित उदय शंकर भट्ट

Uttarakhand

आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।

सूर्योदय के साथ उठा जाए। यह बात ऋषि-मुनियों ने बहुत सोच- समझकर कही थी। इस समय नई पीढ़ी नींद के विकारों से परेशान है। हालांकि परेशान सिर्फ युवा ही नहीं हैं, बड़े-बूढ़े भी दिक्कत में आ गए हैं।

नींद के साथ सात स्थितियां हैं- पहला जल्दी उठने वाले, दूसरा देर से जागने वाले, तीसरा जल्दी सोने वाले, चौथा देर तक जागने वाले, पांचवां, जो समय पर सोते हैं, पर रात को नींद खुल जाती है। छठवीं स्थिति में रात को नींद आती नहीं और उठने के समय नींद आती है। और सातवें, वो लोग हैं जो पूरी नींद लेते हैं।

अध्ययन से तय हो चुका है कि जो लोग सूर्योदय के साथ उठते हैं, उनके स्वास्थ्य पर अनुकूल असर पड़ता है और धर्म इसमें मदद करता है। हमारे यहां इसे सूर्योदय से इसलिए जोड़ा है क्योंकि जब आप सूर्य से प्रकृति की शक्ति लेते हैं तो भीतर समर्पण भाव, कर्तव्य परायणता उतरेगी, इससे स्वभाव में संतोष आएगा। देर रात तक काम करने वाले रचनात्मक हो सकते हैं पर एक दिन शरीर इसकी कीमत वसूलेगा और मानसिक स्वास्थ्य के खतरे बढ़ेंगे।

आज का पंचांग

सोमवार, अक्टूबर 21, 2024
सूर्योदय: 06:26
सूर्यास्त: 17:45
तिथि: पञ्चमी – 26:29+ तक
नक्षत्र: रोहिणी – 06:50 तक
क्षय नक्षत्र: मॄगशिरा – 29:51+ तक
योग: वरीयान् – 11:11 तक
करण: कौलव – 15:17 तक
द्वितीय करण: तैतिल – 26:29+ तक
पक्ष: कृष्ण पक्ष
वार: सोमवार
अमान्त महीना: आश्विन
पूर्णिमान्त महीना: कार्तिक
चन्द्र राशि: वृषभ – 18:15 तक
सूर्य राशि: तुला

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आज का विचार

अगर आपको जीवन में डर को जीतना है तो हाथ पर हाथ रख कर मत बैठिये, उठिये और अपने आप को उस काम में मशगूल कर लो जो आप पसन्द करते हैं।

 आज का भगवद् चिन्तन

 प्रार्थना एक भाव दशा

प्रार्थना शब्दों से भी हो सकती है लेकिन केवल शब्द कभी भी प्रार्थना नहीं हो सकते हैं। प्रार्थना केवल शब्दों के समूह का नाम नहीं है अपितु प्रार्थना एक भाव दशा का नाम है। प्रार्थना अर्थात वह स्थिति जब हमारे द्वारा प्रत्येक कहे-अनकहे शब्द को प्रभु द्वारा सुन लिया जाता है। प्रभु की प्रत्यक्ष उपस्थिति के अनुभव का नाम ही प्रार्थना है।

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पुकार अर्थात प्रभु से आग्रह, अपेक्षा और किसी चाह विशेष की स्थिति। प्रार्थना हृदय की वह भाव-दशा है जब हमारे पास परम धन्यता और कृतज्ञता के सिवा कुछ और शेष न रहे। जो मिला है उसके लिए प्रत्येक क्षण अहोभाव से हृदय भर उठे और आँखे सजल होकर गोविन्द को याद करने लगे। पुकार में शब्दों की उपस्थिति होती है और प्रार्थना में प्राणों की। जैसे- जैसे शब्द मिटते हैं तो पुकार, प्रार्थना बनती चली जाती है।

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