आज का पंचांग: यही महारास है

आज का पंचांग

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बृहस्पतिवार, अक्टूबर 17, 2024
सूर्योदय: 06:23
सूर्यास्त: 17:49
तिथि: पूर्णिमा – 16:55 तक
नक्षत्र: रेवती – 16:20 तक
योग: हर्षण – 25:42+ तक
करण: विष्टि – 06:48 तक
द्वितीय करण: बव – 16:55 तक
क्षय करण: बालव – 27:04+ तक
पक्ष: शुक्ल पक्ष
वार: गुरुवार
अमान्त महीना: आश्विन
पूर्णिमान्त महीना: आश्विन
चन्द्र राशि: मीन – 16:20 तक
सूर्य राशि: कन्या – 07:52 तक

आज का विचार

जीवन में कभी भी इतना मत बोलिए कि लोग आपके चुप होने की प्रतीक्षा करें बल्कि इतना बोलकर चुप हो जाइये कि लोग आपको दुबारा सुनने की प्रतीक्षा करें।

आज का भगवद् चिंतन

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यही महारास है

महारास अर्थात एक ऐसा महोत्सव जिसमें स्वयं ब्रह्म द्वारा जीव को अपने ब्रह्म रस में डुबकी लगाने का परम सौभाग्यशाली अवसर प्रदान किया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण स्वयं पूर्ण ब्रह्म हैं तो असंख्य गोपियाँ वो साधक हैं जिन्होंने अपने सर्वस्व का त्याग कर केवल उस पूर्ण ब्रह्म का वरण किया है।

शास्त्रों में कहा गया है कि “रसो वै स:” अर्थात परमात्मा रस स्वरूप हैं अथवा जो चराचर जगत में रस तत्व है, वही परमात्मा है। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा उसी आनंद रूप रस का असंख्य गोपिकाओं के मध्य वितरण ही तो रास है। जीवन के अन्य सभी सांसारिक रसों का त्याग कर जीव द्वारा ब्रह्म के साथ ब्रह्मानन्द के आस्वादन का सौभाग्य ही महारास है।

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काम तभी तक जीव को सताता है जब तक जीव जगत में रहे। जगदीश की शरण लेते ही उसका कामभाव स्वतः तिरोहित हो जाता है। श्रीमद् भागवत जी ने कहा कि जीव का जो साधन, काम को मिटाकर राम से मिला दे, वही महारास है।

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