नई टिहरी।
भारत के आध्यात्मिक इतिहास में सुविख्यात गणितज्ञ संन्यासी स्वामी रामतीर्थ की 148 जयंती पर कोटी कालोनी स्थित समाधि स्थल में श्रद्धांजलि देकर श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस दौरान वेदोक्त मंत्रों से हवन में आहुति देकर विश्व मंगल कामना की गई।
शुक्रवार को टिहरी झील के निकट स्वामी रामतीर्थ समाधि स्थल में हवन-पूजन किया। टिहरी राज परिवार सदस्य ठाकुर भवानी प्रताप सिंह ने कहा कि भारतीय समाज के जागरूक प्रहरी स्वामी रामतीर्थ ने संपूर्ण मानव जाति को देशप्रेम की भावना, समाजवादी विचारधारा, नारी उत्थान, बाल विवाह, जनसंख्या की वृद्धि की रोक-थाम के उपाय आदि उदात भावनाओं से परिचित कराया, जिसके लिए दीर्घकाल तक भारतीय समाज उनका ऋणी रहेगा। स्वामी रामतीर्थ ने विदेशों में जाकर भारतीय संस्कृति और अध्यात्मवाद का शंखनाद किया।
पंडित हर्षमणि बहुगुणा ने कहा कि देश की गुलामी के दौर में स्वामी रामतीर्थ ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में लोगों में राष्ट्रीयता की भावना को जाग्रत किया। साथ ही भारतीयों में सच्ची राष्ट्रीयता भरने के विचार से वह शंखनाद किया, जो शताब्दियों तक इस जगत तल पर गुंजायमान रहेगा।
गोपाल बहुगुणा ने कहा कि स्वामी रामतीर्थ ने जाति-पांति, ऊंच-नीच, निज एवं पर की भावना का सदा बहिष्कार किया। उन्होंने मानवता का मसीहा बनकर मानव समाज को व्यावहारिक वेदांत से परिचित कराया और सही मार्गदर्शन देकर महान कल्याण की ओर अग्रसर किया। स्वामी जी ने युवकों के शरीर निर्माण पर विशेष ध्यान देने की बात कही।
सुशील कुमार बहुगुणा और विनोद चंद बहुगुणा ने कहा की स्वामी रामतीर्थ हमारे देश के एक महान संत, देशभक्त, कवि और शिक्षक थे। उन्होंने अपने आध्यात्मिक और क्रांतिकारी विचारों से भारतवासियों को ही नहीं, बल्कि अमेरिका और जापान के लोगों को भी अत्यंत प्रभावित किया और संसार में भारत का नाम ऊंचा किया।