तुला संक्रांति आज:स्नान, दान और सूर्य ध्यान से बढ़ती है आयु

Uttarakhand

पंडित उदय शंकर भट्ट

आज रविवार को तुला संकांति है। जब सूर्य कन्या से तुला राशि में प्रवेश करता है तो इसे तुला संक्रांति कहते हैं। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। अगर आज किसी नदी में स्नान करना संभव न हो तो घर पर सभी पवित्र नदियों का और तीर्थों का ध्यान करते हुए स्नान कर सकते हैं। पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है। ऐसा करने से भी नदी में स्नान करने के बराबर पुण्य मिल सकता है। स्नान के बाद सूर्य मंत्रों का जाप करते हुए सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए।

सूर्यदेव पंचदेवों में से एक हैं। रोज सुबह स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। इस काम से धर्म लाभ के साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं। सूर्य को जल चढ़ाने से त्वचा की चमक बढ़ती है, आलस्य दूर होता है, आंखों की रोशनी बढ़ती है।

भविष्य पुराण के ब्राह्म पर्व में श्रीकृष्ण और उनके पुत्र सांब के संवाद बताए गए है। ब्राह्म पर्व में श्रीकृष्ण ने सांब को सूर्यदेव के बारे ज्ञान दिया था। श्रीकृष्ण ने सांब को बताया, ‘सूर्यदेव एकमात्र प्रत्यक्ष दिखाई देने वाले देवता हैं। जो व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति के साथ सूर्यदेव की पूजा करता है, उसे अच्छे स्वास्थ्य के साथ ही सौभाग्य मिलता है।’

श्रीकृष्ण कहते हैं, ‘मैंने भी सूर्य की पूजा की है और इसी के प्रभाव से उन्हें दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई है।’

आज भी अगर कोई व्यक्ति पूरी श्रद्धा के साथ रोज सूर्य की पूजा करता है तो उसे शुभ फल मिलते हैं। भविष्य पुराण के अनुसार सरल विधि से कैसे करें सूर्य पूजा…

Uttarakhand

रोज सुबह स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करें। इसके लिए तांबे के लोटे में पानी भरें। लोटे में चावल, फूल डालें, इसके बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। इस दौरान सूर्य मंत्रों का जाप करना चाहिए। मंत्र जाप के साथ शक्ति, बुद्धि, स्वास्थ्य और सम्मान प्राप्त करने की कामना करें। आप चाहें तो धूप, दीप से सूर्यदेव की आरती भी कर सकते हैं।

 संक्रांति पर करें सूर्य की चीजों का दान

तुला संक्रांति पर सूर्य से संबंधित चीजें जैसे तांबे का बर्तन, पीले या लाल कपड़े, गेहूं, गुड़, माणिक्य, लाल चंदन आदि का दान किया जा सकता है।

सूर्यदेव ने हनुमान जी को दिया था ज्ञान

Uttarakhand

सूर्यदेव हनुमान जी के गुरु भी हैं। जब बाल हनुमान शिक्षा ग्रहण के योग्य हुए, तब वे ज्ञान प्राप्त के लिए सूर्यदेव के पास पहुंचे। सूर्यदेव ने उन्हें बताया कि मैं एक पल के लिए भी कहीं रुक नहीं सकता, अपने रथ से भी उतर नहीं सकता, ऐसे मैं तुम्हें ज्ञान कैसे दे सकता हूं? तब हनुमान जी ने कहा था कि मैं आपके चलते-चलते ज्ञान प्राप्त करूंगा। इस बात के लिए सूर्य देव राजी हो गए और उन्होंने हनुमान जी को सभी वेदों का ज्ञान दिया।

Uttarakhand

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *