केंद्रीय कृषि मंत्री ने प्रदान किए पादप जीनोम संरक्षक पुरस्कार

नई दिल्ली

Uttarakhand

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि देश में कृषि क्षेत्र में अनुसंधान का अभूतपूर्व कार्य हुआ है, जो तेजी से आगे बढ़ रहा है। देश में कृषि की प्रधानता है जो हमारे मन में भी है। इसकी प्रगति के लिए इस क्षेत्र को नए आयामों से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है, जिसके लिए सरकार सारे प्रयत्न कर रही है। अनेक योजनाएं व कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों को लाभान्वित किया जा रहा है।

तोमर ने यह बात आज पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण द्वारा आयोजित पादप जीनोम संरक्षक समुदाय पुरस्कार, कृषक पुरस्कार व कृषक मान्यता पुरस्कार वितरित करते हुए कही। ये पुरस्कार किसानों और किसानों के समुदायों को दिए जाने वाले सर्वोच्च पुरस्कारों में से एक है, जो उन्हें प्रदान किए जाते है जिन्होंने पौधों के आनुवंशिक संसाधनों का संरक्षण किया है और चयन की गई व परिरक्षित सामग्री का  पंजीकरण किए जाने योग्य किस्मों में जीन के दाता के रूप में उपयोग किया हो।

कार्यक्रम में तोमर ने कहा कि सरकार किसानों को आय सहायता दे रही है, वहीं गांव-गांव इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के प्रयत्न किए जा रहे हैं, साथ ही किसानों को पर्याप्त अल्पकालिक ऋण मुहैया कराया जा रहा है। हमारे कृषि वैज्ञानिक समयानुकूल व आवश्यकतानुरूप कुशलता से अनुसंधान कर रहे है एवं फसलों की ऐसी नई किस्में ईजाद की जा रही है जो जलवायु तथा पर्यावरण के अनुकूल हो। श्री तोमर ने कहा कि परंपरागत पौध किस्में हमारी विरासत है, जिनकी भले ही कम उपलब्धता हो लेकिन इनकी ताकत बहुत ज्यादा है, इनका संरक्षण व पोषण किया जा रहा है। इस दृष्टि से देश में कानून व प्राधिकरण बनाया गया है।

पादप जीनोम संरक्षक समुदाय पुरस्कार वर्ष 2016-17 से वर्ष 2019-20 के लिए दिए गए। प्रत्येक पुरस्कार में प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह और दस लाख रुपये नकद दिए गए। पुरस्कार निम्नलिखित कृषक समुदाय को प्रदान किए गए हैं- कलसुबाई परिसर बियाने संवर्धन सामाजिक संस्था (अकोले, महाराष्ट्र), नट्टू मंचोटिल एजुकेशनल एंड इंडिजिनियस फ्रूट प्लांट्स कंजर्वेशन एंड रिसर्च ट्रस्ट (कन्नूर, केरल), लाल चावल किसान  रोहड़ू (शिमला, हिमाचल प्रदेश), दंसुरी अग्रिल फ़ार्मिंग को-आपरेटिव सोसाइटी (असम), भूमि सस्टेनेबल डेवलपमेंट सोसायटी (कर्नाटक)।

पादप जीनोम संरक्षक कृषक पुरस्कार (वर्ष 2017-18 से वर्ष 2019-20): प्रत्येक पुरस्कार में प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह और डेढ़ लाख रुपये नकद दिए गए, जो इन्हें मिले- बंधन उराव (झारखंड), ममताबाई देवराम भांगरे व दतात्रेय नानासाहेब (महाराष्ट्र), दीनदयाल यादव, संजय प्रकाश चौधरी, लिंगूराम ठाकुर व हेत्रम देवांगन (छत्तीसगढ़), एस. बोरेगौड़ा व  एम.वी. प्रकाश राव मंचले, मोहम्मद इदरीस अहमद कादरी,  कटराहल्ली कलप्पा व पूनाचा एन. (कर्नाटक), सत्यनारायण बेलेरी (केरल), वल्लभभाई वासरामभाई मरवानिया (मरणोपरांत) (गुजरात), प्रेम सिंह चौहान (हिमाचल प्रदेश)।

पादप जीनोम संरक्षक कृषक मान्यता (वर्ष 2017-18 से वर्ष 2019-20): प्रत्येक पुरस्कार में प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह और एक लाख रुपये नकद प्रदान किए गए, इनके विजेता है- एस.एस. परमेश, श्रीनिवास मूर्ति,  शिवगौड़ा एम.  पाटिल व के.टी. वेदमूर्ति (कर्नाटक), आलोक कुमार दास (पश्चिम बंगाल), श्री कल्लुवेलिलवेर्की जॉर्ज व रेजी जोसेफ (केरल) तथा श्री बोलोराम सरोंगसा (असम)।

तोमर ने किसानों की किस्मों के संग्रह का विमोचन किया व संरक्षित पौधों को पानी दिया। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री सुश्री शोभा करंदलाजे विशेष अतिथि थी। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा. त्रिलोचन महापात्र, कृषि एवं बागवानी आयुक्त डा. एस.के. मल्होत्रा, अपर सचिव विवेक अग्रवाल, कृषि वैज्ञानिक आर.बी. सिंह सहित अन्य गणमान्यजन मौजूद थे। प्राधिकरण के अध्यक्ष डा. के.वी. प्रभु ने स्वागत भाषण दिया। प्राधिकरण के सदस्य व कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव अश्विनी कुमार ने आभार माना।

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