उत्पन्ना एकादशी आज: विश्राम कर रहे भगवान विष्णु को मारना चाहता था मूर असुर, देवी एकादशी ने किया था मूर का वध

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पंडित उदय शंकर भट्ट

Uttarakhand

आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है। आज (26 नवंबर) अगहन मास (मार्गशीर्ष) के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। माना जाता है कि इस दिन देवी एकादशी प्रकट हुई थीं। इस तिथि पर देवी एकादशी उत्पन्न हुई थीं, इस कारण इसका नाम उत्पन्ना एकादशी पड़ा। आज भगवान विष्णु के लिए व्रत और विशेष पूजा करनी चाहिए।

उत्पन्ना एकादशी का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। वैसे तो प्रत्येक एकादशी का अपना धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है, लेकि इसे सभी एकादशी में सबसे खास माना जाता है। इस शुभ अवसर पर भक्त पूरी श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु के लिए उपवास रखते हैं और प्रार्थना करते हैं। पंचांग को देखते हुए उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है।

मान्यता है कि यदि आप एकादशी का व्रत रखतें हैं, तो आपको उसकी व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए, क्योंकि माना जाता है कि इसके बिना व्रत सफल नहीं होता है। एकादशी व्रत की कई कथाएं प्रचलित हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, सतयुग में एक राक्षस था जिसका नाम नाड़ीजंघ और उसके पुत्र का नाम मुर था। मुर एक बहुत ही शक्तिशाली राक्षस था, जिसने अपने पराक्रम के बल पर इंद्र से लेकर यम और अन्य सभी देवताओं पर विजय प्राप्त कर ली थी। इस समस्या से मुक्ति पाने के लिए सभी देवतागण शिव जी की शरण में पहुंचे और उन्हें अपनी सारी व्यथा सुनाई। भगवान शंकर ने देवताओं को इस मुश्किल का हल ढूंढने के लिए विष्णु जी के पास जाने के लिए कहा। इसके बाद सभी देवता अपनी श्री हरि की शरण में पहुंचे और विस्तार से उन्हें सारी बात बताई ।

देवताओं को इस समस्या निकालने के लिए भगवान विष्णु मुर को पराजित करने के लिए रणभूमि में पहुंच, जहां मुर देवताओं से युद्ध कर रहा था। भगवान विष्णु जी को देखते ही मुर ने उन पर भी प्रहार किया। माना जाता है कि मुर और भगवान विष्णु का युद्ध 10 हजार वर्षों तक चला। विष्णु जी ने अनेकों प्रहार के बाद भी दैत्य मुर नहीं हारा था।

युद्ध करते हुए जब भगवान विष्णु थक गए, तो वह बद्रिकाश्रम गुफा में जाकर विश्राम करने लगे। इसपर दैत्य मुर भी उनका पीछा करते हुए उस गुफा में पहुंच गया। इसके पश्चात जब उसने श्री हरि पर वार करने के लिए हथियार उठाया, तभी भगवान विष्णु के शरीर से एक कांतिमय रूप वाली देवी प्रकट हुईं और उन्होंने मुर राक्षस का वध कर दिया। मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को जन्म होने के कारण इन देवी का नाम एकादशी पड़ गया। इसके साथ ही एकादशी के दिन उत्पन्न होने के कारण इन देवी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं कि एकादशी व्रत कथा का पाठ करने से सभी समस्याओं का अंत होता है और श्री हरि विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

आज का विचार

रिश्ते निभाने के लिए वक्त की नहीं, चाहत की जरूरत होती है। जब मन में चाहत होती है, वक्त की कोई कमी नहीं होती है।

 आज का भगवद् चिन्तन

सुलझना सीखिये

दूसरों को जीतने के लिए बल का प्रयोग नहीं अपितु प्रेम का उपयोग करें। किसी को बलपूर्वक हराकर जीतना आसान है लेकिन उनसे प्रेमपूर्वक हार जाना कई गुना श्रेष्ठ है। जो टूटे को बनाना और रूठे को मनाना जानता है, वही तो बुद्धिमान है। वर्तमान समय में हमारे आपसी संबंधों में मतभेद का प्रमुख कारण ही यह है कि हम दूसरों को प्रेम की शक्ति से नहीं अपितु बल की शक्ति से जीतना चाहते हैं।

घर-परिवार में भी आज सुनाने को सब तैयार हैं पर सुनने को कोई तैयार ही नहीं है। दूसरों को सुनाने की अपेक्षा स्वयं सुन लेना भी हमारे आपसी संबंधों की मजबूती के लिये अति आवश्यक हो जाता है। अपने को सही साबित करने के लिए पूरे परिवार को ही अशांत बनाकर रख देना कदापि उचित नहीं। घर-परिवार में जितना हम एक दूसरे को समझेंगे उतने हमारे आपसी संबंध भी सुलझेंगे।

आज का पंचांग

मंगलवार, नवम्बर 26, 2024
सूर्योदय: 06:53 ए एम
सूर्यास्त: 05:24 पी एम
तिथि: एकादशी – 03:47 ए एम, नवम्बर 27 तक
नक्षत्र: हस्त – 04:35 ए एम, नवम्बर 27 तक
योग: प्रीति – 02:14 पी एम तक
करण: बव – 02:25 पी एम तक
द्वितीय करण: बालव – 03:47 ए एम, नवम्बर 27 तक
पक्ष: कृष्ण पक्ष
वार: मंगलवार
अमान्त महीना: कार्तिक
पूर्णिमान्त महीना: मार्गशीर्ष
चन्द्र राशि: कन्या
सूर्य राशि: वृश्चिक

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