देहरादून।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में सचिवालय में उत्तराखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड की 17 वीं बैठक संपन्न हुई। जिसमें सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम के लिए रोपवे, गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब रोपवे सहित विभिन्न प्रकरणों के वन भूमि हस्तांतरणों पर विचार विमर्श किया गया। यह भी निर्णय लिया गया कि मानव-वन्यजीव संघर्ष शमन उत्कृष्टता केंद्र और वन्यजीव स्वास्थ्य उत्कृष्टता केंद्र की प्रदेश में स्थापना की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के विकास में वन विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका है। वन संरक्षण, वन्यजीव संरक्षण और प्रकृति संरक्षण बहुत जरूरी है। साथ ही राज्य का विकास भी जरूरी है। हमें इकोलोजी और ईकोनोमी में समन्वय बनाकर चलना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में मानव वन्यजीव संघर्ष को रोकने पर प्राथमिकता से काम करना है। खासतौर पर खेती को बंदरों से बचाने के लिये यथासंभव तकनीक का उपयोग किया जाए। इसका कोई स्थायी समाधान खोजा जाए। हरेला पर्व पर विशेष तौर पर अधिक से अधिक फलदार पेड़ लगाए जाएं। हरेला पर्व केवल वन विभाग तक सीमित न रहे, इसे जन-जन का उत्सव बनाना है। स्थानीय समुदायों के सहयोग से प्राइमरी रेस्पोंस टीमों का गठन किया जाएगा, जो वन व वन्य जीव संरक्षण के साथ ही वनाग्नि को रोकने पर भी काम करेंगी।
बैठक में वन मंत्री सुबोध उनियाल, मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, पीसीसीएफ विनोद कुमार सिंघल, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, सचिव दिलीप जावलकर सहित कई अधिकारी उपस्थित थे।