महीने का पहला पर्व: सूर्योदय व्यापिनी होने से चैत्र महीने की स्नान-दान करने वाली अमावस्या आज, ये आसान 5 काम करने से मिलेगी मां लक्ष्मी की कृपा

हिमशिखर खबर ब्यूरो

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चैत्र मास की अमावस्या 31 मार्च दोपहर से शुरू हो गई थी। जो आज 1 अप्रैल तक रहेगी। अमावस्या तिथि इसलिए दोनों दिन मानी जाएगी। 31 मार्च को श्राद्ध अमावस्या थी। आज स्नान-दान अमावस्या है। ज्योतिषियों के मुताबिक 1 अप्रैल को सर्वार्थसिद्धि और अमृतसिद्धि योग रहेगा। जिस कारण इस दिन किए गए कामों का पुण्य दोगुना हो जाएगा। इस दिन तीर्थों में स्नान, दान और शांति पाठ कराने से चंद्र ग्रह बलवान होता है, जिससे मनोकामना पूरी होती है। वहीं, कुछ उपाय कर मां लक्ष्मी को भी प्रसन्न किया जा सकता है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार अमावस्या तिथि पर पवित्र नदी में स्नान, पूजन और जाप की परंपरा है। अमावस्या के दिन गंगा स्नान कर पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। साथ ही पितरों के निमित्त दान से पितर संतुष्ट होते हैं। यह तिथि पितृ दोष से मुक्ति के लिए शुभ मानी गई है। अमावस्या के दिन पवित्र नदियों और सरोवर में स्नान कर तिल तर्पण भी करना चाहिए। आज  सूर्योदय व्यापिनी अमावस्या होने से इस दिन देवताओं की प्रसन्नता के लिए व्रत, तुलसी या पीपल की परिक्रमा, तीर्थों में स्नान और श्रद्धा अनुसार दान करना शुभ रहेगा। आज 1 अप्रैल को ही दोपहर बाद प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी। लेकिन ये सूर्योदय व्यापिनी नहीं है। इसलिए हिंदू नववर्ष की शुरुआत 2 अप्रैल को होगी।
1. अमावस्या तिथि पर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और गीता का पाठ करें। इससे मनोकामना पूरी हो सकती है।
2. अमावस्या तिथि पर सूर्यदेव को तांबे के लोटे से जल अर्पण करें। लोटे में लाल चंदन और लाल फूल भी डालें। इससे सूर्यदेवता प्रसन्न होते हैं। वह पितृ दोष के अशुभ प्रभाव में कमी आती है।
3. इस दिन गायों को हरा चारा खिलाएं। किसी जरूरतमंद को दान दें।
4. अमावस्या पर पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं। अगर संभव हो सके तो शुद्ध घी का दीपक लगाएं। इससे घर के सदस्यों को शुभ फलों की प्राप्ती होती है।
5. अगर किसी नदी में स्नान करने नहीं जा सकते हैं। तब घर पर ही गंगाजल या अन्य तीर्थ स्थान का जल पानी में मिलाकर स्नान करें।

भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करने से मिलेगा विशेष फल

पीपल के पेड़ में पितर और सभी देवों का वास होता है। इसलिए अमावस्या के दिन जो दूध में पानी और काले तिल मिलाकर सुबह पीपल को चढ़ाते हैं, उन्हें पितृदोष से मुक्ति मिल जाती है। इसके बाद पीपल की पूजा और परिक्रमा करने से सभी देवता प्रसन्न होते हैं। ऐसा करने से पाप भी खत्म हो जाते हैं।

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ग्रंथों में बताया गया है कि पीपल की परिक्रमा करने से महिलाओं का सौभाग्य भी बढ़ता है। इसलिए शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत भी कहा गया है। इस दिन माता पार्वती और भगवान शंकर का अभिषेक और पूजा करने से विशेष फल मिलता है।

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