कुलपति प्रो. परविंदर कौशल बोले-क्षमतावान फसलें किसानों के लिए वरदान, कम लागत में ज्यादा मुनाफा

हिमशिखर खबर ब्यूरो

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चंबाक्षमतावान फसलों को बढ़ावा देने के लिए औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय भरसार के वानिकी महाविद्यालय रानीचौरी में प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हुआ। जिसमें किसानों की आमदनी को आसानी से दोगुना करने की जानकारी दी गई।

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वानिकी महाविद्यालय रानीचौरी में जलवायु परिर्वजन के सापेक्ष क्षमतावान फसलों की उत्पादन तकनीकी एवं प्रसंस्करण विषय पर आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ वीर चंद्र सिंह गढ़वाली औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय भरसार के कुलपति प्रो.परविंदर कौशल ने दीप प्रज्जवलन कर किया। कहा कि क्षमतावान फसलें जैसे रामदाना, कुट्टू, भंगजीर, किनोवा आदि किसानों के लिए वरदान हैं। इसमें कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है। उन्होंने किसानों की आय बढ़ाने सम्बन्धित सम्भावनाओं, खेती में महिलाओं का योगदान, कोविड में क्षमतावान फसलों का दवाओं की तरह उपयोग तथा पलायन रोकने में क्षमतावान फसलों को बढ़ावा दिये जाने पर जोर दिया। निदेशक शोध डा0 अमोल वशिष्ठ ने क्षमतावान फसलों के उपयोग का स्वास्थ्य में महत्व को रेखांकित किया। वानिकी महाविद्यालय अधिष्ठाता प्रो वीपी खंडूरी ने बताया कि जियो-टैगिंग का उपयोग कर फसलों के उत्पादों से अधिक लाभ कमाया जा सकता है। सह निदेशक प्रसार डा0 अरविन्द बिजल्वाण ने रामदाना, कुट्टू के उपयोग को बढ़ानेे पर जोर दिया। सेवा इंटरनेशनल की प्रतिनिधि गीता देवी ने आदिवासी समुदाय के बीच चमोली जिले में किये जा रहे कार्यों का विवरण दिया। प्रभारी अधिकारी कृषि विज्ञान केन्द्र, टिहरी गढ़वाल, डा0 आलोक येवले ने दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। प्रशिक्षण में चमोली जिले के विकासखण्ड जोशीमठ के तपोवन, झौंज, पैंग, रिंगी आदि ग्रामों से 17 महिला किसानों ने प्रतिभाग किया। परियोजना के वैज्ञानिकों डा0 अजय कुमार व डा0 अरूणिमा पालीवाल ने महिला किसानों को धन्यवाद ज्ञापित किया।

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