नई दिल्ली
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आज चिकित्सा व्यवसाय में जनशक्ति की कमी की समस्या का तत्काल समाधान करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी ने प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक स्तर पर स्वास्थ्य के हमारे बुनियादी ढांचे के विस्तार की आवश्यकता को उजागर किया है।
सिद्धार्थ मेडिकल कॉलेज, विजयवाड़ा में नई इकाइयों और अत्याधुनिक उपकरणों का उद्घाटन करने के बाद चिकित्सा (मेडिकल) छात्रों और शिक्षकों के साथ बातचीत करते हुए, उपराष्ट्रपति ने प्रसन्नता व्यक्त की कि भारत वर्ष 2024 तक प्रति 1,000 लोगों पर एक चिकित्सक के विश्व स्वास्थ्य सन्गठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा अनुशंसित अनुपात को प्राप्त करने की राह पर अग्रसर है।
इस बात पर अफसोस जताते हुए कि चिकित्सा व्यवसाय का पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बाजारीकरण हो गया है, उन्होंने उभरते चिकित्सा स्नातकों को सलाह दी कि वे अपने रोगियों का उपचार करते समय मानवीय स्पर्श दें । “चिकित्सा सबसे महान व्यवसायों में से एक है और आप सभी को हमेशा हिप्पोक्रेट्स शपथ के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि “कभी भी भलाई के मार्ग से विचलित न हों और उच्चतम नैतिक और नैतिक मानकों को बनाए रखें, ”।
सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के क्षेत्र में भारत की सामर्थ्य का पूरी तरह से लाभ उठाने की आवश्यकता पर बल देते हुए नायडू ने दुर्गम ग्रामीण क्षेत्रों में टेलीमेडिसिन संपर्क (कनेक्टिविटी) स्थापित करने सहित विभिन्न क्षेत्रों में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) को बढ़ावा देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि टेलीमेडिसिन ग्रामीण भारत में लागत कम करने और पहुंच में सुधार करने में मदद करेगा और यह विश्वास व्यक्त किया कि हाल ही में शुरू किया गया आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन एक कुशल और समावेशी सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा की पहुंच प्रदान करने के लिए आवश्यक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में सहायक बनेगा ।
ग्रामीण क्षेत्रों में जनशक्ति की कमी को देखते हुए उपराष्ट्रपति ने राजकीय सेवा के चिकित्सकों को पहली पदोन्नति देने से पहले उनके लिए ग्रामीण सेवा को अनिवार्य बनाने का सुझाव दिया। उन्होंने इसके लिए प्रोत्साहन देकर और आवास और अन्य बुनियादी ढांचे में सुधार करके ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक डॉक्टरों को आकर्षित करने की आवश्यकता भी स्वीकारी ।
स्वास्थ्य पर व्यक्ति की क्षमता से बहुत अधिक व्यय होने पर चिंता व्यक्त करते हुए नायडू ने स्वास्थ्य सेवा को सभी के लिए वहनीय (सस्ता) और सुलभ बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। इस संबंध में उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र पर सरकार की ओर से सार्वजनिक खर्च बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया । उन्होंने कहा, “साथ ही, मैं स्वास्थ्य क्षेत्र के निजी खिलाड़ियों से भी लोगों को वहन योग्य अत्याधुनिक उपचार के तौर-तरीके उपलब्ध कराने के लिए सरकार के साथ हाथ मिलाने का आग्रह करूंगा।”