विजयादशमी का अर्थ है काम, क्रोध आदि दस शत्रुओं पर विजय का अनुष्ठान : डॉ. ध्यानी

देशभर में आज विजयादशमी की धूम है। इस मौके पर कुलपति, श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय एवं उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने देशवासियों को विजयादशमी की शुभकामनाएं दी हैैं।


डॉ. पी.पी. ध्यानी

Uttarakhand

कुलपति, श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय एवं उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय


विजयादशमी असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की विजय का पर्व है। यह श्रीराम के रावण पर विजय का पर्व है। यह राजा की नहीं, राम की विजय है, संस्कार की विजय है, इसलिए वास्तविक विजय है और यह पर्व सच्चे अर्थों में भारत के जन-जन का विजय पर्व है।

Dr P. P. Dhyani

विजयदशमी केवल एक पर्व मात्र नहीं है, यह प्रतीक है – सच, साहस, अच्छाई, बुराई, नि:स्वार्थ सहायता, मित्रता, वीरता और सबसे बढ़कर अहंकार जैसे अलग-अलग भले-बुरे तत्वों का। अच्छाई की बुराई पर जीत का वाक्य हर वक्त लागू होता है और प्रतिभाशाली होते हुए भी अहंकार के कारण बुराई के रास्ते पर जा निकले रावण का प्रतीकात्मक नाश आज भी किया जाता है। इस मूल वाक्य के अलावा इस पर्व को सामाजिक रूप से मेल-जोल का तथा विजय की खुशी मनाने का प्रतीक भी बना लिया गया।

दशहरा पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है। भारतीय इतिहास में यह ऐसा पर्व है, जो असलियत में हमारी राष्ट्रीय अस्मिता और संस्कृति का प्रतीक बन चुका है। रावण दहन कर हम सत्य के प्रति श्रद्धा व्यक्त कर स्वयं को गौरवान्वित अनुभव करते हैं।

विजयादशमी का अर्थ है काम, क्रोध आदि दस शत्रुओं पर विजय का अनुष्ठान। यही विजय वास्तविक विजय है। दशहरे को इसलिए भारत में विजय पर्व के रूप में मनाया जाता है।

विजयादशमी के पावन पर्व की समस्त देशवासियों और प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *