हिमशिखर खबर ब्यूरो
पर्यावरण के लिए सदैव संघर्षरत रहने वाले एक जुझारू योद्धा वयोवृद्ध सुन्दर लाल बहुगुणा की आज जयंती हैं. इस भीष्म पितामह ने अपने जीवनकाल में किन मोर्चों पर संघर्ष किया, इसकी जानकारी उनकी जीवन कथा के माध्यम से मिल जाती है. लेकिन हम इनके उन सहयोगियों की चर्चा करना चाहते हैं, जो इनके जीवन का सम्बल थे.
कहावत सुनी होगी आपने कि प्रत्येक सफल पुरुष के पीछे किसी नारी का हाथ होता है. नारी में अपार ऊर्जा का सागर हिलोरें मारता है. वह यदि सकारात्मक शक्ति के रूप कार्य करे पुरुष के महान प्रेरणा का स्रोत बन जाती है. बहुगुणा जी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. महात्मा गांधी के सिद्धान्तों और उनकी कार्यशैली के प्रति निष्ठा तो इनमें थी ही, उस चिंगारी को सूर्य-सा प्रकाश और आभा प्रदान करने में विमला देवी ने, जिनके साथ बहुगुणा जी का विवाह हुआ था, महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
प्रत्येक आन्दोलन में वह हमेशा साथ रहीं, सैद्धान्तिक रूप में ही नहीं, उसे कार्यरूप देने में भी उन्होंने अपने पति के कन्धे से कन्धा मिला कर साथ दिया.
बहुगुणा जी के सहयोगियों के अनुसार, वही इनकी अनुपस्थिति में समस्त कार्यकलापों को देखतीं थीं.
बहुगुणा जी के संघर्षों में श्रीमती विमला देवी बहुगुणा का भी पूरा योगदान रहा।
विमला जी के अनुसार, ‘वह आत्मबल के धनी थे अपने आदर्श बापू की तरह. कई-कई दिनों उपवास करना कहने में जितना साधारण लगता है, वैसा है नहीं. एक दिन भूखे रहना पड़ जाए, तो हिम्मत जवाब दे जाती है.
‘महात्मा गांधी का नाम लेने वालों को उनसे सीख लेनी चाहिए. सिर्फ नारों से बात नहीं बनती.’
सच है यह जो सत्य के लिए अपनी जान की परवाह नहीं करता, वही तो होता है जुझारू योद्धा.
ऐसे ही थे सुन्दर लाल बहुगुणा, जिनकी कमी उत्तराखंड ही नहीं, देश-विदेश के पर्यावरण रक्षकों को महसूस हो रही है.
सादर नमन.. भावांजलि..