पंडित हर्षमणि बहुगुणा
आज बुधवार है बुध ग्रह का हमारे जीवन में क्या – क्या प्रभाव पड़ता है, आज हम यह जानने का प्रयास कर रहे हैं और उनसे कैसे बचा जा सकता है ऐसे उपायों की जानकारी भी करना चाहते हैं।
बुध ग्रह एक परिचय
बुध ग्रह — यह रजोगुणी, पृथ्वी तत्त्व प्रधान, शुद्र जाति, गोलाकृति, त्रिधातु प्रकृति, उत्तर दिशा का स्वामी, दूर्वा की भांति हरा रंग, चर प्रकृति, मिश्रित रस, धातु स्वर्ण तथा इसका अधिपति देवता विष्णु है। ग्रह मंडल में बुध युवा राजकुमार का प्रतीक है। बुध मिथुन एवं कन्या राशि का स्वामी है और मीन नीच राशि है, तथा यह कन्या राशि के 15° अंश पर परमोच्च और मीन राशि के 15° अंश पर परम नीच का माना जाता है।तथा कन्या राशि के 16° से 20° तक मूल त्रिकोणस्थ होता है।इसकी सूर्य-शुक्र के साथ मैत्री भाव , चंद्र के साथ शत्रु भाव, मंगल-गुरु-शनि के साथ समभाव रखता है। बुध एक राशि चक्र को लगभग 18 दिन में पूरा कर लेता है। “
‘बुध बुद्धि-चातुर्य, वाक् शक्ति(वाणी), त्वचा, मित्र-सुख, विद्या, शिल्प, व्यवसाय, लेखन, गणित, कला आदि का प्रतिनिधित्व करता है। इसके अतिरिक्त बुध से ज्योतिष, निपुणता, चिकित्सा, क़ानून, व्यापार, बंधु सुख, अध्यापन, संपादन, चित्रकला, चाची, मामी, मौसी, भानजा, भानजी, आदि बंधु वर्ग,भगवान् विष्णु संबंधी धार्मिक कार्य,विवेक, बुद्धि, तर्क-वितर्क, प्रकाशन, अभिनय, वकालत आदि बौद्धिक कार्यो का विचार किया जाता है।
बुध चतुर्थ भाव का कारक है तथा यदि शुभ ग्रहों के साथ हो तो शुभ एवं पाप ग्रहों के साथ अशुभ माना जाता है।
“कुण्डली में बुध यदि अशुभ हो तो जातक को उदर (पेट संबंधी) रोग कुष्ठ आदि त्वचा रोग, मतिभ्रम, वाणी में दोष, सिर दर्द, वायु विकार, मंद बुद्धि, रक्त की कमी, निम्नरक्तचाप, आदि अशुभ फल मिलते हैं।
“जन्म कुंडली में बुध अस्त ,नीच या शत्रु राशि का ,छटे -आठवें -बारहवें भाव में स्थित हो ,पाप ग्रहों से युत या दृष्ट, षड्बल विहीन हो तो उदर रोग,त्वचा विकार ,विषम ज्वर ,कंठ रोग, बहम,कर्ण एवम् नासिका रोग, पांडू, संग्रहणी, मानसिक रोग, वाणी में दोष,इत्यादि रोगों से कष्ट हो सकता है।
बुध अपना शुभाशुभ फल 32 से 36 वर्ष कि आयु में एवम् अपनी दशाओं व गोचर में प्रदान करता है कुमार अवस्था पर भी इस का अधिकार कहा गया है।
“जन्म कुंडली में बुध स्व , मित्र , उच्च राशि -नवांश का , शुभ भावाधिपति , षड्बली , शुभ युक्त -दृष्ट हो तो बुध की शुभ दशा में मित्रों से समागम , यश प्राप्ति, वाणी में प्रभाव व अधिकार, बुद्धि कि प्रखरता, विद्या लाभ, परीक्षाओं में सफलता , हास्य में रूचि, सुख-सौभाग्य , गणित-वाणिज्य-कंप्यूटर-सूचना विज्ञान आदि क्षेत्रों में सफलता , व्यापार में लाभ , स्वाध्याय में रूचि, पद प्राप्ति व पदोन्नति होती है। लेखकों, कलाकारों, ज्योतिषियों, शिल्पकारों , आढ़तियों , दलालों के लिए यह दशा बहुत शुभ फल देने वाली होती है। जिस भाव का स्वामी बुध होता है उस भाव से विचारित कार्यों व पदार्थों में सफलता व लाभ होता है।* “
” *यदि बुध अस्त , नीच शत्रु राशि नवांश का , षड्बल विहीन , अशुभ भावाधिपति पाप युक्त दृष्ट हो तो बुध दशा में मनोव्यथा, स्वजनों से विरोध , नौकरी में बाधा, कलह, मामा या मौसी को कष्ट , त्रिदोष विकार , उदर रोग त्वचा विकार विषम ज्वर कंठ रोग वहम कर्ण एवम् नासिका रोग पांडु रोग संग्रहणी मानसिक रोग वाणी में दोष इत्यादि रोगों से कष्ट, विवेक की कमी , विद्या में बाधा , परीक्षा में असफलता , व्यापार में हानि , शेयरों में घाटा तथा वाणी में दोष होता है जिस भाव का स्वामी बुध होता है उस भाव से विचारित कार्यों व पदार्थों में असफलता व हानि होती है।*
“‘ *गोचर में बुध* “‘
” *जन्म राशि से 2, 4, 6, 8, 10 व 11 वें स्थान पर बुध शुभ फल देता है। शेष स्थानों पर बुध का भ्रमण अशुभ कारक होता है*
( *गोचर में बुध के उच्च , स्व , मित्र, शत्रु नीच आदि राशियों में स्थित होने पर , अन्य ग्रहों से युति , दृष्टि के प्रभाव से , अष्टकवर्ग फल से या वेध स्थान पर शुभाशुभ ग्रह होने पर उपरोक्त गोचर फल में परिवर्तन संभव है*)
*बुध जनित अरिष्ट शांति के लिए विशेष उपाय एवं टोटके —-*
1— *ब्रह्मी बूटी या तुलसी की जड़ हरे वस्त्र में रखकर बुध के नक्षत्रों (अश्लेशा,ज्येष्ठा, एवं रेवती) में बुध के बीज मंत्र की कम से कम 3 माला जप करने के बाद हरे रंग के धागे में गंगा जल के छींटे लगा कर पुरुष दाहिनी तथा स्त्री बाहिनी भुजा में धारण करने से बुध कृत अरिष्ट की शांति होगी*।
2— *किसी भी शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार से शुरू करके लगातार 21 दिन तक श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ नियमित रूप से करें अंतिम दिन उद्यापन में पांच कन्याओं को हरे रंग के वस्त्र पांच फल एवं मिठाई दक्षिणा सहित दान करने से बुध के शुभत्व में वृद्धि होती है।*
3— *विद्या में बाधा या वाणी में दोष होने की स्थिति में सरस्वती स्त्रोत्र का शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार से प्रारंभ करके 21 दिन लगातार माँ सरस्वती को इलाइची, मिश्री एवं केले का भोग अर्पण करने के बाद पाठ करने से दोषों की शांति होती है। पाठ के बाद प्रसाद को बाँट कर स्वयं ग्रहण करें। सायं काल तुलसी जी के आगे घी का दीप जलाएं।*
4— *व्यापार में हानि अथवा संतान कष्ट की स्थिति में प्रत्येक बुधवार या प्रतिदिन गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ करना अति शुभ होता है। 41 दिन बाद कन्याओं को हलवा सहित भोजन कराने से लाभ होता है ।*
5— *घरेलू कलह-क्लेश की शांति प्रथम नवरात्रे से श्री दुर्गा शप्तशती का पाठ निरंतर 31 दिन तक करने के बाद कन्या पूजन करना लाभदायक रहता है।*
6— *स्वास्थ्य की दृष्टि से हरे रंग की बोतल में पानी भर कर सूर्य की किरणों में उस पानी को 2 प्रहर अर्थात् छः घण्टे तक रखने के बाद पीने से सेहत में लाभ होता है।*
7—— *यदि किसी विशेष कार्य में बार-बार विघ्न आते हों तो बुधवार के दिन हरे रंग के कपड़े में 6 हरी इलाइची 5 तुलसी के पत्ते, 01 सुपारी रखकर विष्णु सहस्रनाम का पाठ करते हुए उस पर गुलाब के पत्तों से गंगाजल के छींटे दें। इसके बाद कपड़े को गांठ बांध कर पूजा के स्थान में रखें। अंतिम बुधवार में रुमाल अपनी जेब में रख लें एवं धार्मिक स्थानों पर लड्डू का प्रसाद बंटवाने से अड़चने दूर होंगी एवं बिगड़े काम बनेंगे।*
8 — *प्रत्येक बुधवार को गौशालाओं में गायों को मीठी रोटी एवं हरा चारा खिलाने से शुभ फल मिलते है।*
9— *विवाह में देरी हो रही हो तो 7 बुधवार तक मूंग दाल साबुत, मीठा पेठा, हरा नारियल दक्षिणा सहित मंदिर में गणेश जी को अर्पण करने से विघ्न दूर होंगे।*
10– *बुध यदि अशुभ फल दे रहा है तो बुधवार के दिन धर्म स्थल या विद्यालय में हरे फलदार या फूल वाले या छायादार वृक्ष लगाना शुभ रहेगा। हरे पौधों को जल देना एवं हरी घास पर नंगे पैर टहलना भी लाभ देता है।*
11 — *किसी भी प्रकार की नशीली वस्तु के सेवन से बुध अरिष्ट फल देता है इसलिए इनसे दूर रहें।*
12— *घर में बुधवार के दिन तुलसी का पौधा गमले में लगा कर इसे थोड़े ऊंचे स्थान पर रखें सायं काल इसके आगे घी का दीपक जलाकर श्री तुलसी स्त्रोत्र का पाठ करें अवश्य लाभ होगा।*
13 — *गणेश चतुर्थी या मासिक संकष्ट गणेश चतुर्थी के दिन व्रत रख कर 11 माला ‘ॐ गं गणपतये नमः’ का जाप गणेश जी को लड्डू का भोग लगाकर करने से बुध अरिष्ट की शांति होती है।