हिमशिखर धर्म डेस्क
सर आइजेक न्यूटन बहुत प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे। सभी उनके बारे में जानते हैं। उनके पास एक पालतू कुत्ता था। जिसका नाम था डायमंड। वे उसे बहुत प्यार करते थे। वह हमेशा उनके साथ रहता था। यहां तक कि अत्यंत महत्वपूर्ण रिसर्च कार्य करते समय भी वह उसी कमरे में रहता था।
एक बार न्यूटन किसी महत्वपूर्ण खोज से संबंधित तथ्यों को लिपिबद्ध कर रहे थे। अचानक किसी काम से उन्हें कमरे से बाहर जाना पड़ा। सारे कागज वहीं मेज पर छोड़कर वे बाहर चले गए। मेज पर एक मोमबत्ती जल रही थी और डायमंड दरवाजे के पास बैठा था।
अचानक किसी चूहे को देखकर डायमंड उसे पकड़ने दौड़ा। वह पूरे कमरे में चूहे के पीछे भागने लगा। इसी चक्कर में वह मेज पर कूदा। जिससे मोमबत्ती कागजों पर गिर गयी और देखते ही देखते सारे कागज जलकर राख हो गए।
जब न्यूटन वापस आये तो देखा कि उनकी कई महीनों की मेहनत बेकार हो गयी है। उन्हें बहुत दुख हुआ और डायमंड पर बहुत क्रोध भी आया। लेकिन फिर उन्होंने अपने आप को संभाला और सोचा कि इसमें उस बेजुबान जानवर का क्या दोष?
उन्होंने अपने दुख और क्रोध को पी लिया और डायमंड से बस इतना ही कहा, “डायमंड ! तुम्हें नहीं पता कि तुमने क्या कर दिया है।” इसके बाद वे ध्यान में बैठ गए और अपनी स्मृतियों में सारा शोध कार्य याद किया और शोध पत्र तैयार किए।
सीख – जब कभी हमारा बड़ा नुकसान हो जाए तो सबसे पहले उसमें अपनी भूल ढूंढना चाहिए। अगर हमें अपनी भूल न मिले और दूसरे की भूल दिखाई दे तो केवल दंड देने से वह नुकसान पूरा नहीं होगा। इसी तरह कठिन परिस्थितियों में भी हमें सहनशीलता नहीं छोड़नी चाहिए। इसका लाभ न्यूटन को मिला था।