सावन विशेष : भगवान शिव को भांग धतूरा क्यों चढाते है?

Uttarakhand

शिव शंभू को भोलेनाथ भी कहा जाता है क्योंकि वह अपने भक्तों पर जल्द ही प्रसन्न होकर उनको आशीर्वाद देते हैं। इंसान हो या फिर असुर महादेव ने हर किसी पर अपनी कृपा बरसाई है। भगवान शिव का श्रृंगार बहुत ही रहस्यमयी और सबसे अलग है। उसमें नाग, जहरीले और जंगली फूल और पत्ते शामिल हैं। ऐसा श्रृंगार बताता है कि भगवान शिव उन सभी को भी अपनाते हैं। जिसे लोगों ने अपने से दूर कर रखा हो। यानी जो चीजें किसी काम की नहीं वो भी भगवान शिव खुद पर धारण कर लेते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान शिव को भांग और धतूरा आखिर क्यों पसंद है…


पंडित उदय शंकर भट्ट

जिसे लोग त्याग देते हैं उसे शिव अपनाते हैं
भगवान शिव श्रृंगार के रूप में धतूरा और बेल पत्र स्वीकारते हैं। शिवजी का यह उदार रूप इस बात की ओर इशारा करता है कि समाज जिसे तिरस्कृत कर देता है, शिव उसे स्वीकार लेते हैं। शिव पूजा में धतूरे जैसा जहरीला फल चढ़ाने के पीछे भी भाव यही है कि व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक जीवन में बुरे व्यवहार और कड़वी बाते बोलने से बचें। स्वार्थ की भावना न रखकर दूसरों के हित का भाव रखें। तभी अपने साथ दूसरों का जीवन सुखी हो सकता है।

मन की कड़वाट का त्याग
भगवान शिव को धतूरा प्यारा होने की बात में भी संदेश यही है कि शिवालय में जाकर शिवलिंग पर धतूरा चढ़ाकर मन और विचारों की कड़वाहट निकालने और मिठास को अपनाने का संकल्प लेना चाहिए। ऐसा करना ही भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए सच्ची पूजा होगी।

धार्मिक महत्व : पुराण के अनुसार
पुराण के अनुसार शिवजी ने जब समुद्र मंथन से निकले हालाहल विष को पी लिया था तो वह व्याकुल होने लगे। तब अश्विनी कुमारों ने भांग, धतूरा, बेल जैसी औषधियों से शिव जी की व्याकुलता दूर की।  तभी से भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा में भाँग, धतूरा आदि चढ़ाया जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *