सुप्रभातम्: हनुमान जी क्यों हैं कलियुग के सर्वाधिक उपास्य देवता?

हिमशिखर धर्म डेस्क

Uttarakhand

आज के वैज्ञानिक युग में जो देवता मनुष्य को नई चेतना व उत्साह देते हैं उनमें निस्संदेह महाबली हनुमान प्रमुख हैं। बल, बुद्धि, विद्या के लिए हनुमानजी का स्मरण किया जाता है। क्योंकि अष्ट सिद्धियां व नव निधियां उनके द्वारा ही संरक्षित हैं।आधुनिक युग में जब विद्यार्थियों को संस्कारवान बनाये जाने की चर्चा की होती है तो हनुमान जी को सबसे उपयुक्त मार्गदर्शक कहा जाता है।

मनुष्य की बाल अवस्था ऐसी होती है जब वह अन्य के व्यवहार व विचार को शीघ्र ग्रहण कर लेता है। मनोवैज्ञानिक भी मानते हैं कि बालक के कोरे कागज के समान मन पर जो रेखायें खींचती हैं वह उसके पूरे जीवन को प्रभावित करती हैं। रामायण में हनुमान जी संकटमोचक व निर्भय देवता के रूप में दृष्टिगोचर होते हैं। बालमन हनुमानजी के स्वरूप से स्वाभाविक रूप से आकर्षित होता है। उसे वह अपने सखा व संरक्षक की भांति लगते हैं।

माना यह जाता है कि हनुमान जी से हर दुष्ट आत्मा भयभीत होती है। इसको देखते कई बालक उनके स्मरण के साथ ही उनकी महिमा वर्णित करने वाली ‘हनुमान चालीसा’ को कंठस्थ ही कर लेते हैं। परीक्षाकाल में हर विद्यार्थी को हनुमानजी ही सबसे बड़े सहायक के रूप में दिखते हैं। युवाओं में सकारात्मक ऊर्जा के स्रोत हनुमानजी ही माने जा सकते हैं। मनोवैज्ञानिक तौर पर हनुमान जी ही ऐसे देवता है, जो निराशा, भय, आतंक से मुक्ति देेने वाले हैं। युवा मन को आत्म विश्वास व आत्म संयम का पाठ हनुमान जी के चरित्रा से ही पढ़ाया जा सकता है।

रामकथा में हनुमान जी का प्रवेश भगवान राम से भेंट से होती है। पर्यावरण के साथ सामंजस्य हनुमान जी से अधिक कौन जान सकता है। वह फलाहारी थे लेकिन उनमें बल की कमी नहीं थी। यह मानना कि हिंसा से ही भोजन मिल सकता है, इसके वह विरोधी थे। यह उनके चरित्र का ही प्रभाव है कि उनके दिन मंगलवार को मांसाहारी लोग मांस छोड़ फल या अन्न लेते हैं।

संयमित जीवन शैली से जीवन को आनंदित करने का पहला संदेश हनुमान जी से ही मिलता है। संयमित भोजन से पूर्ण बल, ब्रह्मचर्य से तेज, ध्यान से शांति, सेवा से सम्मान, पूर्ण समर्पण से लक्ष्य प्राप्ति हनुमान जी सीखाते हैं।

आज के खेल जगत में हनुमान जी सबसे बड़े प्रेरणा स्रोत हो सकते हैं। एकाग्रता, अनुशासन व स्वस्थ जीवन शैली से कुश्ती, दौड़, भारोत्तोलन, कूद जैसे खेलों में अपार संभावनाये बन जाती हैं। इसके लिए हनुमानजी का दर्शन, ध्यान, चिन्तन, काफी सहायक सिद्ध हो सकता है। हनुमानजी सदैव अपने कार्य में सदा सफल होते दिखते हैं। क्योंकि वह सफलता के अलावा किसी और विषय पर विचार नहीं करते।

आज के युग में युवाओं के सामने चरित्रवान् बने रहने की चुनौति सबसे बड़ी है। देश सेवा से जुड़ने वाले युवाओं को अपना चरित्र ऐसा रखना पड़ता है जिससे उनके पेशे व छवि पर कोई उंगली न उठे।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा हनुमान जी की मूर्ति अपने साथ रखते हैं। उनके अनुसार इससे उन्हें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। प्रसिद्ध शहनाई वादक बिस्मिल्ला खां बनारस के बालाजी हनुमान मंदिर में अपना प्रियवादन बजाते हैं। हनुमान जी से स्वप्न में उन्हें मुंबई जाने का आदेश मिला और उनकी कला से पूरे विश्व में पहचान मिली। थाईलैंड में रामकथा ‘रामकीत्र्ति ग्रंथ’ में संकलित है। इसमें हनुमान जी का तेजस्वी, निर्भीक, आज्ञाकारी चरित्र यहां के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बना है।

अमरत्व की अवधारणा भारतीय संस्कृति में जिन सात चिरंजीवियों से है उनमें आंजनेय हनुमान भी हैं। संसार में सत्य, प्रेम के प्रतीक के रूप में हनुमान जी सदैव विद्यमान हैं। महाभारत काल में अतुलित बल धाम हनुमान जी महाबली भीम का अहंकार अपनी पूंछ हटाने की बात से तोड़ते हैं। वैज्ञानिक, मनुष्य को अजर-अमर करने के लिए निरन्तर प्रयासरत हैं उनके लिए वीर हनुमान निश्चित ही पथ प्रदर्शक हो सकते हैं।

रावण भी हनुमान जी के प्रभाव से अछूता नहीं रहा था। एक श्लोक से यह सिद्ध होता है जब रावण अपने सैनिकों से कहता है- ‘जब मैं आंजनेय हनुमान के अलौकिक कर्म देखकर उसके स्वरूप पर विचार करता हूं, तब वह मुझे वानर नहीं जान पड़ता है। वह सर्वथा महान् प्राण है। जो महान बल से संपन्न है।’



 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *