हिन्दू कैलेंडर का नौवां माह मार्गशीर्ष है। इसे अगहन भी कहा जाता है। यह भगवान श्रीकृष्ण का माह होता है क्योंकि उन्होंने स्वयं मार्गशीर्ष माह को अपना स्वरूप है। मार्गशीर्ष माह में पवित्र तालाब या नदी में स्नान करना उत्तम माना जाता है। इस महीने में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करना जीवन में खूब सुख-समृद्धि दिलाता है। इसके अलावा जीवन के सारे संकट और पाप नष्ट होते हैं। वहीं इस महीने की कुछ विशेष तिथियों को लेकर नियम बताए गए हैं, जिनका पालन जरूर करना चाहिए।
हिमशिखर धर्म डेस्क
मार्गशीर्ष महीना भगवान श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय है। भगवान ने स्वयं कहा है कि मार्गशीर्ष मास स्वयं मेरा ही स्वरूप है। इसलिए इस मास में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा विशेष रूप से की जाती है।
श्रीराम-सीता विवाह
धर्म ग्रंथों के जानकारों के मुताबिक अगहन महीने में ही श्रीराम-सीता का विवाह हुआ था। त्रेतायुग में मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में श्रीराम-सीता का विवाह हुआ था। इस शुभ पर्व पर तीर्थ स्नान-दान और व्रत-उपवास के साथ भगवान राम-सीता की विशेष पूजा की जाती है।
इस तरह हुआ नामकरण
अगहन मास को मार्गशीर्ष नाम से क्यों जानते हैं? इस मास को मार्गशीर्ष कहने के पीछे भी कई तर्क हैं। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अनेक स्वरूपों में व अनेक नामों से की जाती है। इन्हीं स्वरूपों में से एक मार्गशीर्ष भी श्रीकृष्ण का ही एक रूप है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस माह का संबंध मृगशिरा नक्षत्र से है। ज्योतिष के अनुसार नक्षत्र 27 होते हैं जिसमें से एक है मृगशिरा। इस माह की पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र से युक्त होती है। इसी वजह से इस मास को मार्गशीर्ष मास के नाम से जाना जाता है।
इस महीने में तीर्थयात्रा का है विशेष महत्व
इस पवित्र माह में तीर्थाटन और नदी स्नान से पापों का नाश होने के साथ मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। मार्गशीर्ष मास में गीता जयंती भी मनायी जाती है। इसलिए इस माह में गीता का दान भी शुभ माना जाता है। गीता के एक श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण मार्गशीर्ष मास की महिमा बताते हुए कहते हैं –
बृहत्साम तथा साम्नां गायत्री छन्दसामहम् ।
मासानां मार्गशीर्षोऽहमृतूनां कुसुमाकरः ।।
इसका अर्थ है गायन करने योग्य श्रुतियों में मैं बृहत्साम, छंदों में गायत्री तथा मास में मार्गशीर्ष और ऋतुओं में में वसंत हूं। शास्त्रों में मार्गशीर्ष का महत्व बताते हुए कहा गया है कि वैदिक पंचांग के इस पवित्र मास में गंगा, युमना जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने से रोग, दोष और पीड़ाओं से मुक्ति मिलती है।