अगर आपको दिवाली मनाने की तिथि को लेकर कोई कन्फ्यूजन है तो इस लेख में विस्तार से जानकारी दी जा रही है कि इस बार दिवाली किस दिन मनाना सही रहेगा। दीपावली सही अर्थों में 1 नवंबर 2024 को ही है इसमें तनिक भी संदेह नहीं है लेख को पूरा पढ़ें तब विचार किया जाना चाहिए।
पंडित उदय शंकर भट्ट
इस बार अमावस्या तिथि दो दिन आ रही है। जिसकी वजह से दिवाली की तारीख को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई। यानी कार्तिक अमावस्या तिथि 31 अक्तूबर को भी और 01 नवंबर को भी है। 31 अक्टूबर को अमावस्या तिथि दोपहर बाद 3 बजकर 53 मिनट पर प्रारंभ हो रही है, जो 1 नवंबर को सांय 6:17 तक रहेगी। ऐसी स्थिति में ज्योतिष ग्रंथ धर्म सिंधु और निर्णय सिंधु में स्पष्ट उल्लेख है कि दूसरे दिन की अमावस्या ग्रहण की जानी चाहिए।
दीपावली का शास्त्रीय निर्णय :- 01 नवम्बर 2024, शुक्रवार को दीपावली की पुनश्च चर्चा करते है। बात शुरू करेंगे ईस्वी सन् 1926 से लेकर ईस्वी सन् 1989 तक। यहॉं पुराने पंचांग के प्रमाण आपको प्रस्तुत किये जा रहे है, जिनके आधार पर आम जनता भी यह जान पायेगी कि दीपावली का निर्णय आज भी उसी विधि से 01 नवम्बर 2024, शुक्रवार का किया गया है, जिस विधि से ईस्वी सन् 1926 से लेकर ईस्वी सन् 1989 तक के इन पंचांगों में किया गया था। उस जमाने में न तो कम्प्यूटर था, न कैलकुलेटर, न सोशल मीड़िया, बस यही पंचांग प्रमाण हुआ करते थे। अत: आप भी देखे और समझे कि किस तरह एक पुराने पंचांगकर्ता ने अपने ही परदादाजी-दादाजी-पिताजी के समय में बनाये गये पंचांगों में दिये प्रमाणों व आधार को त्यागकर कैसे जनता को भ्रमित किया और यह दीपावली का विवाद उत्पन्न किया जो कि असल में कोई विवाद हीं नहीं था।
उदाहरणार्थ पुराने पंचांगों का उद्धरण :-
01. विक्रम् संवत् 1983, ईस्वी सन् 1926, कार्तिक कृष्ण देव-पितृ अमावस्या : दीपावली का निर्णय
अ :- 04 नवम्बर 1926 (गुरुवार), चतुर्दशी तिथि समाप्त 28 घटी 58 पल, दिनमान : 27 घटी 18 पल, सूर्यास्त : 05:28
ब :- 05 नवम्बर 1926 (शुक्रवार), अमावस्या तिथि समाप्त 32 घटी 04 पल, दिनमान : 27 घटी 15 पल, सूर्यास्त : 05:27
निष्कर्ष :- दीपावली का पर्व 05 नवम्बर 1926 को मनाया गया, जो कि प्रतिपदा युक्त अमावस्या थी, जबकि पहले दिन चतुर्दशी युक्त अमावस्या पर प्रदोषकाल, सिंहलग्न, निशीथकाल आदि सभी में अमावस्या मिल रही थी, परन्तु तत्कालीन विद्वानों ने जयपुर दीपावली का निर्णय प्रतिपदा युक्त दूसरे दिन व्यापिनी अमावस्या को ही दिया, यही नियम ईस्वी सन् 2024 व 2025 में भी लागू किया गया हैं, पुराने पंचांगकर्ताओं व धर्मशास्त्रों का अनुसरण करते हुए।
02. विक्रम् संवत् 1984, ईस्वी सन् 1927, कार्तिक कृष्ण देव-पितृ अमावस्या : दीपावली का निर्णय
अ :- 24 अक्टूबर 1927 (सोमवार), चतुर्दशी तिथि समाप्त 27 घटी 56 पल, दिनमान : 27 घटी 53 पल, सूर्यास्त : 05:35
ब :- 25 अक्टूबर 1927 (मंगलवार), अमावस्या तिथि समाप्त 33 घटी 02 पल, दिनमान : 27 घटी 50 पल, सूर्यास्त 05:34
निष्कर्ष :- दीपावली का पर्व 25 अक्टूबर 1927 को मनाया गया, जो कि प्रतिपदा युक्त अमावस्या थी, जबकि पहले दिन चतुर्दशी युक्त अमावस्या पर प्रदोषकाल, सिंहलग्न, निशीथकाल आदि सभी में अमावस्या मिल रही थी, परन्तु तत्कालीन विद्वानों ने दीपावली का निर्णय प्रतिपदा युक्त दूसरे दिन व्यापिनी अमावस्या को ही दिया, यही नियम ईस्वी सन् 2024 व 2025 में भी लागू किया गया हैं, पुराने पंचांगकर्ताओं व धर्मशास्त्रों का अनुसरण करते हुए।
03. विक्रम् संवत् 2013, ईस्वी सन् 1956, कार्तिक कृष्ण देव-पितृ अमावस्या : दीपावली का निर्णय
अ :- 01 नवम्बर 1956 (गुरुवार), चतुर्दशी तिथि समाप्त 36 घटी 58 पल, दिनमान : 27 घटी 27 पल, सूर्यास्त 05:30
ब :- 02 नवम्बर 1956 (शुक्रवार), अमावस्या तिथि समाप्त 37 घटी 50 पल, दिनमान : 27 घटी 25 पल, सूर्यास्त 05:29
निष्कर्ष :- दीपावली का पर्व 02 नवम्बर 1956 को मनाया गया, जो कि प्रतिपदा युक्त अमावस्या थी, जबकि पहले दिन चतुर्दशी युक्त अमावस्या पर प्रदोषकाल, सिंहलग्न, निशीथकाल आदि सभी में अमावस्या मिल रही थी, परन्तु तत्कालीन विद्वानों ने दीपावली का निर्णय प्रतिपदा युक्त दूसरे दिन व्यापिनी अमावस्या को ही दिया, यही नियम ईस्वी सन् 2024 व 2025 में भी लागू किया गया हैं, पुराने पंचांगकर्ताओं व धर्मशास्त्रों का अनुसरण करते हुए।
04. विक्रम् संवत् 2023, ईस्वी सन् 1966, कार्तिक कृष्ण देव-पितृ अमावस्या : दीपावली का निर्णय
अ :- 11 नवम्बर 1966 (शुक्रवार), चतुर्दशी तिथि समाप्त 37 घटी 56 पल, दिनमान : 26 घटी 56 पल, सूर्यास्त : 05:23
ब :- 12 नवम्बर 1966 (शनिवार), अमावस्या तिथि समाप्त 33 घटी 05 पल, दिनमान : 26 घटी 57 पल, सूर्यास्त : 05:22
निष्कर्ष :- दीपावली का पर्व 12 नवम्बर 1966 को मनाया गया, जो कि प्रतिपदा युक्त अमावस्या थी, जबकि पहले दिन चतुर्दशी युक्त अमावस्या पर प्रदोषकाल, सिंहलग्न, निशीथकाल आदि सभी में अमावस्या मिल रही थी, परन्तु तत्कालीन विद्वानों ने दीपावली का निर्णय प्रतिपदा युक्त दूसरे दिन व्यापिनी अमावस्या को ही दिया, यही नियम ईस्वी सन् 2024 व 2025 में भी लागू किया गया हैं, पुराने पंचांगकर्ताओं व धर्मशास्त्रों का अनुसरण करते हुए।
5. विक्रम् संवत् 2032, ईस्वी सन् 1975, कार्तिक कृष्ण देव-पितृ अमावस्या : दीपावली का निर्णय
अ :- 02 नवम्बर 1975 (रविवार), चतुर्दशी तिथि समाप्त 36 घटी 17 पल, दिनमान : 27 घटी 25 पल, सूर्यास्त : 05:29
ब :- 03 नवम्बर 1975 (सोमवार), अमावस्या तिथि समाप्त 30 घटी 44 पल, दिनमान : 27 घटी 21 पल, सूर्यास्त : 05:28
निष्कर्ष :– दीपावली का पर्व 03 नवम्बर 1975 को मनाया गया, जो कि प्रतिपदा युक्त अमावस्या थी, जबकि पहले दिन चतुर्दशी युक्त अमावस्या पर प्रदोषकाल, सिंहलग्न, निशीथकाल आदि सभी में अमावस्या मिल रही थी, परन्तु तत्कालीन विद्वानों ने दीपावली का निर्णय प्रतिपदा युक्त दूसरे दिन व्यापिनी अमावस्या को ही दिया, यही नियम ईस्वी सन् 2024 व 2025 में भी लागू किया गया हैं, पुराने पंचांगकर्ताओं व धर्मशास्त्रों का अनुसरण करते हुए।
6. विक्रम् संवत् 2041, ईस्वी सन् 1984, कार्तिक कृष्ण देव-पितृ अमावस्या : दीपावली का निर्णय
अ :- 23 अक्टूबर 1984 (मंगलवार), चतुर्दशी तिथि समाप्त 35 घटी 16 पल, दिनमान : 27 घटी 53 पल, सूर्यास्त : 05:35
ब :- 24 अक्टूबर 1984 (बुधवार), अमावस्या तिथि समाप्त 29 घटी 20 पल, दिनमान : 27 घटी 50 पल, सूर्यास्त : 05:34
निष्कर्ष :- दीपावली का पर्व 24 अक्टूबर 1984 को मनाया गया, जो कि प्रतिपदा युक्त अमावस्या थी, जबकि पहले दिन चतुर्दशी युक्त अमावस्या पर प्रदोषकाल, सिंहलग्न, निशीथकाल आदि सभी में अमावस्या मिल रही थी, परन्तु तत्कालीन विद्वानों ने दीपावली का निर्णय प्रतिपदा युक्त दूसरे दिन व्यापिनी अमावस्या को ही दिया, यही नियम ईस्वी सन् 2024 व 2025 में भी लागू किया गया हैं, पुराने पंचांगकर्ताओं व धर्मशास्त्रों का अनुसरण करते हुए।
7. विक्रम् संवत् 2045, ईस्वी सन् 1988, कार्तिक कृष्ण देव-पितृ अमावस्या : दीपावली का निर्णय
अ :- 08 नवम्बर 1988 (मंगलवार), चतुर्दशी तिथि समाप्त 27 घटी 08 पल, दिनमान : 27 घटी 06 पल, सूर्यास्त : 05:25
ब :- 09 नवम्बर 1988 (बुधवार), अमावस्या तिथि समाप्त 30 घटी 06 पल, दिनमान : 27 घटी 02 पल, सूर्यास्त 05:24
निष्कर्ष :- दीपावली का पर्व 09 नवम्बर 1988 को मनाया गया, जो कि प्रतिपदा युक्त अमावस्या थी, जबकि पहले दिन चतुर्दशी युक्त अमावस्या पर प्रदोषकाल, सिंहलग्न, निशीथकाल आदि सभी में अमावस्या मिल रही थी, परन्तु तत्कालीन विद्वानों ने दीपावली का निर्णय प्रतिपदा युक्त दूसरे दिन व्यापिनी अमावस्या को ही दिया, यही नियम ईस्वी सन् 2024 व 2025 में भी लागू किया गया हैं, पुराने पंचांगकर्ताओं व धर्मशास्त्रों का अनुसरण करते हुए।
8. विक्रम् संवत् 2046, ईस्वी सन् 1989, कार्तिक कृष्ण देव-पितृ अमावस्या : दीपावली का निर्णय
अ :- 28 अक्टूबर 1989 (शनिवार), चतुर्दशी तिथि समाप्त 26 घटी 07 पल, दिनमान : 27 घटी 40 पल, सूर्यास्त : 05:32
ब :- 29 अक्टूबर 1989 (रविवार), अमावस्या तिथि समाप्त 31 घटी 23 पल, दिनमान : 27 घटी 37 पल, सूर्यास्त : 05:32
निष्कर्ष :- दीपावली का पर्व 29 अक्टूबर 1989 को मनाया गया, जो कि प्रतिपदा युक्त अमावस्या थी, जबकि पहले दिन चतुर्दशी युक्त अमावस्या पर प्रदोषकाल, सिंहलग्न, निशीथकाल आदि सभी में अमावस्या मिल रही थी, परन्तु तत्कालीन विद्वानों ने दीपावली का निर्णय प्रतिपदा युक्त दूसरे दिन व्यापिनी अमावस्या को ही दिया, यही नियम ईस्वी सन् 2024 व 2025 में भी लागू किया गया हैं, पुराने पंचांगकर्ताओं व धर्मशास्त्रों का अनुसरण करते हुए।