विश्वविख्यात पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा नहीं रहे, आज एम्‍स ऋषिकेश में हुआ निधन

Uttarakhand

 चिपको आंदोलन के प्रणेता सुंदरलाल बहुगुणा नहीं रहे। एम्‍स ऋषिकेश  में  उनका इलाज चल रहा था और तबीयत में उतार-चढ़ाव हो रहा था। अब दुखद खबर सामने आई है कि सुंदरलाल बहुगुणा हमारे बीच नहीं रहे।

94 साल के सुंदरलाल बहुगुणा का नाम पर्यावरण के क्षेत्र में सम्मान के साथ लिया जाता है। उनके चले जाने से उत्तराखंड को बहुत बड़ी क्षति पहुंची है। न सिर्फ देश बल्कि दुनिया में प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण के बड़े प्रतीक थे सुंदरलाल बहुगुणा।

1972 में चिपको आंदोलन को धार दी और देश-दुनिया को वनों के संरक्षण के लिए प्रेरित किया। परिणाम ये रहा कि चिपको आंदोलन की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई पड़ी। बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी बहुगुणा का नदियों, वनों व प्रकृति से बेहद गहरा जुड़ाव था। वह प्रकृति को सबसे बड़ी आर्थिकी मानते थे।

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