हिमशिखर खबर ब्यूरो।
आज मंगलवार को मार्गशीर्ष मास की एकादशी है। इसे मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। द्वापर युग में महाभारत युद्ध से पहले इस एकादशी पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। इसी वजह से ये तिथि गीता जयंती के रूप में मनाई जाती है।
महाभारत युद्ध से पहले अर्जुन ने भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य, कृपाचार्य और कुटुम्ब के अन्य लोगों को देखकर युद्ध करने का विचार छोड़ दिया था। अर्जुन श्रीकृष्ण के सामने धनुष-बाण रखते हुए युद्ध न करने की बात कही थी। उस समय श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया और कर्मों का महत्व समझाया था।
स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में एकादशी महात्म्य नाम के अध्याय में सालभर की सभी एकादशियों का महत्व बताया गया है। एक साल में 24 एकादशियां आती हैं। अधिकमास होने पर एक वर्ष में 26 एकादशियां हो जाती हैं। एकादशी पर भगवान विष्णु के लिए व्रत उपवास करने की परंपरा है।
इस बार मंगलवार को मोक्षदा एकादशी होने से इस दिन भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण और हनुमान जी की भी विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिए। हनुमान जी का जिक्र रामायण के बाद महाभारत में भी है। मान्यता है कि हनुमान जी अजर-अमर हैं। महाभारत युद्ध में अर्जुन के रथ पर हनुमान जी ध्वज पर विराजित थे। हनुमान जी ने भीम का अहंकार तोड़ा और विनम्रता का महत्व बताया था।
मोक्षदा एकादशी पर श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री का भोग तुलसी के पत्तों के साथ लगाएं। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की पूजा में दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। हनुमान जी के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं, सिंदूर चढ़ाएं और हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें। ऊँ रामदूताय नम: मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। इस दिन जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान जरूर करें। किसी गौशाला में हरी घास और गौशाला संचालन के लिए धन का दान करें।