सुप्रभातम् : तीन मार्गों से चले, तो मंजिल आसान होगी

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हिमशिखर धर्म डेस्क

लंबी बंदिशों के बाद अब जीवन कुछ खुला-खुला सा लगने लगा है। खुलेपन का सबसे बड़ा दृश्य दिख रहा है शिक्षण संस्थाओं के प्रांगण में। स्कूल खुल गए, उत्सव के दिन चल रहे हैं। लेकिन, हमें अब भी बहुत सावधानी बरतनी होगी। बच्चों की आंखों में नए उत्साह और जोश की जो चिंगारी चमक रही है, उसे लंबे समय तक बचाए रखना है। आज मां दुर्गा की आराधना का आठवाँ दिन यानी नवरात्र का समापन (नवमी) है।

इन नौ दिनों में उत्सव चरम पर रहा और फिर कल दसवें दिन मारा जाएगा रावण। याद रखिएगा, राम के हाथों मरने के बाद भी रावण अपना कुछ हिस्सा बचा लेता है और दुर्गुण या महामारी किसी भी शक्ल में फिर से आ सकती है। इसलिए खासकर इन दिनों घर से बाहर निकलने पर जो दुनिया दिखे, उसे बहुत सावधानी से देखिएगा और भोगिएगा।

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हमारे ऋषि-मुनियों ने कालखंड को बड़े अच्छे ढंग से इस तरह से बांटा है कि पितृों को याद करके, शक्ति की आराधना करने के बाद हम रावण का समापन करेंगे। अध्यात्म में भी तीन मार्ग होते हैं- ज्ञान, कर्म और उपासना। ज्ञान से विचार मिलता है, कर्म से अनुभव, और उपासना से आस्था। महामारी के बाद जब दुनिया खुलने लगी है तो सामने बहुत-से रास्ते आएंगे, लेकिन यदि इन तीन मार्गों से चले, तो मंजिल आसान हो जाएगी।

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