वरूथिनी_एकादशी ( बैशाख कृष्ण पक्ष) के शुभ अवसर पर ; श्रीसदगुरूदेव भगवान् जी की अनन्य भक्ति करने वाला भक्त जो सतत उनके ही स्वरूप का चिंतन करता रहता है, ऐसा भक्त ही सबसे अधिक प्रिय होता है।
एक बार एक व्यक्ति ने श्रीसद्गुरूदेव भगवान् जी से पूछा कि दूसरे के मन की बात जान लेने की शक्ति आपने कैसे प्राप्त की। श्रीसद्गुरुदेवजी जी मुस्कराए और तत्क्षण बोले ,”प्यारे ! यह तो वह प्रसाद है , जो प्रभु ने मेरी झोली में डाल दिया है ।
उस व्यक्ति ने पुनः पूछा कि साधक भी, कैसे इस प्रसाद का अधिकारी बन सकता है ।
श्रीसद्गुरूदेवजी ने कहा,”युगों-युगों से संतों-महात्माओं का यही अनुभव है कि नाम-जाप और ब्रह्म-कृपा में कोई विशेष सम्बन्ध है । परन्तु कितना नाम-जाप इसके लिए किया जाये ?
यह हिसाब प्रभु आप जाने। पर दीर्घकाल तक निरंतर , प्रेमपूर्वक, दृढ़ – विश्वास और विधि पूर्वक नाम – जाप करते रहने से, एक दिन प्रभु-प्रसाद मिलता अवश्य है।
इसके चिन्ह साधक को स्वयं भी प्रतीत होते हैं और दूसरों को भी दिखने में आते हैं।
नाम-जाप छोड़ देने से कृपा-अवतरण रुक भी जाता है । अतएव प्रत्येक स्थिति में नाम जप करते रहें।
🔸#पूज्य_बाबा_नीब_करौरी_जी_की_जय_हो🌹🙏