हिमशिखर खबर ब्यूरो

Uttarakhand

अवंति राज्य के एक राजा थे बाहुबली। बाहुबली ने एक बार घोषणा की कि उन्हें एक राज ज्योतिषी की आवश्यकता है। अगर कोई योग्य व्यक्ति मिला तो मैं खुद उसकी नियुक्ति करूंगा।

राजा की घोषणा सुनकर बहुत से ज्योतिषी राजा के दरबार में पहुंचे। परीक्षा लेने के लिए राजा उन ज्योतिषियों से प्रश्न पूछ रहे थे। राजा ने उनसे पूछा कि आपके ज्योतिष का आधार क्या है? किसी ने कहा कि नक्षत्र के आधार पर तो किसी ने फलित कहा, किसी ने गणित कहा। किसी ने हस्तरेखा को श्रेष्ठ बताया। सभी ने अलग-अलग जवाब दिए।

राजा इन ज्योतिषियों से संतुष्ट नहीं हो रहा था। तभी उसे याद आया कि मेरे राज्य में एक पं. विष्णु शर्मा नाम के ज्योतिषी हैं, वे यहां क्यों नहीं आए? राजा ने अपने सेवकों को भेजा और कहा कि पं. विष्णु शर्मा को लेकर आओ।

सेवक पं. विष्णु शर्मा को लेकर दरबार पहुंच गए। राजा ने पं. शर्मा से पूछा, ‘क्या आपने हमारी घोषणा नहीं सुनी?’

पं. शर्मा ने कहा, ‘हां, मैंने सुनी थी।’

राजा ने फिर पूछा, ‘तो फिर आप परीक्षा देने क्यों नहीं आए? आप भी तो ज्योतिषी हैं। आप भी भविष्य देखते हैं।’

पं. शर्मा ने मुस्कान के साथ कहा, ‘मैं भविष्य देखता हूं और मेरा भविष्य मैं जानता हूं। मैं ही इस राज्य का राज ज्योतिषी बनने वाला हूं।’

ये बात सुनकर राजा चौंक गया। राजा ने कहा, ‘आपने तो आवेदन भी नहीं किया है?’

पं. शर्मा ने कहा, ‘ये बात मैं नहीं जानता, लेकिन राज ज्योतिषी मैं ही बनूंगा।’

राजा के दिमाग में ये बात खटकी और राजा ने पं. शर्मा को ही राज ज्योतिषी बना दिया। बाद में राजा ने पं. शर्मा से पूछा, ‘आपको इतना आत्म विश्वास क्यों था कि आप ही राज ज्योतिषी बनेंगे?’

पं. शर्मा ने कहा, ‘सभी ज्योतिषी अपनी-अपनी जगह सही हैं। ज्योतिष एक विज्ञान है और जो व्यक्ति इस विज्ञान का जानकार है, वह अपनी दूरदर्शिता और विषय की जानकारी के आधार पर गणना करता है। जिस व्यक्ति में इन बातों के साथ ही योग के माध्यम से अपनी आत्मा को जानने का तप होगा, वह अन्य लोगों से बेहतर भविष्य देख सकता है।’

सीख

अगर हम सफल होना चाहते हैं तो सिर्फ पढ़ाई करने से कुछ नहीं होगा, पढ़ाई के साथ ही अभ्यास और तप करना भी जरूरी है। यही बात जीवन के हर क्षेत्र में लागू होती है।

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