सावधान: साल 2025 का अंक गणित

पंडित उदय शंकर भट्ट

Uttarakhand

आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।

साल 2025 का आरंभ बुधवार से हो रहा है। यह दिन शिवपुत्र कार्तिकेय के छोटे भाई भगवान गणेश की पूजा और व्रत के लिए समर्पित है। गणेशजी सभी देवताओं में प्रथम पूज्य हैं और इसी दिन से नए साल की शुरुआत हर व्यक्ति के लिए मंगलकारी होने वाली है।

साल 2025 का अंक गणित

क्या है इस साल का अंक

किसी भी व्यक्ति या साल का अंक गणित जानने का एक ही आसान तरीका है। जो सभी जगह एक ही तरीके से आजमाया जाता है। ये तरीका सिंपल भी है और आसान भी। इसी तरह से इस साल का मूलांक जानने की कोशिश करते हैं। पहले साल के आखिरी नंबरों का जोड़ करते हैं।

2 + 0 + 2 + 5 = 9

आखिरी अंकों के जोड़ के हिसाब से अंक होता है 9. इस अंक का शासक है मार्स यानी कि मंगल। लेकिन इस नंबर से ही साल को समझना काफी नहीं होगा। क्योंकि साल के पहले दिन का मूलांक और भी ज्यादा पावरफुल और। या यूं कहें कि साल के पहले दिन का जोड़ ही साल के ट्रेंड्स को ज्यादा प्रभावित करेगा।

1 + 1 + 2 + 0 + 2 + 5 = 11

11 अंक का ये जोड़ इस साल का मास्टर नंबर है, जो साल भर काफी पावरफुल रहने वाला है और, पूरे साल में क्या होगा क्या नहीं ये सुनिश्चित करने वाला हैं। 11 का ये अंक साल 2025 में पब्लिक परसेप्शन और अप्रोच को गाइड करेगा।

मान लीजिए की 2025 में एंजल नंबर देखने हैं, तो वो 20, 02 या 25 हो सकता है। इन्हें इस तरह से जोड़ा जाएगा।

2 (20 से) + 2 (02 से) + 7 (25) यानी 7

इस तरह इस साल तो राहु का प्रभाव भी रहेगा। ऐसे में इस साल खास तौर पर राहु और मंगल का प्रभाव देखने को मिलेगा। इससे इस साल इस संसार में कुछ नई घटना घट सकती हैं। इससे गरीबों से लेकर अमीर तक अछूते नहीं रहेंगे। अभी शनदेव कुंभ राशि मे है और मीन में जाएंगे। शनि देव अपनी राशि से निकलेंगे तो शुभता कम होगी। संसार में नई परिवर्तन देखने को मिलेंगे। राहु रहस्य का देवता है और मंगल शौर्य का। ऐसे में इस साल कुछ नहीं खोज हो सकती है विज्ञान के नए अविष्कार हो सकते हैं राहु मंगल चंद्रमा और शनि के कारण लोगों में गुस्सा बढ़ सकता है। कुल मिलाकर हमें अपने स्वास्थ्य के प्रति सावधान रहना होगा साथ ही फिजूल खर्च पर भी रोक लगानी होगी।

कलयुग के दोष और बचाव…

लोभइ ओढ़न लोभइ डासन। सिस्नोदर पर जमपुर त्रास न॥
काहू की जौं सुनहिं बड़ाई। स्वास लेहिं जनु जूड़ी आई॥1॥

भावार्थ: लोभ ही उनका ओढ़ना और लोभ ही बिछौना होता है (अर्थात्‌ लोभ ही से वे सदा घिरे हुए रहते हैं)। वे पशुओं के समान आहार और मैथुन के ही परायण होते हैं, उन्हें यमपुर का भय नहीं लगता। यदि किसी की बड़ाई सुन पाते हैं, तो वे ऐसी (दुःखभरी) सांस लेते हैं मानों उन्हें जूड़ी आ गई हो॥1॥

कलयुग के वर्णन का चित्र है कि इस समय दोष और उनके प्रभाव आदमी को यातना देते रहेंगे, इस समय केवल एक मात्र साधन है जो सर्वत्र शांति प्रदान कर सकता है-
नाम लेत भाव सिंधु सुखाई
स्वजन विचार करहुँ मन माहीं
कलयुग केवल नाम आधारा
सुमिर सुमिर नर उतरहिं पारा

भयानक से भयानक यातना,संकट प्रभु नाम से क्षण भर में समाप्त हो जाते है एक बार इन मंत्रों का प्रयोग अवश्य करें

जपहिं नामु जन आरत भारी। मिटहिं कुसंकट होहिं सुखारी॥राम भगत जग चारि प्रकारा। सुकृती चारिउ अनघ उदारा॥
भावार्थ- (संकट से घबराए हुए) आर्त भक्त नाम जप करते हैं, तो उनके बड़े भारी बुरे-बुरे संकट मिट जाते हैं और वे सुखी हो जाते हैं। जगत् में चार प्रकार के (1-अर्थार्थी – धनादि की चाह से भजनेवाले, 2-आर्त – संकट की निवृत्ति के लिए भजनेवाले, 3-जिज्ञासु – भगवान को जानने की इच्छा से भजनेवाले, 4-ज्ञानी – भगवान को तत्त्व से जानकर स्वाभाविक ही प्रेम से भजनेवाले) रामभक्त हैं और चारों ही पुण्यात्मा, पापरहित और उदार हैं।

चहू चतुर कहुँ नाम अधारा। ग्यानी प्रभुहि बिसेषि पिआरा॥चहुँ जुग चहुँ श्रुति नाम प्रभाऊ। कलि बिसेषि नहिं आन उपाऊ॥
भावार्थ- चारों ही चतुर भक्तों को नाम का ही आधार है, इनमें ज्ञानी भक्त प्रभु को विशेष रूप से प्रिय हैं। यों तो चारों युगों में और चारों ही वेदों में नाम का प्रभाव है, परंतु कलियुग में विशेष रूप से है। इसमें तो (नाम को छोड़कर) दूसरा कोई उपाय ही नहीं है।

यज्ञ दान योग तप और हर कार्य से प्रभु का मिलना असम्भव है केवल उनका नाम जाप ही कालिकाल से मुक्ति प्रदान करेगा।

कलयुग केवल नाम अधारा, सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा।

कलयुग में मुक्ति का मंत्र

कृतजुग त्रेताँ द्वापर पूजा मख अरु जोग।
जो गति होइ सो कलि हरि नाम ते पावहिं लोग॥102 ख॥
भावार्थ:-सत्ययुग, त्रेता और द्वापर में जो गति पूजा, यज्ञ और योग से प्राप्त होती है, वही गति कलियुग में लोग केवल भगवान्‌ के नाम से पा जाते हैं॥102 (ख)॥

चौपाई : कृतजुग सब जोगी बिग्यानी। करि हरि ध्यान तरहिं भव प्रानी॥
त्रेताँ बिबिध जग्य नर करहीं। प्रभुहि समर्पि कर्म भव तरहीं॥1॥
भावार्थ:-सत्ययुग में सब योगी और विज्ञानी होते हैं। हरि का ध्यान करके सब प्राणी भवसागर से तर जाते हैं। त्रेता में मनुष्य अनेक प्रकार के यज्ञ करते हैं और सब कर्मों को प्रभु को समर्पण करके भवसागर से पार हो जाते हैं॥1॥
द्वापर करि रघुपति पद पूजा। नर भव तरहिं उपाय न दूजा॥
कलिजुग केवल हरि गुन गाहा। गावत नर पावहिं भव थाहा॥2॥
भावार्थ:-द्वापर में श्री रघुनाथजी के चरणों की पूजा करके मनुष्य संसार से तर जाते हैं, दूसरा कोई उपाय नहीं है और कलियुग में तो केवल श्री हरि की गुणगाथाओं का गान करने से ही मनुष्य भवसागर की थाह पा जाते हैं॥2॥
कलिजुग जोग न जग्य न ग्याना। एक अधार राम गुन गाना॥
सब भरोस तजि जो भज रामहि। प्रेम समेत गाव गुन ग्रामहि॥3॥
भावार्थ:-कलियुग में न तो योग और यज्ञ है और न ज्ञान ही है। श्री रामजी का गुणगान ही एकमात्र आधार है। अतएव सारे भरोसे त्यागकर जो श्री रामजी को भजता है और प्रेमसहित उनके गुणसमूहों को गाता है,॥3॥
सोइ भव तर कछु संसय नाहीं। नाम प्रताप प्रगट कलि माहीं॥
कलि कर एक पुनीत प्रतापा। मानस पुन्य होहिं नहिं पापा॥4॥
भावार्थ:-वही भवसागर से तर जाता है, इसमें कुछ भी संदेह नहीं। नाम का प्रताप कलियुग में प्रत्यक्ष है। कलियुग का एक पवित्र प्रताप (महिमा) है कि मानसिक पुण्य तो होते हैं, पर (मानसिक) पाप नहीं होते॥4॥
दोहा :
कलिजुग सम जुग आन नहिं जौं नर कर बिस्वास।
गाइ राम गुन गन बिमल भव तर बिनहिं प्रयास॥103 क॥
भावार्थ:-यदि मनुष्य विश्वास करे, तो कलियुग के समान दूसरा युग नहीं है, (क्योंकि) इस युग में श्री रामजी के निर्मल गुणसमूहों को गा-गाकर मनुष्य बिना ही परिश्रम संसार (रूपी समुद्र) से तर जाता है॥103 (क)॥
प्रगट चारि पद धर्म के कलि महुँ एक प्रधान।
जेन केन बिधि दीन्हें दान करइ कल्यान॥103 ख॥
भावार्थ:-धर्म के चार चरण (सत्य, दया, तप और दान) प्रसिद्ध हैं, जिनमें से कलि में एक (दान रूपी) चरण ही प्रधान है। जिस किसी प्रकार से भी दिए जाने पर दान कल्याण ही करता है॥103

सूर्योदय और चंद्रोदय

सूर्योदय का समय 06:44 पूर्वाह्न सूर्यास्त का समय 05:20 अपराह्न
चंद्रोदय का समय 07:59 पूर्वाह्न 🌙 चन्द्रास्त का समय 06:42 अपराह्न 🌙

पंचांग

तिथि द्वितीया 🌒 प्रातः 02:24 बजे तक, 02 जनवरी नक्षत्र उत्तरा आषाढ़ 🌟 रात्रि 11:46 तक
तिथि तृतीया 🌒 नक्षत्र श्रवण 🌟
योग व्याघात 🧘‍♀️ शाम 05:07 बजे तक करण बलवा 🕰️ 02:55 PM तक
योग हर्षना 🧘‍♀️ करण कौलव 🕰️ 02:24 पूर्वाह्न, 02 जनवरी तक
काम करने के दिन बुधवारा 🗓️ तिथि तैतिला 🕰️
पक्ष शुक्ल पक्ष 🌒

चंद्र मास और संवत्

शक संवत 1946 क्रोधी चंद्रमास पौष – पूर्णिमांत
विक्रम संवत 2081 पिंगला चंद्रमास पौष – अमान्त
गुजराती संवत 2081 नाला

राशि और नक्षत्र

राशि मकर ♑ नक्षत्र पद उत्तरा आषाढ़ 🌟 प्रातः 11:57 बजे तक 🕐
सनसाइन धनु ♐ नक्षत्र पद उत्तरा आषाढ़ 🌟 सायं 05:52 बजे तक 🕐
सूर्य नक्षत्र पूर्वा आषाढ़ 🌟 नक्षत्र पद उत्तरा आषाढ़ 🌟 रात्रि 11:46 बजे तक 🕐
सूर्य पद पूर्व आषाढ़ 🌟 प्रातः 07:02 बजे तक 🕐 नक्षत्र पद श्रावण 🌟 प्रातः 05:38 बजे तक, 02 जनवरी 🕐
सूर्य पद पूर्वा आषाढ़ 🌟 नक्षत्र पद श्रवण 🌟

रितु और अयाना

ड्रिक रितु शिशिर (सर्दी) ❄️ दिनामना 10 घंटे 35 मिनट 49 सेकंड 🕐
वैदिक ऋतु हेमन्त (प्रिवंटर) 🍂 रात्रिमना 13 घंटे 24 मिनट 26 सेकंड 🕐
ड्रिक अयाना उत्तरायण ☀️ मध्याह्न 12:02 अपराह्न 🕐

शुभ समय

ब्रह्ममुहूर्त प्रातः 04:56 से प्रातः 05:50 तक 🕐 प्रातः संध्या प्रातः 05:23 से प्रातः 06:44 तक 🕐
अभिजीत कोई नहीं 🚫 विजया मुहूर्त 01:48 अपराह्न से 02:30 अपराह्न तक 🕐
गोधूलि मुहूर्त 05:17 अपराह्न से 05:44 अपराह्न तक 🕐 सायहना संध्या 05:20 अपराह्न से 06:40 अपराह्न तक 🕐
अमृत ​​कलाम 05:27 अपराह्न से 07:01 अपराह्न तक 🕐 निशिता मुहूर्त 11:35 अपराह्न से 12:29 पूर्वाह्न, 02 जनवरी 🕐

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