मोहनलाल बाबुलकर
प्रख्यात लोक साहित्यकार
आद्य शंकराचार्य की संपूर्ण यात्रा में उनके शिष्यगण भी साथ रहे। इन दक्षिणात्य ब्राह्मणों में गृहस्थ, संन्यासी व गृहत्यागी भी थे। सनातन धर्म के पुनरुद्धार हेतु आदि शंकराचार्य ने तीर्थों व धामों में मूर्तियों की जहां दोबारा से स्थापना की वहीं निज स्वदेशीय जनों को भी वहां पूजा अर्चना के लिए नियुक्त किया। बदरीनाथ में मूर्ति स्थापना के साथ ही आदि शंकराचार्य द्वारा देवप्रयाग तीर्थ में भगवान श्री रघुनाथ के मंदिर का निर्माण भी करवाया गया।
श्री वरदाचार्य ने जहां बदरीनाथ का जीर्णोद्धार किया वहीं देवप्रयाग मंदिर की मरम्मत भी करवायी थी। मान्यता है कि श्री रघुनाथ मंदिर में आदि शंकराचार्य के साथ आये स्वजातीय ब्राह्मणों को उन्होंने पूजा अर्चना का भार सौंपा था। ज्योतिर्मठ के मठपति की भांति देवप्रयाग के दक्षिणीय पुजारी भी उनके स्वजातीय, स्वदेशीय थे। इसलिए ही देवप्रयाग के दक्षिणीय पुजारी श्रीबदरीनाथ के तीर्थगुरु हुए।
स्वामी शंकराचार्य द्वारा प्रतिपादित पूजा पद्धति से भगवान रघुनाथ की पूजा बदरीनाथ की भांति ही होती है। 17वीं शताब्दी तक दक्षिण भारत से दक्षिणात्य स्वजातीय कुलीन ब्रा२णों को पूजा अर्चना व तीर्थगुरु का कार्यभार सौंपने हेतु आमंत्रित किए जाने के प्रमाण मिलते हैं। बदरीकाश्रम यात्रा में आदि शंकराचार्य के साथ स्वदेशीय दक्षिणात्य भट्ट श्री रघुनाथ मंदिर में पुजारी नियुक्त किए हुए।
08-09 वीं शताब्दी शताब्दी तक वह देवप्रयाग तीर्थ की सीमा तक ही रहे। किन्तु बाद के वर्षों में वह निकटवर्ती क्षेत्रों में निवास व जीविकोपार्जन के लिए भी गए। आज भी देवप्रयाग तीर्थ समाज में अपने यजमानों के घर जाने को ‘देशजाना’ या ‘देशाटन’ जैसे अति प्राचीन काल के प्रतीक शब्द का उपयोग हेाता है। यह ‘देश’ शब्द उसी स्वजातीय एवं स्वदेशीय मूल आस्था का द्योतक है। कुछ वर्ष पूर्व दक्षिण भारतीय जनों ने भगवान श्रीरघुनाथ मंदिर का जीर्णोवार भी यहां करवाया एवं आदि गुरु शंकराचार्य के मंदिर का निर्माण कर वहां आदिगुरु की भव्य प्रतिमा भी स्थापित की। इस तरह गंगातीर्थ देवप्रयाग व यहां के तीर्थ पुरोहित समाज से आदि गुरु शंकराचार्य का अनन्य सम्बन्ध होना प्रमाणित होता है।
आदिगुरु के जीवन पर बनी पहली संस्कृत फिल्म
भारतीय फिल्म इतिहास में प्रथम संस्कृत भाषा की फिल्म ‘आदि शंकराचार्य’ के जीवन व दर्शन पर निर्मित की गयी। दक्षिण भारतीय निर्माता निर्देशक की इस फिल्म में बंगला अभिनेता ए0 बनर्जी द्वारा आदि शंकराचार्य की प्रभावशाली भूमिका निभायी गयी।