चार धाम यात्रा विशेष : इतिहास में पहली बार विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट अलग-अलग दिन खुलेंगे, जानिए कारण

Uttarakhand

विनोद चमोली
हिम शिखर ब्यूरो।

विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया के दिन खोले जाते हैं। इसके साथ ही चार धाम यात्रा का श्रीगणेश हो जाता है। अभी तक यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट एक ही दिन खुलते रहे हैं। लेकिन इतिहास में ऐसा पहली बार होगा कि जब दोनों धाम के कपाट अलग-अलग दिन खुलेंगे। दरअसल, इस साल अक्षय तृतीया की तिथि दो दिन पड़ रही है। इस बार अक्षय तृतीया तिथि 14 मई को सुबह से शुरू होकर 15 मई को सुबह 7 बजकर 59 तक रहेगी। ऐसे में भले ही दोनों धामों के कपाट अलग-अलग दिन खुल रहे हों, लेकिन तिथि एक ही होगी।

इस तरह होता है गंगोत्री धाम कपाट खोलने की तिथि का निर्धारण
मां गंगा के कपाट खोलने की तिथि का निर्धारण ज्योतिषीय गणना के अनुसार होता है। सर्वप्रथम इस दिन गंगा जी का वर्षफल तैयार किया जाता है। वर्षफल के ग्रहों की दशा देखकर कपाट खोलने का शुभ मुहूर्त निकाला जाता है। गंगा मंदिर समिति के सचिव पं. दीपक सेमवाल ने बताया कि इस साल अक्षय तृतीया तिथि 14 और 15 मई को दो दिन आ रही है। ऐसे में इस साल उदय कालीन तिथि के साथ ही देश की खुशहाली, समृद्धि, संपन्नता को देखते हुए 15 मई को कपाट खोलने की तिथि का निर्धारण किया गया है।

इस तरह किया गया यमुनोत्री धाम के कपाट खोलने की तिथि का निर्धारण
आज रविवार को प्राचीन परम्परा के अनुसार यमुना जयंती पर मां यमुना जी के शीतकालीन गद्दी स्थल खुशीमठ में तय की गई। इस दौरान धाम के तीर्थ पुरोहितो ने ज्योतिषीय गणना के आधार पर कपाट 14 मई को अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर दोपहर 12 बजकर 15 मिनट पर अभिजीत मुहूर्त में खोलने का दिन तय किया। मंदिर समिति के सचिव पं. कृतेश्वर उनियाल ने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन अभिजीत मुहूर्त के साथ ही विश्व कल्याण और मंगलकारी योग को देखते हुए 14 मई को कपाट खोलने का दिन तय हुआ है।

अक्षय तृतीया का क्या है महत्व
अक्षय तृतीया वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन कोई भी शुभ कार्य करने के लिए पंचांग देखने की जरूरत नहीं होती, इस तिथि को स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता हैै। अक्षय तृतीया पर किए गए शुभ कार्यों का अक्षय फल मिलता है। पुराणों में बताया गया है कि यह बहुत ही पुण्यदायी तिथि है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान और भगवद् पूजन करने से पाप नष्ट होते हैं।

 

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