हिम शिखर धर्म डेस्क
कहानी – प्रतापभानु नाम का एक राजा था। वह दुनियाभर का धन पाना चाहता था। उसकी इच्छा थी कि उसके राज्य का विस्तार हो और उसकी ख्याति दूर-दूर तक हो जाए। इसके लिए उसने कई गलत काम किए।
एक दिन वह जंगल में शिकार के लिए गया। उसके सैनिक पीछे रह गए, वह आगे निकल गया और रास्ता भटक गया। घने जंगल में बहुत भटकने के बाद उसे एक आश्रम दिखाई दिया।
उस आश्रम में एक ढोंगी संत रह रहा था। संत बनने से पहले वह एक राजा था। प्रतापभानु ने उसे युद्ध में हरा दिया था और वह अपने प्राण बचाने के लिए जंगल में छिपकर और वेश बदलकर रह रहा था।
प्रतापभानु उस आश्रम में गया तो ढोंगी संत ने राजा को देखकर सोचा कि आज शत्रु से बदला लेने का अच्छा अवसर है। कपटी संत ने राजा से कहा, ‘मैं तुम्हारे लिए एक ऐसा यज्ञ कर सकता हूं, जिससे तुम्हें हर युद्ध में सफलता मिलेगी, तुम अमर हो जाओगे, दूर-दूर तक तुम्हारी ख्याति बढ़ेगी। यज्ञ के प्रभाव से तुम्हारे जीवन में सुख ही सुख होगा।’
राजा को ये सब चाहिए था, वह लालची बहुत था। इसलिए लोभवश वह ढोंगी संत की बातों में फंस गया और बोला, ‘मुनिजी बताइए, मुझे क्या करना है?’
मुनि ने कहा, ‘मैं ब्राह्मणों के लिए एक भोज आयोजित करूंगा, जिसमें बहुत सारे ब्राह्मण आएंगे और सभी तुम्हें आशीर्वाद देंगे।’
राजा ने भोज के लिए व्यवस्था कर दी। ढोंगी संत ने ब्राह्मणों के खाने में धोखे से मांसाहार मिला दिया था। जब ब्राह्मणों को मांसाहार वाली बात मालूम हुई तो सभी ने प्रतापभानु को शाप दे दिया और वहां से चले गए। तब प्रतापभानु को लगा कि मैं ठगा गया हूं।
सीख – इंसान जब अत्यधिक लालच करता है और अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए गलत रास्ता अपनाता है तो उसे सभी गलत कामों का फल जरूर मिलता है। झूठ बोलकर, षड्यंत्र करके सफलता हासिल करने से बचना चाहिए। अपनी मेहनत और ईमानदारी से काम करेंगे तो जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी।