नई दिल्ली : पीएम नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने न्यायपालिका के लिए बुनियादी ढांचे से जुड़ी सुविधाओं के विकास के लिए केन्द्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) को 01 अप्रैल 2021 से लेकर 31 मार्च 2026 तक और पांच वर्षों के लिए जारी रखने की मंजूरी दी है।
इस पर आने वाली कुल 9,000 करोड़ रुपये की लागत में केन्द्र सरकार की हिस्सेदारी 5,357 करोड़ रुपये की होगी, जिसमें ग्राम न्यायालय योजना और न्याय दिलाने एवं कानूनी सुधार से जुड़े एक राष्ट्रीय मिशन के जरिए मिशन मोड में इस योजना के कार्यान्वयन के लिए 50 करोड़ रुपये की लागत भी शामिल है।
अपर्याप्त स्थान के साथ कई न्यायालय अभी भी किराए के परिसर में काम कर रहे हैं और इनमें से कुछ तो बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जीर्ण-शीर्ण स्थिति में हैं। सभी न्यायिक अधिकारियों को आवासीय सुविधा का अभाव भी उनके कामकाज और प्रदर्शन पर प्रतिकूल असर डालता है।
इस प्रस्ताव से जिला और अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायिक अधिकारियों के लिए 3800 कोर्ट हॉल और 4000 आवासीय इकाइयों (नई और वर्तमान में चल रही, दोनों किस्म की परियोजनाओं), वकीलों के लिए 1450 हॉल, 1450 शौचालय परिसरों और 3800 डिजिटल कंप्यूटर कक्षों के निर्माण में मदद मिलेगी। यह देश में न्यायपालिका के कामकाज एवं प्रदर्शन को बेहतर बनाने में मददगार साबित होगा और नए भारत के लिए बेहतर न्यायालयों के निर्माण की दिशा में एक नया कदम होगा।
केन्द्रीय मंत्रिमण्डल ने 50 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ 5 वर्षों की अवधि के लिए आवर्ती और अनावर्ती अनुदानों को प्रमाणित करके ग्राम न्यायालयों को समर्थन देने के निर्णय को भी मंजूरी दी। हालांकि, अधिसूचित ग्राम न्यायालयों का संचालन शुरू होने और न्याय विभाग के ग्राम न्यायालय पोर्टल पर न्यायाधिकारियों की नियुक्ति किये जाने और इस बारे में रिपोर्ट दिए जाने के बाद ही राज्यों को धन जारी किया जाएगा।
एक वर्ष के बाद इस बात का आकलन किया जाएगा कि ग्राम न्यायालय योजना ने ग्रामीण इलाकों में हाशिए पर रहने वाले लोगों को त्वरित और किफायती न्याय प्रदान करने के अपने लक्ष्य को सफलतापूर्वक हासिल किया है या नहीं।
इस योजना की प्रमुख गतिविधियां:
न्यायपालिका के लिए बुनियादी ढांचे से जुड़ी सुविधाओं के विकास के लिए केन्द्र प्रायोजित योजना (सीएसएस)1993-94 से चल रही है। न्यायालयों में लंबित और बकाया मामलों को कम करने के लिए पर्याप्त न्यायिक बुनियादी ढांचे की व्यवस्था बेहद महत्वपूर्ण है। अधीनस्थ न्यायपालिका के लिए बुनियादी ढांचे के विकास की प्राथमिक जिम्मेदारी भले ही राज्य सरकारों की होती है, लेकिन केन्द्र सरकार इस सीएसएस के जरिए सभी राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों में न्यायिक अधिकारियों (जेओ) के लिए न्यायालय भवनों और आवासीय क्वार्टरों के निर्माण के लिए राज्य सरकारों के संसाधनों में वृद्धि करती है। वर्तमान प्रस्ताव में वकीलों के लिए हॉल, शौचालय परिसरों और डिजिटल कंप्यूटर कक्षों के निर्माण जैसी अतिरिक्त गतिविधियों का प्रावधान है। यह डिजिटल डिवाइड को कम करने के अलावा वकीलों और वादियों की सुविधा में भी वृद्धि करेगा।
इस योजना की शुरुआत से लेकर 2014 तक, 20 से अधिक वर्षों में केन्द्र सरकार ने राज्य सरकारों/केन्द्र-शासित प्रदेशों को सिर्फ 3,444 करोड़ रुपये ही प्रदान किए। इसके ठीक विपरीत, वर्तमान सरकार ने पिछले सात वर्षों के दौरान अब तक 5200 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं, जोकि इस क्षेत्र में अब तक दी गई कुल मंजूरी का लगभग 60 प्रतिशत है।
2021 से 2026 तक इस योजना का कार्यान्वयन
कुल 9000 करोड़ रुपये की लागत से, जिसमें ग्राम न्यायालय योजना के लिए आवंटित 50 करोड़ रुपये की राशि समेत कुल 5,357 करोड़ रुपये के स्वीकृत परिव्यय के साथ केन्द्र सरकार का हिस्सा शामिल है, 01 अप्रैल 2021 से लेकर 31 मार्च 2021 तक पांच वर्षों के लिए निम्नलिखित गतिविधियों का कार्यान्वयन होगा।
- कुल 4500 करोड़ रुपये की लागत से सभी जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में सभी जिला और अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायिक अधिकारियों (जेओ) के लिए 3800 कोर्ट हॉल और 4000 आवासीय इकाइयों का निर्माण।
- कुल 700 करोड़ रुपये की लागत से सभी जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में 1450 वकीलों के लिए हॉल का निर्माण।
- कुल 47 करोड़ रुपये की लागत से सभी जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों में 1450 शौचालय परिसरों का निर्माण।
- कुल 60 करोड़ रुपये की लागत से जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों में 3800 डिजिटल कम्प्यूटर कक्षों का निर्माण।
- कुल 50 करोड़ रुपये के व्यय के साथ इस योजना को लागू करने वाले राज्यों में ग्राम न्यायालयों का संचालन।