प्रदीप बिजल्वाण बिलोचन
साल 1901 में 10 मई को भारतीय वैज्ञानिक सर जगदीश चंद्र बोस ने साबित कर दिया था कि पेड़-पौधों में भी जीवन होता है। इसके बारें में इस लेख में जानिए विस्तार से –
1 – पेड़ पौधे हमारी तरह अपने लिये प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा अपना भोजन बनाते हैं !
2 – पेड़ पौधे भी अपने लिये ऑक्सिजन को सीमित मात्रा में बचाकर वायुमण्डल में जो कुछ अल्प प्रतिशत ऑक्सिजन पहले से ही मौज़ूद रहती है, उसे कुछ मात्रा में संग्रहित करते हैं औऱ हमें तब उपलब्ध कराते हैं औऱ प्राणवायु प्रदान करते हैं !
3 – जैसे हम किसी चोट क़ा शिकार होने पर दरद महसूस करते हैं वैसे ही माना किसी पेड़ की टहनी को हम तोड़ मरोड़ दें तो वह सूख जाती है तो इस बात से यह स्पष्ट होता है कि पेड़ पौधों को भी दरद क़ा अहसास होता है !
4 – इस धरा पर जिस तरह से हमारा जीवनकाल निश्चित होता है , ठीक उसी प्रकार पेड़ पौधों की भी एक निश्चित
समयावधि होती है औऱ उपयोगिता तब सारी ख़त्म हो जाने के बाद जैसे शरीर उनका मिट्टी में मिल जाता है !
5 – हम पेड़ पौधों को जैसे पानी खाद आदि देकर उनका संरक्षण करते हैं उसी तरह औषधीय पादप अपने में निहित औषधीय तत्वों के द्वारा हमें जैसे नवजीवन देते हैं, फ़ल चारा आदि भी उपलब्ध कराते हैं !
6 – जैसे इन्सान के अन्दर सन्तति के वाहक जैसे जीन्स आदि होते हैं , तो ठीक वैसे ही पौधों में उनके सन्तति के वाहक फलों में मौज़ूद बीज य़ा कुछ में टहनियां आदि इसकी वाहक होती हैं !
7 – जैसे इंसानो क़ा शरीर पंचतत्वों से बना हुआ होता है, ठीक वैसे ही पादपों में पंचतत्व निहित होते हैं जैसे पृथ्वी क्यूंकि मृदा अर्थात मिट्टी, अग्नि क्यूंकि चिन्गारी देने पर प्राय वे आग पकड़ लेते हैं , लेकिन उसी प्रकार यदि किसी पथर को आग दी जाये तो वह भले ही गर्म हो जायेगा लेकिन नष्ट नहीं होगा, क्यूंकि वह निर्जीव है, जल वायु औऱ आकाश तत्व तो पादपों में मौज़ूद होता ही है !
8 – पेड़ पौधे भी अपने अनुकूल अपने लिये भोजन आदि बना इंसानो की भांति भोजन बनाकर वृधि करते हैं !
9 – अन्त में इसी सन्दर्भ में एक विषमयकारी तथ्य कि कुछ दुर्लभ औषधीय पादप जो हमारे हिमालयी क्षेत्रों में पायी जाती हैं औऱ किसी इन्सान की गम्भीर सी गम्भीर बीमारी में राहत दिलाते हैं, ये पादप कभी नष्ट नहीं होते यदि इन पर कोई छेड़खानी ना हो औऱ इनमें प्राणतत्त्व भी कुछ मात्रा में जीवित रहता है !
10 – जैसे हमारे शरीर से किसी अंग को शरीर से अलग करने पर वह निर्जीव सा हो जाता है, ठीक इसी प्रकार यदि किसी पेड़ से उसकी टहनी आदि अलग कर ली जाये तो वह पूर्णतः निर्जीव हो जाती है, उसके पते य़ा फ़ल कोशिका ऊत्तक आदि भी मृतप्रायः हो जाते हैं !
उपरोक्त तथ्यों क़ा संज्ञान लेकर औऱ गहराई से चिन्तन करने पर कहा ज़ा सकता है कि, सर बोस की यह खोज कि पेड़ पौधे भी इंसानो की भांति सजीवता रखते हैं, सत्य है !