देश में हर साल की तरह इस बार भी सावन का महीना दो अलग-अलग दिनों में शुरू हुआ और समाप्त भी अलग-अलग दिनों में हो रहा है। ऐसे में लोगों के मन में इसको लेकर जिज्ञासा हो रही है कि आखिर इसके पीछे क्या रहस्य है। इस लेेख में जानते हैं पूरी जानकारी –
हर्षमणि बहुगुणा
किसे कहते है सौरमास
सौरमास का आरम्भ सूर्य की संक्रांति से होता है। सूर्य एक राशि में जितनी अवधि तक रहता है उस अवधि को एक सौर मास कहा जाता है। 12 राशियों को बारह सौरमास माना जाता है। जिस दिन सूर्य जिस राशि में प्रवेश करता है उसी दिन की संक्रांति होती है। राशियों के दिनों में अन्तर होने से साल में सौर मास न्यूनतम 29 दिन व अधिक तम 32 दिन का होता है। बारह सौर मास का एक वर्ष का मान 365 दिन 06 घण्टे 09 मिनट व 10.8 सेकेंड होता है।
किसे कहते है चंद्रमास
चंद्रमा की कला के घटने-बढ़ने के कारण 15-15 दिनों के दो पक्ष (कृष्ण और शुक्ल) को एक मास कहते हैं। जो चंद्रमास कहलाता है। यह दो प्रकार का होता है। शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ होकर अमावस्या को पूर्ण होने वाला ‘अमावस्यांत'(अमांत) मास मुख्य चंद्रमास कहा जाता है। कृष्ण प्रतिपदा से ‘पूर्णिमांत’ पूरा होने वाला गौण चंद्रमास होता है। यह तिथि की घट-बढ़ के अनुसार 29, 30 व 28 एवं 27 दिनों का भी होता है। पूर्णिमा के दिन, चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है उसी आधार पर महीनों का नामकरण हुआ है। सौर-वर्ष से 11 दिन 3 घटी 48 पल छोटा है चंद्र-वर्ष। इसीलिए हर 3 वर्ष में इस माह में 1 महीना जोड़ दिया जाता है।
सूर्य एवं चंद्र का समान महत्व
हमारी संस्कृति में सूर्य एवं चंद्र को समान महत्व दिया गया है।उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र में सौर मास को प्रधानता दी जाती है तथा राजस्थान पंजाब या मैदानी क्षेत्रों में चन्द्र मास को प्रधानता दी जाती है। ऐसे में यहां सावन की शुरुआत सौर मास के आधार पर हुई। जबकि कई मैदानी क्षेत्रों में चन्द्र मास सेे। इस कारण से हर साल सावन की शुुुरुआत और समापन भी अलग-अलग दिनों में होता है।