वित्त मंत्री ने राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन का शुभारंभ किया

नई दिल्ली

Uttarakhand

केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री  निर्मला सीतारमण ने आज ‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी खंड 1 और 2)’ का शुभारंभ किया। यह पाइपलाइन नीति आयोग द्वारा अवसंरचना से संबंधित मंत्रालयों के परामर्श से विकसित की गई है, जो केंद्रीय बजट 2021-22 के तहत ‘परिसंपत्ति मुद्रीकरण’से जुड़े अधिदेश पर आधारित है।

राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन के तहत वित्तीय वर्ष 2022 से लेकर वित्तीय वर्ष 2025 तक की चार साल की अवधि में केंद्र सरकार की मुख्‍य परिसंपत्तियों के जरिए 6.0 लाख करोड़ रुपये की कुल मुद्रीकरण क्षमता का अनुमान लगाया गया है।

एनएमपी पर रिपोर्ट को आज उपाध्यक्ष (नीति आयोग), सीईओ (नीति आयोग) और पाइपलाइन के तहत शामिल अवसंरचना से संबंधित मंत्रालयों यथा सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग, रेलवे, बिजली, पाइपलाइन व प्राकृतिक गैस, नागरिक उड्डयन, पोत परिवहन, पत्तन एवं जलमार्ग, दूरसंचार, खाद्य व सार्वजनिक वितरण, खनन, कोयला और आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालयों के सचिवों के साथ-साथ सचिव (आर्थिक कार्य विभाग) और सचिव (निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग) की उपस्थिति में जारी किया गया।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने पाइपलाइन का शुभारंभ करते हुए कहा, ‘परिसंपत्ति मुद्रीकरण कार्यक्रम प्रधानमंत्री के विजन से ही सटीक स्‍वरूप ले पाया है। मुद्रीकरण के माध्यम से सृजन के दर्शन पर आधारित परिसंपत्ति मुद्रीकरण का उद्देश्य नई बुनियादी ढांचागत सुविधाओं  के निर्माण के लिए निजी क्षेत्र के निवेश का उपयोग करना है।

यह रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए अत्‍यंत आवश्यक है जिससे आर्थिक विकास की गति को तेज करने के साथ-साथ समग्र जन कल्याण के लिए ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों को निर्बाध रूप से एकीकृत करना भी संभव हो सकेगा।’

सीतारमण ने वर्तमान सरकार द्वारा बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के त्वरित विकास और निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए लागू किए गए समस्‍त सुधारों और पहलों के बारे में भी बताया। इसमें हाल ही में शुरू की गई ‘पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता की योजना’ शामिल है, जिसके तहत राज्य सरकारों को नई या पहले से अविकसित (ग्रीनफील्‍ड) अवसंरचना के विकास में तेजी लाने के लिए राज्य सरकारों के स्वामित्व वाली परिसंपत्तियों का दोबारा उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने इस पाइपलाइन के शुभारंभ के दौरान कहा, “इस कार्यक्रम का रणनीतिक उद्देश्य संस्थागत और दीर्घकालिक पूंजी का उपयोग करके सार्वजनिक क्षेत्र की मौजूदा (ब्राउनफील्ड) परिसंपत्तियों में निहित निवेश के मूल्य को हासिल करना है, जिसे आगे सार्वजनिक निवेश के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने इस तरह से निवेश के मूल्य को हासिल करने के तौर-तरीकों पर विशेष जोर दिया, जिसे निजीकरण या औने-पौने मूल्‍यों पर परिसंपत्तियों को बेचने के बजाय व्‍यवस्थित अनुबंधात्‍मक साझेदारी के जरिए प्राप्‍त करने की परिकल्पना की गई है।”

राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) दरअसल नीति आयोग, वित्त मंत्रालय और संबंधित मंत्रालयों द्वारा विभिन्न हितधारकों के साथ किए गए परामर्शों के माध्यम से संचित की गई अंतर्दृष्टि, प्रतिक्रिया और अनुभवों का चरमबिन्दु है। नीति आयोग ने विभिन्न हितधारकों के साथ कई दौर की चर्चा की है। कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में हुई अंतर-मंत्रालयी बैठक में इस पाइपलाइन के बारे में विस्तार से विचार-विमर्श किया गया है। इसलिए यह पूरी तरह से एक सरकारी पहल है।

राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन: एक परिचय

केंद्रीय बजट 2021-22 में स्थायी अवसंरचना निर्माण के वित्तपोषण के लिए वर्तमान में संचालित की जा रही सार्वजनिक अवसंरचना परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण की पहचान एक प्रमुख साधन के रूप में की गयी है। इसके लिए बजट में ब्राउनफील्ड अवसंरचना परिसंपत्तियों के सन्दर्भ में ‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी)’ तैयार करने का प्रावधान किया गया है। नीति आयोग ने अवसंरचना से जुड़े मंत्रालयों के परामर्श से एनएमपी पर रिपोर्ट तैयार की है।

एनएमपी का उद्देश्य सार्वजनिक परिसंपत्ति के मालिकों के लिए इस कार्यक्रम के सन्दर्भ में एक मध्यम-अवधि रोडमैप प्रदान करना हैI इसके साथ ही निजी क्षेत्र की परिसंपत्तियों के बेहतर उपयोग के लिए उनकी वर्तमान स्थिति तथा संभावनाओं के बारे में भी जानकारी दी गयी है। एनएमपी पर रिपोर्ट को दो खंडों में बांटा गया है। खंड-I एक मार्गदर्शन पुस्तिका के रूप में है, जिसमें परिसंपत्ति मुद्रीकरण के वैचारिक दृष्टिकोण और संभावित मॉडल का विवरण दिया गया है। खंड-II में मुद्रीकरण के लिए वास्तविक रोडमैप दिया गया है, जिसमें केंद्र सरकार के तहत मुख्य अवसंरचना परिसंपत्तियों की पाइपलाइन शामिल है।

ढांचा

पाइपलाइन को संबंधित मंत्रालयों और विभागों से इनपुट और परामर्श के आधार पर तैयार किया गया है, साथ ही उपलब्ध कुल परिसंपत्ति का आकलन भी किया गया है। विनिवेश के माध्यम से मुद्रीकरण और गैर-प्रमुख संपत्तियों के मुद्रीकरण को एनएमपी में शामिल नहीं किया गया है। इसके अलावा, वर्तमान में, केवल केंद्र सरकार के मंत्रालयों और अवसंरचना से जुड़े केन्द्रीय उपक्रमों (सीपीएसई) की परिसंपत्तियों को शामिल किया गया है। अभी राज्यों की परिसंपत्तियों के समन्वय और आकलन की प्रक्रिया चल रही है और इन्हें उचित समय पर  शामिल करने की परिकल्पना की गई है।

प्रमुख परिसंपत्ति के मुद्रीकरण के लिए तीन प्रमुख शर्तें हैं।

इसमें जोखिम-रहित और ब्राउनफील्ड परिसंपत्तियों, जिनके पास आय के स्थाई स्रोत हैं और कारोबार राजस्व अधिकारों पर निर्भर है, का चयन शामिल है। इसलिए, इन संरचनाओं के तहत परिसंपत्तियों का प्राथमिक स्वामित्व सरकार के पास बना रहता है तथा इसमें कारोबार समाप्ति के समय परिसंपत्तियों को सार्वजनिक प्राधिकरण को वापस सौंपने की परिकल्पना की गई है।

अनुमानित क्षमता

अवसंरचना का निर्माण मुद्रीकरण से अनिवार्य रूप से जुड़ा हुआ है, इसे ध्यान में रखते हुए एनएमपी के लिए समय तय किया गया है जिससे राष्ट्रीय अवसंरचना  पाइपलाइन (एनआईपी) के अंतर्गत शेष अवधि साथ-साथ समाप्त हो जाए।

चार साल की अवधि यानी वित्त वर्ष 2022-25 के दौरान एनएमपी के अंतर्गत कुल संपत्ति का अनुमानित मूल्य 6.0 लाख करोड़ रुपये है। यह अनुमानित मूल्य केंद्र द्वारा एनआईपी के अंतर्गत प्रस्तावित परिव्यय (43 लाख करोड़ रुपये) का 14 प्रतिशत है। इसमें 12 से ज्यादा संबंधित मंत्रालय और 22 से ज्यादा संपत्ति श्रेणियां शामिल हैं। सेक्टरों में सड़क, बंदरगाह, हवाई अड्डे, रेलवे, वेयरहाउसिंग, गैस और उत्पाद पाइपलाइन, बिजली उत्पादन और पारेषण, खनन, दूरसंचार, स्टेडियम, हॉस्पिटैलिटी और आवास शामिल हैं।

वित्त वर्ष 2022-25 के लिए क्षेत्र-वार मुद्रीकरण पाइपलाइन (करोड़ रुपये में)

 

शीर्ष 5 सेक्टरों (अनुमानित मूल्य के आधार परकी कुल पाइपलाइन मूल्य में 83 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इन शीर्ष 5 सेक्टरों में शामिल हैं : सड़क (27 प्रतिशत), रेलवे (25 प्रतिशत), बिजली (15 प्रतिशत), तेल एवं गैस पाइपलाइन (8 प्रतिशतऔर दूरसंचार (6 प्रतिशत।

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