कोरोना संकट ने इस तथ्य को पूरी दुनिया को बता दिया है कि प्रकृति केंद्रित विकास ही विकास का सही माॅडल है। इस बात को केंद्रित रखते हुए 28 अगस्त से यमुना दर्शन यात्रा एवं प्रकृति केंद्रित विकास पर संवाद करेंगे केएन गोविंदाचार्य ।
देश के जाने-माने चिंतक और विचारक केएन गोविंदाचार्य ने कहा कि यूरोपीय देशों से ब्लैक कार्बन हवा के जरिए हिमालय में पहुंच रहा है। ऐसे में हिमालय में कार्बन की काली परत जमने के कारण ग्लेशियर के पिघलने की आशंका बढ़ गई है। उन्होंने मानव केंद्रित विकास की बजाए प्रकृति केंद्रित विकास की अवधारणा को आगे बढ़़ाए जानेे पर जोर दिया।
स्वतंत्रता के 75वें अमृत महोत्सव के शुभ वर्ष में चिंतक और विचारक केएन गोविंदाचार्य यमुना यात्रा एवं अध्ययन प्रवास यात्रा के लिए शुक्रवार को विकासनगर पहुंचे। भारतीय जनता पार्टी के सिद्धांतकार रहे चुके गोविंदाचार्य ने कहा कि ब्लैक कार्बन जमने से हिमालय में बर्फ से टकराकर रिफलेक्ट होने वाली सूर्य की किरणें वापस नहीं जा पा रही। कहा कि किरणों की ऊर्जा को कार्बन द्वारा शोषित करने के कारण ग्लेशियरों की सेहत खराब हो रही है। जिस कारण ग्लेशियर में दरार पड़ने की आशंका बढ़ी है।
आगे गोविंदाचार्य ने कहा कि अंटार्कटिका में हिमखंड टूटकर बह रहे हैं। जिस कारण 8 समुद्री तटों पर बसे शहरों का जलस्त बढने की आशंका है। अगर ऐसा हुआ तो 5 करोड़ लोगों की निवास की समस्या आ खड़ी हो सकती है।केएन गोंविदाचार्य ने कहा कि जल, जंगल, जमीन, पशु, पेड़-पहाड़, पानी के बीच तालमेल आवश्यक है। सृष्टि चक्र में किसी के साथ भी छेड़छाड़ की गई तो, इसका परिणाम मनुष्य को ही उठाना पड़ेगा। कहा कि मानव जैव विविधता से कटकर नहीं जी सकता है।
गोंविदाचार्य ने कहा कि 200 साल पहले भारत देश विश्व का सबसे धनी देश था। तो उसके पीछे अर्थशास्त्रियों का मानना है कि उस समय भारत में एक व्यक्ति के पास 8 गोवंश था। जब अंग्रेज गए तो उस समय 1 आदमी पर एक गोवंश छोड़ गए। अब हालात किसी से छुपा नहीं है। कहा कि वनाच्छादन 33 प्रतिशत होना चाहिए, जो अब घटकर 16 प्रतिशत रह गया है। कहा कि घटता जल स्तर चिंता का विषय है।
इस मौके पर स्वामी देवस्वरूप आनंद, संजय शर्मा, यात्रा मीडिया समन्वयक विवेक त्यागी, अरविंद तिवारी आदि मौजूद थे।
विकासनगर से शुरू होगी यमुना यात्रा
यमुना यात्रा 28 अगस्त को यमुनोत्री के निकट जानकीचट्टी से शुरू होनी थी। लेकिन सड़कें अवरूद्ध होने के कारण अब यात्रा विकासनगर से ही शुरू होगी। यात्रा के दौरान यमुना किनारे प्रकृति के विकास माॅडल पर कार्य कर रहे लोगों के साथ संवाद भी किया जाएगा।
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