नई दिल्ली
आयकर विभाग ने इस्पात उत्पादों के विनिर्माण व्यवसाय में लगे एक प्रमुख उद्योग समूह में तलाशी लेने और जब्त करने का अभियान चलाया। कोलकाता, दुर्गापुर, आसनसोल और पुरुलिया तथा पश्चिम बंगाल के अन्य क्षेत्रों में फैले इस समूह के आठ आवास, नौ कार्यालयों और आठ फैक्टरी सहित कुल मिलाकर 25 परिसरों में यह अभियान चलाया गया।
इस तलाशी अभियान के दौरान इस समूह के विभिन्न परिसरों से भारी मात्रा में आपत्तिजनक दस्तावेजों और डिजिटल साक्ष्यों का पता चला है। इस समूह द्वारा बेहिसाब नकद बिक्री, बेहिसाबी नकदी व्यय, फर्जी पार्टियों से खरीदारी, वास्तविक उत्पादन को कम दर्शाने, स्क्रैप की नकद खरीदारी तथा जमीन खरीदने और बेचने से संबंधित अनेक दस्तावेजी साक्ष्यों का पता चला है। बेहिसाबी आय का गैर-जमानती ऋणों के रूप में उपयोग करने और शेल (फर्जी) कंपनियों के शेयरों की बिक्री संबंधी साक्ष्यों का भी पता चला है।
इस उद्योग समूह के एक सदस्य के नाम से बड़ी संख्या में संपत्ति के दस्तावेज भी बरामद हुए हैं, जिनमें अलग-अलग नामों से जमीन और संपत्ति की होल्डिंग को दर्शाया गया है। ये सभी दस्तावेज जब्त किए गए हैं। इस विनिर्माण समूह से संबंधित ऐसे आपत्तिजनक साक्ष्यों की कुल राशि 700 करोड़ रुपए से अधिक है। इस अभियान में 20 लाख रुपए की बेहिसाब नकद राशि भी जब्त की गई है, जबकि अभी दो लॉकरों को खोला नहीं गया है।
इस तलाशी अभियान के दौरान उस एंट्री प्रदाता के आवास की भी तलाशी ली गई, जो इस समूह को एंट्री उपलब्ध करा रहा था। उसके गुप्त कार्यालय से बड़ी संख्या में शेल कंपनियों के शेयरों की बिक्री, शेल संस्थाओं से गैर जमानती ऋण, फर्जी बिलिंग जैसे तरीकों के माध्यम से आश्रय एंट्री उपलब्ध करने से संबंधित बड़ी संख्या में आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए हैं, जिनमें कई सौ करोड़ रुपए की हेरा-फेरी होने का पता चला है।
इस एंट्री ऑपरेटर के परिसरों से 200 से अधिक बैंक खातों के प्रबंधन वाली 200 से अधिक कंपनियों और संस्थानों के साक्ष्य भी मिले हैं। इन दस्तावेजों की आरंभिक जांच के आधार पर ऐसा लगता है कि इन बैंक खातों और संस्थाओं का उपयोग अनेक लाभार्थियों की बेहिसाब आय को समायोजन माध्यम के रूप में किया गया है।