पंडित हर्षमणि बहुगुणा
किसी भी राष्ट्र की उन्नति में वहां के सुयोग्य नागरिकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। और महत्त्वपूर्ण भूमिका के लिए समुचित शिक्षा का होना आवश्यक है। शिक्षा वह नहीं है जो केवल पुस्तकीय ज्ञान ही प्रदान करती है, अपितु सही शिक्षा अपने देश के प्रति मानव को देश प्रेमी बनाती है।
नेपोलियन बोनापार्ट ने कहा था कि यदि मुझे सुशिक्षित माताएं मिल जाए तो मेरा देश विश्व का महान देश बन जाएगा। आन्तरिक कलह हो सकते हैं, मन मुटाव हो सकते हैं, इन परिस्थितियों पर चर्चा होनी चाहिए, पर यदि कोई वाह्य व्यक्ति हमारे देश के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप करने की कुचेष्टा करता है तो उस समय समूचा देश एकता के सूत्र में बन्धा होना चाहिए। और इसके लिए प्रत्येक देश वासियों को सोचना चाहिए।
“मुझे किसी सज्जन ने यह सन्देश बहुत पहले भेजा था, मुझे इसमें बहुत कुछ दिखाई दिया अतः वास्तविकता जानने/समझने के लिए शेयर कर रहा हूं अवश्य मनन कीजिएगा”
” कुछ लोगों का DNA टेस्ट जरूरी है… “
“घटना महाराज रणजीत सिंह के समय की है।”
एक गाय ने अपनी सींग एक दीवाल की बागड़ में कुछ ऐसे फंसाई की बहुत कोशिश के बाद भी वह उसे निकाल नहीं पा रही थी।
भीड़ इकट्ठी हो गई, लोग गाय को निकालने के लिए तरह-तरह के सुझाव देने लगे । सबका ध्यान एक ही और था कि गाय को कोई कष्ट ना हो।
तभी एक व्यक्ति आया वो आते ही बोला कि गाय की सींग काट दो।
” भीड़ में सन्नाटा छा गया।”
खैर घर के मालिक ने प्राचीर को गिराकर गाय को सुरक्षित निकाल लिया। गौ माता के सुरक्षित निकल आने पर सभी प्रसन्न हुए, किन्तु गौ की सींग काटने की बात महाराज तक पहुंची।
महाराज ने उस व्यक्ति को तलब किया और – उससे पूछा गया क्या नाम है तेरा?
व्यक्ति ने अपना परिचय देते हुए नाम बताया दुलीचन्द।
पिता का नाम – सोमचंद जो एक सिपाही था और लड़ाई में मारा जा चुका था। महाराजा ने उसकी अधेड़ माँ को बुलवाकर पूछा तो माँ ने भी यही सब दोहराया, किन्तु महाराज असंतुष्ट थे।
उन्होंने जब उस महिला से सख्ती से पूछ-ताछ करवाई तो पता चला कि उसका पति जब लड़ाई पर जाता था तब उसके अवैध संबंध उसके पड़ोसी समसुद्दीन से हो गए थे। अतः ये लड़का दुलीचंद उसी समसुद्दीन की औलाद है, सोमचन्द की नहीं।
महाराज का संदेह सही साबित हुआ। उन्होंने अपने दरबारियों से कहा कि कोई भी शुद्ध सनातनी हिन्दू रक्त अपनी संस्कृति, अपनी मातृ भूमि, और अपनी गौ माता के अरिष्ट, अपमान और उसके पराभव को सहन नहीं कर सकता। जैसे ही मैंने सुना कि दुली चंद ने गाय की सींग काटने की बात की, तभी मुझे यह अहसास हो गया था कि हो ना हो इसके रक्त में अशुद्धता आ गई है। सोमचन्द की औलाद ऐसा नहीं सोच सकती तभी तो वह समसुद्दीन की औलाद निकला–
आज भी हमारे समाज में सन् ऑफ सोमचन्द की आड़ में बहुत से सन् ऑफ समसुद्दीन घुस आए हैं। जो अपनी हिन्दू सभ्यता व संस्कृति पर आघात करते हैं और तब उसे देख कर खुश होते हैं।