नई दिल्ली
तालिबान के अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद पैदा हुए हालात को लेकर नई दिल्ली में भारत समेत 8 देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषदों के प्रमुखों की मीटिंग हुई। इसमें ईरान, रूस के अलावा मध्य एशियाई देश ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान, कजाखस्तान, उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी शामिल हुए। मीटिंग में सभी देशों ने अफगानिस्तान के मौजूदा हालात पर चिंता जताई और कहा है कि वहां से आतंक और ड्रग्स की तस्करी को रोका जाना चाहिए। मीटिंग के बाद सभी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की।
इस मीटिंग का नाम ‘अफगानिस्तान पर दिल्ली क्षेत्रीय सुरक्षा संवाद’ रखा गया था। भारत ने NSA लेवल की बैठक की मेजबानी की। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने मीटिंग का नेतृत्व किया।
इन सभी वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों ने अफगान की मौजूदा स्थिति पर अपने-अपने देशों के दृष्टिकोण से भी पीएम को अवगत कराया।
प्रधानमंत्री ने महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद दिल्ली सुरक्षा संवाद में इन वरिष्ठ गणमान्यजनों की भागीदारी की सराहना की।
प्रधानमंत्री ने अफगानिस्तान के संदर्भ में इन चार पहलुओं पर विशेष बल दिया जिन पर इस क्षेत्र के देशों को अपना ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होगी: एक समावेशी सरकार की आवश्यकता; आतंकवादी समूहों द्वारा अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल किए जाने के बारे में ‘जीरो-टॉलरेंस’ रुख अपनाना; अफगानिस्तान से मादक द्रव्यों एवं हथियारों की तस्करी की समस्या से निपटने की रणनीति अपनाना; और अफगानिस्तान में तेजी से गहराते गंभीर मानवीय संकट को सुलझाना।
प्रधानमंत्री ने यह भी उम्मीद व्यक्त की कि ‘क्षेत्रीय सुरक्षा संवाद’ मध्य एशिया की संयम एवं प्रगतिशील संस्कृति की परंपराओं में नई जान फूंकने और चरमपंथी प्रवृत्तियों पर लगाम लगाने में कारगर साबित होगा।