नई दिल्ली
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने आज भारत के राष्ट्रीय कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम की पहली वर्षगांठ के अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार और केंद्रीय संचार राज्य मंत्री देवुसिंह चौहान के साथ कोविड-19 वैक्सीन पर एक स्मारक डाक टिकट जारी किया।
स्मारक डाक टिकट के डिज़ाइन में एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता को कोविड-19 वैक्सीन के साथ एक वरिष्ठ नागरिक को टीका लगाते हुए दिखाया गया है, इसमें ‘कोवैक्सीन’ शीशी की छवि भी है। यह डाक टिकट देश भर में हमारे अग्रिम मोर्चे के स्वास्थ्यकर्मियों और वैज्ञानिक समुदाय द्वारा लोगों को कोविड महामारी से बचाने के लिए किए गए उल्लेखनीय कार्य को दर्शाता है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने इस अवसर पर कहा कि यह हमारे लिए एक ऐतिहासिक अवसर है क्योंकि दुनिया के सबसे बड़े कोविड टीकाकरण कार्यक्रम के आज एक वर्ष पूरा होने पर डाक टिकट जारी किया जा रहा है, जिसे पिछले साल भारत में 16 जनवरी, 2021 को शुरू किया गया था। एक वर्ष की अवधि के भीतर, 156 करोड़ से अधिक कोविड टीके लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि हमारा टीकाकरण कार्यक्रम असल में वैश्विक समुदाय के लिए एक आदर्श है। जन भागीदारी के कारण ही भारत यह उपलब्धि हासिल कर सका। उन्होंने सभी स्वास्थ्य देख-रेख पेशेवरों, वैज्ञानिक समुदाय, वैक्सीन निर्माताओं और सभी लोगों को कोविड महामारी से लड़ने में उनकी अथक मेहनत और समर्पण के लिए धन्यवाद दिया।
कोविड-19 के खिलाफ हमारी सामूहिक लड़ाई में सभी हितधारकों के उल्लेखनीय प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि पूरा विश्व समुदाय कोविड महामारी से लड़ने में हमारे प्रयासों से हैरान है। उन्होंने कहा कि देश में जनसंख्या का उच्च घनत्व होने के बावजूद, हम कोविड-19 वैक्सीन के 156 करोड़ से अधिक खुराक देने में सक्षम रहे हैं। श्री मंडाविया ने कहा कि भारत ने इस यात्रा के दौरान आई विभिन्न चुनौतियों का सामना किया है लेकिन यह 135 करोड़ से अधिक लोगों के संकल्प और समर्पण से संभव हो पाया कि हम हर चुनौती से निपट सके। इसका श्रेय हमारे स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास और टीकों का सुव्यवस्थित उत्पादन तथा वितरण में लगे लोगों को जाता है। उन्होंने कहा कि आलोचना और अविश्वास के माहौल के बीच देश ने अपनी आत्मिक ऊर्जा को एकजुट किया और उन लोगों का सामना किया जिन्होंने स्वदेशी टीकों को लेकर संदेह और गलत सूचना फैलाना चाहा तथा टीका लगवाने को लेकर आम लोगों के बीच हिचकिचाहट पैदा करने की कोशिश की।
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि भारत का टीकाकरण कार्यक्रम देश की अद्वितीय यात्रा की कहानी है। यह हमारे भारतीय मॉडल और देश के नागरिकों की छिपी क्षमता तथा इन क्षमताओं पर प्रधानमंत्री मोदी के अडिग भरोसे से निर्देशित हमारे देश की असाधारण उपलब्धि को प्रदर्शित करता है।
डॉ. मनसुख मंडाविया ने कहा कि कम समय में हमारी आवश्यक और जबरदस्त तैयारी ने इसे एक अद्वितीय यात्रा बना दिया है। बीमारी की अत्यधिक संक्रामक प्रवृति को समझना और देश भर में समग्र स्वास्थ्य देखभाल की उपलब्धता सुनिश्चित करने की आवश्यकता महत्वपूर्ण थी। उन्होंने कहा कि भारत ने यह सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में रणनीतिक बदलाव किया है कि जमीनी स्तर पर प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने वाली स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत किया जाए।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सक्रिय, अग्रिम और चरणबद्ध तरीके से पूरी सरकार और पूरे समाज के स्तर पर की गई कोशिशें भारत में कोविड-19 से निपटने की पहचान है। उन्होंने कहा कि इससे पहले, किसी टीके के लिए अनुसंधान प्रक्रिया से लेकर आम लोगों तक उसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने में कई साल लग जाते थे लेकिन यह हमारे माननीय प्रधानमंत्री का दूरदर्शी नेतृत्व ही है कि इसे केवल नौ महीनों में हासिल कर लिया गया। उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री ने हमेशा हमारी वैज्ञानिक बिरादरी को प्रोत्साहित किया है और रिकॉर्ड समय में स्वदेशी कोविड टीकों का विकास उनके मजबूत विश्वास का ही नतीजा है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने सभी लोगों के सामूहिक प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि भारत का टीका अभियान वास्तव में इस बात का एक उदाहरण है कि यदि देश के नागरिक जन भागीदारी की भावना से एकजुट होते हैं तो भारत कुछ भी हासिल कर सकता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में भारत सरकार ने कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उन्होंने स्वदेशी टीकों के विकास को प्रमुख चुनौतियों में से एक बताया। उन्होंने कहा कि सरकार ने कम से कम अवधि में स्वदेशी कोविड टीका कोवैक्सीन का विकास और निर्माण करके इस चुनौती पर जीत हासिल की। उन्होंने बताया कि अब तक कोविड-19 वैक्सीन की पहली खुराक लगभग 93% पात्र आबादी और दूसरी खुराक लगभग 69.8% पात्र आबादी को दी जा चुकी है।
आईसीएमआर की महत्वपूर्ण भूमिका को दोहराते हुए डॉ. भारती प्रवीण पवार ने कहा कि आईसीएमआर ने समय-समय पर डायग्नोस्टिक किट विकसित करके और जरूरी दिशा-निर्देश जारी करते हुए टीकाकरण अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने इतने कम समय में स्वदेशी टीके विकसित करने के लिए आईसीएमआर और भारत बायोटेक टीम दोनों को बधाई दी। इनके बनाए टीके को दुनिया भर में स्वीकृति भी मिली है।
इस अवसर पर केंद्रीय संचार राज्य मंत्री श्री देवुसिंह चौहान ने कहा, “मैं डाक विभाग द्वारा कोवैक्सिन पर डाक टिकट जारी करने की पहल की सराहना करता हूं। यह हम सभी के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है क्योंकि भारत के टीकाकरण अभियान को आज एक वर्ष पूरा हो गया है। मैं अग्रिम पंक्ति के सभी कार्यकर्ताओं को उनकी कड़ी मेहनत के लिए बधाई देता हूं”
डीएचआर के सचिव और आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, “भारत के टीकाकरण कार्यक्रम की पहली वर्षगांठ पर स्मारक डाक टिकट जारी करना वास्तव में हम सबके लिए एक सम्मान है। हमें अपनी विरासत पर गर्व है और हम चिकित्सा अनुसंधान में नवाचार करना जारी रखेंगे। स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन का विकास भारत की वैज्ञानिक क्षमता में एक उल्लेखनीय मील का पत्थर है।”
इस अवसर पर आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव, डाक विभाग के अतिरिक्त महानिदेशकश्री अशोक कुमार पोद्दार, भारत बायोटेक के अध्यक्ष श्री कृष्णा एला और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।