माघ का महीना हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है। इस महीने की शुरुआत के साथ ही मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाते हैं। माघ के महीने में स्नान, दान, उपवास और तप का विशेष महत्व माना गया है।
पंडित उदय शंकर भट्ट
माघ मास शुरू हो चुका है। पौष मास की पूर्णिमा से शुरू होकर माघ पूर्णिमा तक पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व है। अगर कोई व्यक्ति इस माह में रोज स्नान नहीं कर सकता है तो उसे कम से कम एक दिन किसी पवित्र नदी में स्नान जरूर करें।धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से शास्त्रों में माघ स्नान का बड़ा महत्व बताया है। इसे मोक्ष प्रदाता कहा गया है। मान्यता है कि माघ मास में प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर स्नान करने से दस हजार अश्वमेघ यज्ञ करने के बराबर फल प्राप्त होता है।
माघ मास में गंगा, नर्मदा, यमुना, क्षिप्रा आदि पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का क्षय होता है। इस माह में दान-पुण्य, रोगियों, निशक्तों की सेवा करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं। अभी ठंड का समय है, लेकिन रोज सुबह पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए काफी लोग पहुंचते हैं। मान्यता है कि जो लोग इस माह में तीर्थ स्नान करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं और अक्षय पुण्य मिलता है।
माघ मास के संबंध में माना जाता है कि इस माह में स्वयं भगवान विष्णु गंगाजल में वास करते हैं। जो लोग माघ मास में गंगा स्नान करते हैं, जाप और दान-पुण्य करते हैं, उन्हें विष्णु जी की विशेष कृपा मिल सकती है।
नदी में स्नान करने के बाद ऊँ सूर्याय नमः मंत्र का जाप करते हुए अर्घ्य अर्पित करें। सूर्य को जल चढ़ाने के बाद किसी मंदिर में शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। बिल्व पत्र और धूतरा चढ़ाएं, चंदन का तिलक करें। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
माघ मास में भगवान विष्णु और भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक जरूर करें। इसके लिए दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और शंख से भगवान का अभिषेक करें। भगवान को पीले चमकीले वस्त्र चढ़ाएं। तुलसी के साथ दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं। पूजा में ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय और ऊँ क्लीं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप करें। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
जरूरतमंद लोगों को जूते-चप्पल, कंबल और अनाज का दान जरूर करें। किसी गौशाला में हरी घास और गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें